महाराष्ट्र पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को दो साल पुराने एक मामले में गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन इसी तरह के एक अन्य मामले में शिवसेना सांसद सांसद ओमप्रकाश राजे निम्बालकर पर अब तक क्यों कार्रवाई नहीं हुई। उस पर एक किसान की सुसाइड को लेकर उकसाने के गंभीर आरोप हैं।
उधर, अन्वय नाईक खुदकुशी मामले में पत्नी और बेटी राजनीति की मोहरा बन गई है। यदि उनके दोनों के संबंध अन्वय नाइक से अच्छे होते तो वह भी अन्वय नाइक की मां कुमुदिनी नाईक की तरह बोर्ड में होती और उनका बकाया रकम का भुगतान वापस नहीं जाता, जो अर्णव गोस्वामी की कंपनी द्वारा किए जाने पर बैंक खाता के निष्क्रिय रहने पर लौट गया था।
अर्णव गोस्वामी द्वारा अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि “सीडीपीएल (अन्वय नाईक की कंपनी कॉनकोर्ड डिजाइन्स प्रा.लि.) को शेष भुगतान (90% भुगतान किया जा चुका था) कर, अन्य दावों की पूर्ण अदायगी के लिए एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (अर्णव की कंपनी) ने कई प्रयास किए थे। हालांकि, सीडीपीएल में किसी भी शेयरधारक या निदेशक की अनुपस्थिति के कारण शेष भुगतान करने के प्रयास विफल रहे।
एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पूर्ण और अंतिम अदायगी सुनिश्चित करने की इच्छा के बावजूद और सीडीपीएल, श्रीमती अक्षता नाइक, और सुश्री अदन्या नाइक से संपर्क करने के लिए कई बैठकों, ईमेल, पत्र और व्हाट्सएप संदेशों के बावजूद कोई ठोस प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई। वास्तव में, पूरा बकाया जुलाई 2019 में सीडीपीएल के बैंक खाते में डाल भी दिया गया था, लेकिन खाता निष्क्रिय होने कारण पैसा वापस लौट आया।”
देखा जाए तो यदि अन्वय नाईक अपनी पत्नी और बेटी को अपनी कंपनी के बोर्ड में शामिल किए रहता तो यह पैसा कभी नहीं लौटता। इससे यह सवाल उठना लाजिमी है कि अपनी मां को बोर्ड में शामिल करने वाले अन्वय ने अपनी पत्नी और बेटी को क्यों शामिल नहीं किया था? क्या उसका अपनी पत्नी और बेटी से संबंध सामान्य नहीं था? क्या इस एंगल से केस की जांच नहीं किया जाना चाहिए था?
सच्चाई की आवाज का दमन करके एक राष्ट्रवादी पत्रकार को बिना किसी नोटिस या समन के गिरफ्तार करने वाली महाराष्ट्र पुलिस कितनी दोगली है, इसका सबूत उस्मानाबाद के रहने वाले एक किसान की खुदकुशी को लेकर दिखाई देता है। महाराष्ट्र में इस किसान ने साल 2019 के अप्रैल महीने में आत्महत्या की थी और अपने सुसाइड नोट में शिवसेना सांसद ओमप्रकाश राजे निम्बालकर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। दिलीप धवले नाम के इस किसान का परिवार अभी भी न्याय का इंतजार कर रहा है जबकि मृतक किसान के परिवार की माँग है कि जिस तरह से पुलिस रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, उसी तरह से उन्हें भी न्याय दिलाया जाए लेकिन इस बारे में महाराष्ट्र पुलिस के मुंह सील गए लगते हैं।
हैरानी की बात तो यह है उस्मानाबाद पुलिस ने किसान को आत्महत्या के लिए उकसाने और धोखाधड़ी के कथित आरोपों में शिवसेना के सांसद ओमप्रकाश राजे निम्बालकर और 56 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है राष्ट्रवादी पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ 2018 में हुए जिस केस को महाराष्ट्र के अलीबाग की पुलिस ने पिछले साल ये कहते हुए क्लोज कर दिया था कि अर्नब और अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने लायक पर्याप्त सबूत नहीं पाए गए है वही महाराष्ट्र पुलिस इस केस को फिर से उखाड़कर तानाशाही दिखा रही है।
आत्महत्या करने वाले किसान की पत्नी वंदना धवले ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की मांग की है कि दिलीप धवले की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार शिवसेना सांसद ओमप्रकाश राजे और अन्य आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार केे कान तक जू नहीं रेंग रही है। दिलीप धवले की पत्नी वंदना धवले ने कहा कि लोकसभा चुनावों के दौरान उद्धव ठाकरे ने उन्हें इंसाफ दिलाने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि उनके पति ने इसलिए आत्महत्या करनी पड़ी, क्योंकि उनके साथ आर्थिक धोखाधड़ी हुई थी, जिसके चलते उन्हें अपमान का सामना करना पड़ा था। धवले के परिवार का कहना है कि घटना के 5 महीने बाद इस संबंध में मामला दर्ज किया गया था और मामला दर्ज किए जाने के बाद एक साल पूरे हो चुके हैं लेकिन पुलिस ने अभी तक चार्जशीट दायर नहीं की है।
शिवसेना के इस सांसद पर महाराष्ट्र पुलिस ने कोई भी एक्शन नहीं लिया और ना ही अपना सिंघम रूप अब तक दिखाया है जबकि जिस अन्वय नाइक की पत्नी तथा बेटी के आरोप को गंभीरता से लिया है उसी तरह अपने कर्तव्य का पालन करते हुए उस शिवसेना के सांसद को भी वैसे ही घसीटकर थाने लाना चाहिए जैसे अर्णव गोस्वामी को आंतकवादी समझ कर गिरफ्तार किया गया।
जहां तक अर्णव गोस्वामी के ऊपर लगे आरोप है तो उसमें यह सवाल उठना लाजमी है कि मृतक अन्वय नायक ने अपनी पत्नी और बेटी को कंपनी का हिस्सेदार क्यों नहीं बनाया था? इंटीरियर कंपनी कॉनकॉर्ड डिजायन के मालिक अन्वय नाइक यदि अपनी मां की तरह पत्नी और बेटी को बोर्ड में शामिल करते तो शायद उनका भुगतान कब का मिल गया होता क्योंकि रिपब्लिक टीवी का दावा है कि बकाया का भुगतान किया गया था लेकिन अकाउंट सक्रिय नहीं होने के चलते रुपए वापस हो गए थे। इससे यह आशंका बनी हुई है कि मृतक के क्या पत्नी और बेटी से अच्छे संबंध नहीं थे?
मृतक अन्वय मुंबई स्थित आर्किटेक्चरल और इंटीरियर डिजाइनिंग कंपनी कॉनकॉर्ड डिजाइन के प्रबंध निदेशक थे, जबकि उनकी मां कंपनी की बोर्ड निदेशक थीं। लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी को कंपनी में कोई स्थान क्यों नहीं दिया था? यह सवाल जांच के दायरे में आना चाहिए।
मुझको तो अन्वयक की आत्म हत्या भी एक हत्या की साज़िस
लगती है इनका यह एक पैटर्न है,बेखौफ निद्वन्द ।
Anvyak ji ki Suicide note ki bhi jaanch honi chaiye thi…aur kya maa beta dono ne ek saath suicide kara to phir wife ko unki is kayar vichar ki bhanak kaise nahi lagi…