अर्चना कुमारी। आजमगढ़ के चिल्ड्रन गर्ल्स कॉलेज में श्रेया तिवारी पढ़ती थी । परिजनों का दावा है कि 11वीं की छात्रा श्रेया तिवारी की मौत स्कूल में संदिग्ध परिस्थितियों में अचानक हो जाती है। परिजनों को मामले की जानकारी देने की बजाय वहां मौजूद प्रिंसिपल और टीचर ने छात्रा की बॉडी को स्पॉट से हटाकर वहां लगे खून के निशान भी मिटा दिए और फिर शव को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भी ले जाया गया।
परिजनों का आरोप है कि प्रिंसिपल ने मानसिक रूप से छात्रा को प्रताड़ित किया और दुखद पहलू यह है कि प्रिंसिपल और टीचर की गिरफ्तारी हुई तो सारे निजी स्कूलों ने प्रिंसिपल की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदेश में स्कूल बंद कर दिया। परिजनों का कहना है मौत के बाद कई घंटों तक परिजनों को सूचना नहीं दी गई। इतना ही नहीं परिजनों को सूचना दिए बगैर ही उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भी ले जाया गया। परिजनों ने विद्यालय प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए ।
उधर, बताया जाता है प्रधानाचार्या व शिक्षक की गिरफ्तारी को लेकर सीबीएसई स्कूल मैनेजर्स एसोसिएशन लामबंद हो गया है। इस मामले में प्रधानाचार्य और कक्षाध्यापक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। एक तरफ जहां पूरे प्रदेश में निजी विद्यालय बंद रहे, वहीं दूसरी ओर अभिभावक संघ के साथ अन्य संगठनों ने मिलकर शहर में जुलूस निकाला और अभिभावकों से अपने बच्चों को बुधवार को विद्यालय न भेजने की अपील की गई।
गौरतलब है कि 31 जुलाई को चिल्ड्रेन गर्ल्स कालेज की कक्षा 11 की छात्रा श्रेया तिवारी की बैग में मोबाइल मिलने के मामले में प्रधानाचार्य के समक्ष पेशी होती है। प्रधानाचार्य द्वारा छात्रा को डांटा फटकारा जाता है और अपने कक्ष के बाहर खड़ा करते हुए परिजनों को बुलाने की बात कही जाती है। विद्यालय की ओर से श्रेया के परिजनों को फोन किया जाता है और उनके आने का इंतजार होने लगता है। काफी देर तक खड़ी रहने के बाद श्रेया अचानक ऊपर जाने के लिए सीढि़यों की ओर चल देती है।
तीसरी मंजिल पर पहुंचकर वहां से कूदने का प्रयास करने लगती है, बच्चे शोर मचाते हैं। जब तक उसे बचाया जाता तब तक वह ऊपर से कूद जाती है। इसके बाद विद्यालय के कर्मचारी उसे आनन फानन में लेकर रमा अस्पताल में पहुंचते हैं जहां चिकित्सकों द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद जब विद्यालय में श्रेया के परिजन पहुंचते हैं तो उन्हें एंबुलेंस में एक शव रखा हुआ मिलता है। वहां मौजूद कर्मचारी से पूछने पर उसे प्रधानाचार्य के पास भेज दिया जाता है।
जहां उन्हें श्रेया के साथ हुए हादसे की जानकारी दी जाती है। इसके बाद परिजनों द्वारा पुलिस को फोन से सूचना दी जाती है। मौके पर पुलिस पहुंचती है और फोरेंसिक टीम को बुलाकर छानबीन करती है। इस दौरान परिजनों द्वारा विद्यालय प्रबंधन पर अनेक आरोप लगाए जाते हैं। पुलिस द्वारा शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाता है।
पोस्टमार्टम में चोट के कारण ही मौत की बात सामने आई। कुछ सामाजिक संगठनों ने विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनके द्वारा डीएम को ज्ञापन सौंपने के साथ ही कैंडिल मार्च निकालकर प्रधानाचार्य और कक्षाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाने लगी। इस पर पुलिस द्वारा प्रधानाध्यापक और कक्षाध्यापक के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। रोष को देखते हुए प्रशासन ने विवेचना के बाद प्रधानाध्यापक सोनम मिश्रा और कक्षाध्यापक अभिषेक राय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
हालांकि विवेचना में हत्या की पुष्टि न होने पर इस मामले को हत्या के लिए उकसाने का दर्ज किया गया। पूछताछ में प्रिंसिपल व टीचर ने बताया कि श्रेया के बैग से मोबाइल बरामद हुआ था। जिसके लिए उसे डांटा फटकारा गया था और परिजनों को फोन किया गया था। सजा के तौर पर प्रधानाचार्य के ऑफिस के बाहर खड़ा किया गया था और परिजनों के आने का इंतजार हो रहा था। जिसके कारण खुद अपमानित महसूस करते हुए उसने इस तरह की घटना को अंजाम दिया।