अर्चना कुमारी आखिरकार लंबे इंतजार बाद शाहजहां शेख को सीबीआई को आगे की जांच के लिए सौंप दिया। सीबीआई को राज्य पुलिस से कस्टडी लेने के लिए तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा।
इससे पहले हाईकोर्ट कोलकाता ने कहा कि, स्थानीय पुलिस द्वारा स्वत: संज्ञान से दर्ज की गई एफआईआर में कई खामियां देखीं गई है। आरोपी शेख से जुड़े लोगों के खिलाफ आईपीसी के कई प्रावधान लागू नहीं किए गए।
ऐसे लगता है पुलिस उसे बचा रही है। दरअसल कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरोपी शाहजहां शेख को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस को लताड़ लगाई । कलकत्ता हाई कोर्ट ने निलंबित तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस की कड़ी आलोचना की।
कोर्ट ने साफ कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस शाहजहां शेख को बचा रही है। जिसकी वजह से वह प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हाल के हमले में अपनी भूमिका के लिए गिरफ्तारी से बच गया था।
ज्ञात हो शेख और उसके सहयोगियों का नाम संदेशखाली में महिलाएं के उत्पीड़न और जमीन हड़पने की शिकायतों से भी जुड़ रहा है।जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की बेंच ने कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस को हमलों की जांच आगे बढ़ाने से रोकने के स्पष्ट आदेश के बावजूद, उसने मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट को स्थानीय सीआईडी को स्थानांतरित कर दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘इस प्रकार, राज्य पुलिस का यह कृत्य यह मानने के लिए पर्याप्त होगा कि यह पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है और आरोपी को बचाने के लिए जांच में देरी करने का हर प्रयास किया जा रहा है, जो 50 दिनों से अधिक समय से फरार था।”
कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपी को इलाके में एक शक्तिशाली शख्स बताया जाता है और सत्ताधारी पार्टी में उसके ऊंचे तक संबंध हैं। पुलिस ने आरोपी को बचाने के लिए हर संभव तरीके से लुका-छिपी की रणनीति अपनाई थी, जो निस्संदेह अत्यधिक राजनीतिक है।
प्रभावशाली व्यक्ति, जिसने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि अगर उसे राज्य पुलिस के साथ तालमेल बैठाने की अनुमति दी गई को वो जांच को प्रभावित कर सकता है।’जिसके बाद कोर्ट ने उन आरोपों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दी कि शेख और उसके सहयोगियों ने छापेमारी के लिए आए ईडी अधिकारियों पर हमला किया था।
ईडी करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले में शेख की संलिप्तता की जांच कर रही थी।अदालत ने कहा कि इस प्रकार, जो आवश्यक है वह निष्पक्ष, ईमानदार और पूर्ण जांच है और केवल इस तरह से राज्य एजेंसियों के निष्पक्ष कामकाज में जनता का विश्वास बरकरार रहेगा।
हमारे मन में यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि यह विश्वास हिल गया है और हो सकता है मौजूदा मामले से बेहतर कोई मामला नहीं है जिसे सीबीआई को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। स्थानीय पुलिस द्वारा स्वत: संज्ञान से दर्ज की गई एफआईआर में कई खामियां देखीं।
इसमें कहा गया कि शेख से जुड़े लोगों के खिलाफ आईपीसी के कई प्रावधान लागू नहीं किए गए, जिन्होंने अधिकारियों पर ईंटों और पत्थरों से हमला किया। यह किसी की समझ से परे है कि बिना किसी पूर्व नियोजित प्रयास के ईडी अधिकारियों और सीआरपीएफ पर हमला करने के लिए हजार या तीन हजार से अधिक लोग…घातक हथियारों से लैस होकर उस क्षेत्र में इकट्ठे हो सकते थे।
कोर्ट, ईडी की इस दलील से भी सहमत हुआ कि उसके अधिकारियों पर हमले को पश्चिम बंगाल पुलिस ने कम महत्व दिया था। शेख के रसूख को देखते हुए और पूर्ण न्याय करने के लिए कोर्ट ने जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करना उचित समझा।