नरेंद्र मोदी हर बाजी को अपने हिसाब से चलकर उसे सफलता में बदलने का हुनर जानते हैं। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब दिवालिया हुई कंपनियों को लेकर उन्होंने जो निर्णय लिया है उससे आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्ता में आमूलचूल परिवर्तन देखा जा सकता है। मोदी ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (Insolvency and bankruptcy code) को सुधारकर एक तीर से कई निशाना साधा है। यह कदम मोदी सरकार के लिए राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से भी अच्छा साबित होगा। दिवाला और दिवालियापन संहिता से न केवल कई केसों के समाधान निकलेंगे बल्कि सरकारी बैंकी की हालत भी सुधरेगी। इस कोड के आधार पर केंद्र सरकार बैंकों से अपने सारे कर्जदारों से कर्ज वसूलने को कहेगी, खासकर उनसे जिन्हे यूपीए सरकार के दौरान दिया गया था और उन्होंने अभी तक नहीं चुकाया है। इससे निश्चित रूप से बैंकों के हालात सुधरेंगे।
मुख्य बिंदु
* दिवाला और दिवालियापन संहिता को मजबूत कर मोदी ने काला धन रखने वालों पर कसा शिकंजा
* पहले की दिवालिया हुई कंपनियों को बचाने के साथ ही उससे कर्ज वापस लेने में पाई सफलता
नरेंद्र मोदी सरकार के दो फैसलों की वजह से ही आज यह सुखद परिणाम दिखाई दे रहे हैं। मोदी सरकार ने एक फैसला किया कि जो भी व्यक्ति या कंपनी बैंकों का बकायादार है वह किसी भी बोली में हिस्सा नहीं लेंगे। और दूसरा फैसला उन्होंने यह किया कि वे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और इसके अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में कोई केस नहीं कर पाएंगे। क्योंकि ये लोग केस कर बोली की प्रक्रिया को अटका दिया करते थे।
मोदी के इन्हों दो फैसलों का परिणाम है कि एस्सार स्टील की बोली लगाने की वैधता हासिल करने के लिए आरसेलर मित्तल ने डिफॉल्ट घोषित हो चुकी अपनी दो कंपनियों उत्तम गाल्वा और केएसएस पेट्रॉन के सारे बकाए चुकाने का वादा किया है। एस्सार की बोली में वैधता हासिल करने के लिए उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक के अपने खाते में 7.000 करोड़ रुपये डाल भी दिए हैं। उन्होंने एस्सार स्टील के लिए पहली बोली ही 32,000 करोड़ लगाई है। जबकि एस्सार स्टील कंपनी पर करीब 49 हजार करोड़ रुपये बकाया है। इसके साथ अब बैंक कई अन्य बकाएदारों से भी अपना बकाया वसूल सकता है। क्योंकि इस कंपनी को खरीदने के लिए जो भी बोली में शामिल होंगे उन्हें सबसे पहले बैंकों का पहला बकाया चुकाना होगा।
मोदी के इस दांव से न तो नीरव मोदी बच पाएंगे ना ही मेहुल चौससी निकल पाएंगे। क्योंकि इस सरकार ने देश के भगोड़ों के लिए जो कानून बनाया है उससे न तो देश को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा न ही वे खुद भारतीय कानून की गिरफ्त में आने से बच पाएंगे। वो चाहे देश का 10 हजार करोड़ रुपये लेकर भागने वाला विजय माल्या हो या पंजाब नेशनल बैंक को चूना लगाकर देश छोड़कर भाग जाने वाला नीरव मोदी या मेहुल चौकसी हो।
मोदी ने एक तीर से कई निशाना साधा है। मोदी के इस कदम से जहां दिवालिया घोषित उन कंपनियों का भी भला होगा और बैंकों के डूबे हुए कर्ज भी वापस मिल जाएंगे। मोदी के इस कदम से जहां देश की आर्थिक स्थिति सुधरेगी वहीं कई कंपनियों के चलने से देश में रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। सरकार के इस कदम से राजनीतिक लाभ भी होगा। क्योंकि रोजगार के मोर्चे पर जो दाग सरकार पर लगता आ रहा है वह भी धुल जाएगा।
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