हिन्दी फिल्म उद्योग एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। सलमान खान-शाहरुख़ खान-आमिर खान की बादशाहत अब उतार पर है। टाइगर श्रॉफ, वरुण धवन और विद्युत जामवाल एक नई तिकड़ी के रूप में उभर रहे हैं। इस समय फिल्म उद्योग की धुरी का केंद्र निर्विवाद रूप से सलमान खान ही हैं लेकिन ये तथ्य है कि ‘जो बना है, वो फना है’। सलमान खान का कॅरियर अब उतार पर है और वे फिल्म निर्माण में अपने पांव जमाने के प्रयास कर रहे हैं। सलमान खान फिल्म्स के बैनर तले वे चार फिल्म बना चुके हैं और इनमे से एक ‘बजरंगी भाईजान’ ही सफलता का मुंह देख सकी।
रेस-3 की असफलता ने सलमान खान को विचलित कर दिया है। नए लड़कों की धमाकेदार आमद ने उनको चिंता में डाल रखा है। जिस रणबीर कपूर को वे ताने मारते थे, उसकी फिल्म ‘संजू’ ने रिकॉर्ड ध्वस्त कर डाले हैं। उनके होम प्रोडक्शन की ‘हीरो’, ट्यूबलाइट और ‘रेस-3’ बुरी तरह से फ्लॉप रही हैं। इसी बैनर के तले उन्होंने अपने जीजा आयुष शर्मा को लॉन्च किया है। हालांकि प्रोमो रिलीज होने के बाद बेहद ठंडी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। मीडिया का एक धड़ा जो सलमान खान का आलोचक है, इस फिल्म को सुपर फ्लॉप बता रहा है। फिल्म वितरकों में भी आयुष शर्मा को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है।
चढ़ती उम्र और ढलते कॅरियर की चिंता का असर सलमान की पब्लिक प्रेजेंस में झलकने लगा है। होम प्रोडक्शन की पिटती फिल्मों से उनकी स्टार वैल्यू गिरती जा रही है। हिन्दी फिल्म उद्योग में एक सितारे का अंत कुछ इस तरह से ही होता है। बढ़ती उम्र के निशानों को छुपाकर हमेशा ‘नायक’ बने रहना हिन्दी फिल्मों के नायकों का चलन रहा है। अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना ने करियर के उतार में उम्र के निशाँ छुपाने के लाख प्रयास किये लेकिन अंततः हाशिये पर फेंक दिए गए। हमेशा युवा बने रहने की जिद इस पेशे में नहीं चल सकती। एक दशक तक शिखर पर जमे रहने और हमेशा युवा सुंदर लड़कियों से घिरे रहने के बाद ये मानना मुश्किल होता है कि जवानी अब बीत चुकी है।
इस पेशे में कहा जाता है कि यौवन ढलते ही ‘चरित्र भूमिकाओं’ पर शिफ्ट हो जाना चाहिए। ऋषि कपूर ने यही किया। अमिताभ नहीं कर पाए और अनिल कपूर द्वारा धकेले गए। सलमान खान अब अधेड़ हो चुके हैं। उन्हें अब मुख्य हीरो वाले किरदार नहीं करने चाहिए। चेहरा अब गवाही देने लगा है और चर्बी बढ़ती जा रही है। हालत ये है कि टॉपलेस होने के दृश्य में सलमान को अपनी तोंद ‘कंप्यूटर ग्राफ़िक्स’ से छुपानी पड़ती है। प्रभु देवा की ‘वांटेड’ से वे शिखर सितारा बने थे। तब उनके एक्शन विश्वसनीय नज़र आते थे। उनके प्रेम प्रसंग परदे पर लोगों के दिल को छूते थे लेकिन अब ये सब बनावटी लगने लगा है। अपने से आधी उम्र की लड़की से परदे पर रोमांस करता सलमान अब दर्शक को पसंद नहीं आता।
लगातार फ्लॉप फिल्मों का बढ़ता आंकड़ा सलमान को कभी भी बाजार से बाहर कर देगा। ऊपर से उनके होम प्रोडक्शन से अब तक कोई ब्लॉकबस्टर नहीं निकल सकी है। जिन युवा कलाकारों को वे लेकर आए, उनका पहली फिल्म में ही भट्टा बैठ गया। 1988 में ‘बीवी हो तो ऐसी’ फिल्म से सह कलाकार के रूप में सलमान ने इस इंडस्ट्री में प्रवेश किया था। उस वक्त उनको ये चिंता रहती थी कि कुछ न बन सके तो दोस्तों को क्या मुंह दिखाएंगे। आज 2018 में शिखर से फिसल रहे सलमान को इस बात की चिंता है कि शिखर कायम न रहा तो क्या होगा। समय एक धारा में कभी नहीं बहता। फिल्म इंडस्ट्री भी कभी एक अमिताभ या एक सलमान के भरोसे कभी नहीं बैठी। एक सलमान का सूरज डूब रहा है तो क्षितिज पर तीन नए सूर्य उगते दिखाई दे रहे हैं। वरुण धवन-विद्युत जामवाल-टाइगर श्रॉफ का उदय हो रहा है। इंडस्ट्री अब नए सूर्य देखेगी।
URL: Khan era is taking last breath! Film industry will see new Sun
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