गौतम अदाणी फिर से चर्चा में है. विदेशी मीडिया में उनके ग्रुप के बारे में रिपोर्ट छपी है.ये रिपोर्ट हिंडनबर्ग के आरोपों को आगे बढ़ाती है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अदाणी ग्रुप ने अपने शेयर चोरी छिपे ख़रीदे.शेयर बाज़ार की देखरेख करने वाली संस्था सेबी के नियम से कंपनी के प्रमोटर 75% से ज़्यादा शेयर अपने पास नहीं रख सकते हैं. बाक़ी 25% पब्लिक के पास होना चाहिए. तीन कंपनियों में पब्लिक के हिस्से के 12-14% तक शेयर अदाणी ग्रुप के पास चोरी छिपे ख़रीदने का आरोप है. इससे बाज़ार में शेयर के भाव बढ़ाने में भी मदद मिलने की आशंका रहती है क्योंकि पब्लिक के पास सप्लाई कम है.
दूसरा आरोप है कि अदाणी पावर ने प्लांट लगाने के लिए जो मशीनरी ख़रीदीं थी उसका बिल बढ़ा चढ़ाकर दुबई की एक कंपनी को चुकाया. यह पैसा बाद में शेयर बाज़ार में लगाने का आरोप है. इन दोनों आरोपों के केंद्र में है गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद. आज हिसाब किताब में चर्चा विनोद अदाणी के बारे में. आपको शायद पता ना हो हिंडनबर्ग रिपोर्ट में विनोद अदाणी का नाम 151 बार आया था जबकि गौतम अदाणी का 54 बार. हिंडनबर्ग का हिसाब किताब हम पहले कर चुके हैं.
गौतम अदाणी मिलाकर पाँच भाई हैं. आर एन भास्कर की किताब के मुताबिक़ गौतम और राजेश ही अदाणी ग्रुप का रोज़मर्रा का काम देखते हैं जबकि विनोद अदाणी ग्रुप के फ़ाइनेंस का काम दुबई से देखते हैं. विनोद अदाणी की उम्र 74 साल है. वो साइप्रस के नागरिक हैं. दुबई और सिंगापुर में रहते हैं. हारुन रिपोर्ट में उनकी संपत्ति 2022 में 1 लाख 69 हज़ार करोड़ रुपये बताई गई थी.
विनोद अदाणी के बारे में ज़्यादा जानकारी मौजूद नहीं है. 1976 में उन्होंने मुंबई के पास कपड़ा मिल लगाईं. 1989 में वो सिंगापुर चले गए और फिर 1994 से दुबई में रहने लगे. 2016 में उनका नाम पनामा पेपर लीक में आया था. 1994 में बहमास में कंपनी खोली थी . कंपनी खोलने के दो महीने बाद उन्होंने अपना नाम विनोद शांति लाल अदाणी से बदल कर विनोद शांति लाल शाह कर लिया था.
अब आते हैं ताज़ा रिपोर्ट पर. इसमें तीन लोग है.विनोद अदाणी ,संयुक्त अरब अमीरात के नासिर अली शबन अहली और ताइवान के चांग चुंग लिंग . नासिर और चांग अदाणी ग्रुप से जुड़ी कंपनियों से जुड़े रहे हैं. DRI की जाँच में भी इनका नाम आया था. चांग चुंग ने सिंगापुर में जो अपना पता दिया है वो विनोद अदाणी का भी पता है.
2017 में अदाणी ग्रुप की तीन कंपनियों में नासिर अली और चांग चुंग के शेयर 13 से 14 प्रतिशत के आसपास थे.ये शेयर मॉरीशस के जो फंड ख़रीद रहे थे उन्हें सलाह देने का काम विनोद अदाणी से जुड़ी कंपनी करती थी. इसके बदले में फ़ीस भी लेती थीं. नियम कहता है कि प्रमोटर के पास 75% से ज़्यादा शेयर नहीं होना चाहिए. काग़ज़ पर अदाणी ग्रुप के पास इन तीन कंपनियों में 75% से कम शेयर है. अगर ये साबित हो जाता है कि नासिर और चांग अदाणी की तरफ़ से ही शेयर होल्ड कर रहे थे तो क़ानून का उल्लंघन होगा
तीन कंपनियाँ है
अदाणी एंटरप्राइज़
अदाणी पॉवर
अदाणी ट्रांसमिशन
दूसरे आरोप के केंद्र में भी विनोद अदाणी हैं. अदाणी ने अपनी पॉवर कंपनी के लिए सामान दुबई की कंपनी के ज़रिए खरीदा . सामान का बिल बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया. दुबई की कंपनी से रुट होकर यही पैसे शेयर बाज़ार में लगा दिए गए.दुबई की कंपनी के तार भी विनोद अदाणी से जुड़े हैं. कंपनी चोरी छुपे अपने शेयर नहीं ख़रीद सकती है. इसकी जाँच DRI ने 2014 से पहले शुरू की थी, बाद में क्लीन चिट मिल गई.
विनोद अदाणी ने इन आरोपों के बारे में कोई जवाब नहीं दिया है. हालाँकि अदाणी ग्रुप ने कहा कि ये हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आरोपों को दोबारा ज़िंदा करने की कोशिश है, इसमें कोई दम नहीं है. अदाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद कहा था कि विनोद अदाणी के पास ग्रुप में कोई पद नहीं है. वो रोज़मर्रा के काम में शामिल नहीं है. बाद में बयान दिया कि विनोद अदाणी प्रमोटर ग्रुप का हिस्सा है. अप्रैल में विनोद अदाणी ने ऑस्ट्रेलिया में कोयला से जुड़ी कंपनियों से इस्तीफ़ा दे दिया था.
अदाणी ग्रुप इस साल की शुरुआत से ख़बरों में है. गौतम अदाणी साल की शुरुआत में दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति बने हुए थे. फिर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आयी. शेयर बाज़ार में क़ीमत में गिरावट आई. अदाणी ग्रुप अपने कारोबार को ठीक करने में लगा हुआ था कि अब नई रिपोर्ट आ गई है. गौतम अदाणी अब 21 वें नंबर पर हैं.