अर्चना कुमारी। केंद्र सरकार भले दावा करे धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में सब कुछ पटरी पर आ गई है। लेकिन सच्चाई यह है कि न तो एक भी कश्मीरी पंडित बसाए जा सके और ना ही आतंकियो की गतिविधि पर कभी रोक लगाया जा सका। आज भी जम्मू के अखनूर में सुरक्षाबल और जम्मू कश्मीर पुलिस ने सर्च ऑपरेशन के दौरान एक बड़ा पैकेट बरामद किया गया। जिसमें भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद के साथ 35 हज़ार रुपए बरामद किए गए है। पिछले दिनों राजौरी में सेना पर आतंकी हमला हुआ ।
जिसमे पांच जवान शहीद हो गए थे। गुरुवार (21 दिसंबर) को आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर यह हमला किया था। इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे। जबकि दो जवानों की हालत अभी भी गंभीर है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि राजौरी-पुंछ सेक्टर में करीब तीस से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकवादी सक्रिय हैं। जो आए दिन स्थानीय मिलीभगत से आतंकी वारदात को अंजाम देते रहते है। यह भी संभावना है कि आतंकियों ने सैनिकों को शहीद करके उनके हथियार भी लूट लिए थे।
लेकिन सेना ने इसकी पुष्टि नहीं की है। हालात कश्मीर की इस कदर पिछले कुछ दिनों में बेकाबू हुई है, की सोमवार को सेना प्रमुख मनोज पांडे आतंकी घटनाओं के बाद सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने जम्मू पहुंचे है। वह सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए राजौरी-पुंछ सेक्टर गए। इस दौरान उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, जम्मू स्थित व्हाइट नाइट कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल संदीप जैन और वरिष्ठ नागरिक प्रशासन और पुलिस अधिकारी निगरानी के लिए राजौरी और पुंछ में डेरा डाले हुए हैं।
इससे पहले सीमावर्ती जिले पुंछ में हाल ही में सेना के वाहनों पर घात लगाकर किए गए हमले में जवानों की जान लेने वाले आतंकवादियों को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। हमले के बाद, 27 से 42 वर्ष की आयु के तीन नागरिकों को कथित तौर पर सेना ने पूछताछ के लिए उठाया था। ये लोग 22 दिसंबर को मृत पाए गए थे। ये मुठभेड़ 34 घंटे चली थी, जिसमें सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया था। मारे गए एक आतंकी का नाम कारी था।
वह पाकिस्तानी नागरिक था। उसे पाक और अफगान मोर्चे पर ट्रेंड किया गया था। ये कोई पहली बड़ी आतंकी घटना नही थी। यहां आए दिन इस तरह की वारदात होती रहती है। इससे पहले 17 नवंबर को राजौरी और कुलगाम में दो अलग-अलग एनकाउंटर में 6 आतंकवादी मारे गए थे। पहला एनकाउंटर 16 नवंबर को कुलगाम में शुरू हुआ। जो 17 नवंबर तक चला। इसमें पांच आतंकी मारे गए थे। दूसरा एनकाउंटर राजौरी में हुआ, जिसमें एक आतंकी मारा गया था।
इससे पहले श्रीनगर में अक्टूबर महीने में ईदगाह इलाके में एक आतंकी ने पुलिस इंस्पेक्टर को तीन गोलियां मारी थीं। गोलियां उनके पेट, गर्दन और आंख में लगी थीं। इंस्पेक्टर की पहचान मसरूर अली वानी के रूप में हुई थी। 13 सितंबर को आतंकियों के साथ दो मुठभेड़ में तीन अफसर और दो जवान शहीद हो गए थे। शहीद अफसरों में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और पुलिस के एक अधिकारी शामिल थे।
आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर सर्च ऑपरेशन के दौरान हमला किया था। इस दौरान दो आतंकी भी मारे गए। यहां सर्चिंग के दौरान सेना के डॉग की भी मौत हो गई थी। अगस्त में भी 9 अगस्त की रात , जहां कोकेरनाग के एथलान गडोले में तीन आतंकी पकड़े गए थे। मुठभेड़ के दौरान सेना के जवान समेत तीन लोग घायल हुए। दूसरा मामला उरी का था, जहां सुरक्षाकर्मियों ने लश्कर के 3 आतंकी पकड़े थे।
6 अगस्त को भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन में बॉर्डर के पास दो आतंकियों को मार गिराया था।
ये आतंकी घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। इसी दिन शाम को भी घुसपैठ की कोशिश कर रहे एक अन्य आतंकवादी को मार गिराया गया था। आंकड़ों पर गौर करे तो जम्मू कश्मीर में इस साल आतंकियों से लोहा लेते 31 जवानों ने शहादत दे दी जबकि पुंछ-राजौरी में 6 एनकाउंटर में 21 सैनिकों की जान चली गई है। इस साल जम्मू कश्मीर में कई एनकाउंटर हुए हालांकि, इनमें 9 ऐसे थे, जिनमें जवानों की शहादत हुई और इनमें से 6 मुठभेड़ जम्मू डिवीजन में जबकि 3 कश्मीर घाटी में हुईं ।
हालांकि सेना का दावा है इस साल मार्च, जून, जुलाई और अक्टूबर में किसी भी जवान की जान नहीं गई और फरवरी में एक जवान शहीद हुआ था। वहीं, अप्रैल, मई, नवंबर और दिसंबर में 5-5 जवानों ने शहादत दी है। इसके अलावा सितंबर में चार और अगस्त में तीन जवान शहीद हुए। वहीं, इस साल जनवरी में नॉर्थ कश्मीर के कुपवाड़ा में रुटीन ऑपरेशन के दौरान एक कर्मी और दो जवानों की गहरी खाई में गिरकर मौत हो गई थी। जो भी हो जम्मू कश्मीर की हालात अच्छे नहीं कहा जा सकते। आतंकी गुटो पर नकेल कसने के लिए और ठोस कदम उठाए जाने की आवश्कता है।