सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसला में यह स्पष्ट कर दिया है कि इस प्रकार की याचिका के तहत न्यायपालिका को बदनाम करने की साजिश थी। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि इस प्रकार की साजिश को अंजाम देने वाला आखिर है कौन? बता दूं कि यह एक या दो लोगों का काम नहीं है बल्कि इसके लिए पूरा गैंग काम कर रहा है। न्यायपालिका को बदनाम करने वालों में सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला, Bombay Advocate Union, पत्रकार बंधुराज सम्भाजी लोन, NGO Center for Public Interest Litigation(CPIL) आदि शामिल रहे हैं।
मुख्य बिंदु
जज लोया मामले की जांच के लिए दायर की थी पीआईएल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा न्यायपालिका को अपमान करने की थी साजिश
मालूम हो कि जज लोया की मौत को लेकर न्यायपालिका को कठघरे में खड़ा करने और उसे बदनाम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। कई ने व्यक्तिगत तौर पर तो कई संगठनों ने साजिश के तहत जनहित याचिका दायर कर जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की थी। इस मामले में याचिका दायर करने वालों में सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला, बॉम्बे अधिवक्ता संघ, पत्रकार बंधुराज सम्भाजी लोन, एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) शामिल थे। जज लोया, सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे। बाद में अमित शाह को इस मामले में बरी कर दिया गया था। नवंबर 2014 में जज लोया की मौत हुई थी।
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