एक सप्ताह में तीन हत्या, लेकिन कहीं शोर नहीं, क्योंकि मरने वाले तीनों बहुसंख्यक और मारने वाले सभी अल्पसंख्यक हैं!
1) दिल्ली में एक लड़की के मजहबी परिवार ने उसके प्रेमी की गला काटकर हत्या की? उसकी गलती केवल इतनी थी कि वह लड़की के घर उसका हाथ मांगने गया था! सीरिया की तरह दिल्ली में गला रेता गया, लेकिन हरियाणा से हैदराबाद तक पहुंच कर शोर मचाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कान पर कसकर मफलर और मुंह पर टेप बांध रखा है!
2) दूसरी घटना कांग्रेस शासित कर्नाटक में हुई। संतोष नामक युवक की वसीम ने अपने साथी के साथ मिलकर केवल इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि वह पीएम मोदी का पोस्टर टांग रहा था! गौरीलंकेश की हत्या के बाद तत्काल हिंदू संगठनों को हत्यारा घोषित करने वाले, संतोष की हत्या के आरोप में पकड़े गये कट्टरपंथियों के प्रति वफादारी दिखाते हुए मुंह सिले हुए हैं!
वफादारी इसलिए कि शक है कि वसीम आतंकी संगठन PFI से जुड़ा है, और PFI केरल में कम्युनिस्ट के लिए और कर्नाटक में कांग्रेस के लिए हत्या को अंजाम देने के आरोप से घिरा है!
3) तीसरी घटना तो आप सब जानते ही हैं जिसमें 26 जनवरी को #कासगंज में तिरंगा यात्रा निकालने पर सलीम & कुनबे ने चंदन गुप्ता को गोली मार दी! चंदन दंगाई घोषित किया जा चुका है, क्योंकि लेफ्ट-लिबरल्स जमात के अनुसार गणतंत्र दिवस पर बिना इजाजत तिरंगा फहराना गुनाह था!
शोर न मचाएं! असहिष्णुता ब्रिगेड अभी सो रही है! और इनके पार्टनर ‘पेटिकोट पत्रकार’ गिरोह हाथ में जाम उठाए प्रेस क्लब में मिडिल क्लास का गम दूर करने के लिए विचारमग्न है!