आईएसडी नेटवर्क। कल माननीय सुप्रीम कोर्ट में सुदर्शन चैनल के यूपीएससी जेहाद कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दिया। रोक लगाने से अच्छा सुप्रीम कोर्ट सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाण के आरोप की जांच का आदेश देती तो लोकतंत्र के लिए ज्यादा शुभ होता। यूपीएससी जेहाद का आरोप इस ‘जकात फाउंडेशन’ पर है, उसकी जांच यदि कराई जाए तो सच खुद ब खुद सामने आ जाएगा।
अपने देश में कई ऐसी मुस्लिम संस्था सक्रिय हैं जो देश सेवा का मुखौटा लगाकर अपने जेहादी एजेंडे को अंजाम देने में जुटे हुए हैं। इनमें से एक नाम है ‘जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया’। इस संस्था पर आरोप है कि यह मुस्लिम समुदाय के युवाओं को सिविल सेवा में भर्ती होने की ट्रेनिंग देने का दावा की आड़ में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले रोहिंग्या घुसपैठियों की मदद कर रहा है।
हैरानी की बात तो यह है की केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ‘जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ की गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर चुप है, जिससे इस तरह की संस्था को देश विरोधी कार्य करने में बढ़ावा मिलता है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ओएसडी रहे चुके और सच्चर कमेटी में अहम रोल निभाने वाला सैय्यद ज़फर महमूद ने साल 2008 में ‘जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ की नींव रखी थी। ज़फर महमूद मुस्लिम युवाओं को IAS-IPS बनने में न केवल मदद करते हैं बल्कि उनका दावा है कि ज़कात फाउंडेशन की मदद से हर साल 20 से 25 मुस्लिम युवा सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर रहे हैं।
इसके लिए जफर महमूद देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर मुस्लिम युवाओं को सिविल सिर्विसेज़ के लिए उत्साहित करते हैं। इन दिनों ज़फर महमूद जमीअत उलेमा-ए-हिन्द की मदद से 3 एकड़ ज़मीन पर डासना में मुस्लिम सिविल सेवा प्रतियोगियों के लिए सर सैय्यद कोचिंग के नाम से नई बिल्डिंग का निर्माण करा रहे हैं। लेकिन आरोप यह भी है कि जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया अवैध रूप से देश में घुसे रोहिंग्या मुस्लिमों को देश के प्रशासनिक सेवा में सफलता दिला कर भारत के प्रशासनिक ढांचे में जेहादियों को भरने का सुनियोजित काम कर रही है।
आरोप है कि इसने दिल्ली में दारुल हिजरात नामक ‘मेकशिफ्ट कैंप’ स्थापित किया था और उसमें भी भारत विरोधी रोहिंग्या मुसलमानों को मदद पहुंचाई गई थी। रोहिंग्या मुसलमान भारत के लिए खतरा बन चुके हैं और उनकी मदद के लिए जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया साजिशन अभियान चला रही है।
इस बीच जकात फाउंडेशन की तरफ से एक नक्शा सामने आया है, जिसे देखने पर यह पता चलता है कि जकात फाउंडेशन एक मस्जिद निर्माण के साथ- साथ रोहिंग्या लोगों के लिए स्थायी कॉलोनी बनाएगी। दरअसल यह नक्शा जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया के नए मुख्यालय का है। फाउंडेशन का दावा है कि पूरी परियोजना को गृह मंत्रालय की मंजूरी हासिल है। जकात फाउंडेशन के उपाध्यक्ष एसएम शकील इस परियोजना के प्रभारी बनाए गए हैं। गृहमंत्रालय को स्पष्ट करना चाहिए कि जकात की बातों में कितनी सच्चाई है?
आरोप यह भी है कि ज़कात फाउंडेशन इस्लामिक सिद्धांतों पर रोहिंग्या लोगों को शिक्षित करता है। इस समय दिल्ली में कई रोहिंग्या बस्तियाँ हैं, जिसे सरकार पर्याप्त इच्छा अभाव के चलते अभी तक खाली नहीं करा पाई है। शाहीन बाग, कालिंदी कुंज, विकासपुरी और खजूरी खास में रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से बसते जा रहे हैं। सरकार को पता है, लेकिन उसकी चुप्पी खतरनाक है।
दिल्ली के उत्तर पूर्व जिले में इसी साल फरवरी के महीने में हुए दंगों में बड़े पैमाने पर खूनी रोहिंग्या मुसलमान के शामिल होनी की बात भी सामने आ रही है।
आरोप यह भी है कि ज़कात फ़ाउंडेशन ऑफ इंडिया का संबंध इस्लामी धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त जाकिर नाइक से भी है। यह कट्टर इस्लामी संस्था नागरिकता संशोधन अधिनियम और यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुखर विरोधी है।
इतना ही नहीं हाल ही में, ज़कात फाउंडेशन ऑफ इंडिया शरिया काउंसिल के सदस्य कलीम सिद्दीकी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित होने की आवश्यकता है, क्योंकि यदि वे इस्लाम नहीं कबूल करंगे तो नर्क में जलेंगे। वीडियो में कलीम हिंदू धर्म में होने वाले अंतिम संस्कार की क्रिया पर भी सवाल उठाते हैं और उदाहरण देकर समझाते हैं कि इसलिए हिंदू इस्लाम कबूल करना चाहते हैं, क्योंकि वे जहन्नुम की आग से खुद को बचाना चाहते हैं।
ज़कात फाउंडेशन शरिया काउंसिल के सदस्य मौलाना कलिम सिद्दीकी का विवदित इंटरव्यू उन्होंने सऊदी अरब के एक चैनल को दिया था और इस वीडियो से जकात फाउंडेशन का असली चेहरा सामने आने लगा है। इसी वीडियो में कलिम इस्लाम को अव्वल दर्जे का दिखाने के लिए हिंदुओं की परंपराओं पर न केवल सवाल उठा रहे हैं, बल्कि यह बताने की कोशिश भी कर रहे हैं कि हिंदू इतने ज्यादा नासमझ हैं कि वह बहुत आसानी से इस्लाम कबूल लेते हैं।
विवादास्पद व्यक्ति कलीम कहता है कि आज दूसरे धर्म के लोगों के इस्लाम कबूल करने की तादाद बेहद मामूली होती जा रही है। वह अपने आप को धर्म परिवर्तन करवाने के पेशे में काफी मशहूर नाम खुद को बताते हैं। जब इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति उनसे कहता है कि दुनिया में और खासकर हिंदुस्तान में रहने वाले हिंदू बेहद मुश्किल से इस्लाम कबूलते हैं। क्या यह सही है? तो कलिम कहता है अगर सऊदी अरब में इस्लाम कबूल करने वालों में हिंदुओं की संख्या सबसे कम है तो उसका कारण यह है कि वहाँ पर लोग उस तरह की कोशिश नहीं करते।
सेकुलरिज्म की धज्जियाँ उड़ाते हुए जकात फाउंडेशन के कलीम सिद्धकी उन लोगों की धारणा को भी ध्वस्त करते हैं जिनका मानना यह है कि अल्लाह और राम सब एक ही होते हैं। उनके अनुसार अल्लाह और राम अलग-अलग हैं। केवल इस्लाम ही सच्चा मजहब है। जो लोग अलग-अलग चीजों को मानते हैं वह शैतान बराबर होते हैं क्योंकि शैतान का भी ये कहना था कि रास्ते अलग-अलग हैं लेकिन मंजिल एक है।
इन सब बातों से भी जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया का कट्टर इस्लामी चेहरा उजागर होता है। इसके करतूतों को लेकर जब सुदर्शन टीवी के सुरेश चौहान ने कार्यक्रम किया तब पहले उन्हें हाईकोर्ट से रुकवाया गया और अब कल सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया है। यही नहीं सुदर्शन चैनल के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन भी किय गया। सुप्रीम कोर्ट को किसी मीडिया के कार्यक्रम पर रोक लगाने की जगह जकात जैसों की किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराना चाहिए! लेकिन इस देश में तो सबको ‘पोलिटिकल करेक्ट’ होने और सच्चाई से मुंह चुराने की लत लगी है! ऐसी ही लत के कारण 1947 में भारत का विभाजन हो चुका है।