भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा देवरिया लोकसभा सीट से सांसद कलराज मिश्र आखिरकार एससी/एसटी एक्ट के विरोध में उतर आए हैं। जब से केंद्र सरकार ने संशोधित अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) एक्ट लागू किया है, तब से सवर्णों में गुस्सा है, लेकिन कोई भी बड़ा नेता खुलकर सवर्ण के पक्ष में नहीं बोला था। इस एक्ट को लेकर सवर्ण समाज में इस हद तक गुस्सा है कि 6 सितंबर को भारत बंद का ऐलान कर रखा है। ऐसे में कलराज मिश्र जैसे बड़े नेता का सवर्ण के पक्ष में बोलना एक अच्छा संकेत माना जा रहा है। कलराज मिश्र ने कहा है कि इस एक्ट का सवर्णो के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस एक्ट पर पुनर्विचार करने की भी मांग की है।
गौरतलब है कि जब से केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट लागू किया है तब से सवर्ण संगठनों ने इस एक्ट के विरोध में आने वाले चुनाव में नोटा का बटन दबाने की बात करने लगा है। इससे जहां भाजपा असहज दिखती है वहीं अन्य दलों में भी बेचैनी बढ़ गई है। भाजपा ने तो इसका डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा सवर्ण मंत्रियों के साथ बैठक कर सवर्णों की नाराजगी दूर करने की बात कही है।
मुख्य बिंदु
* भारतीय जनता पार्टी के देवरिया लोकसभा सीट से सांसद कलराज मिश्र ने सरकार से SC/ST एक्ट पर पुनर्विचार करने को कहा
* SC/ST एक्ट के विरोध में उतरे कलराज मिश्र ने सवर्णों के खिलाफ हो रहे इस एक्ट के दुरुपयोग पर जताई गहरी चिंता
इसी संदर्भ में लोकसभा सांसद कलराज मिश्र ने सरकार से कहा है कि सभी दलों के साथ मिलकर इस कानून में संशोधन करना चाहिए ताकि समाज में समरसता कायम हो। मिश्र का कहना है कि इस एक्ट से सवर्ण या ब्राह्मणों में ही नाराजगी नहीं है बल्कि पिछड़े वर्गों में भी काफी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि एक फर्जी मुकदमें में फैजाबाद के एक ब्राह्मण परिवार के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया। जांच अधिकारी जानते हैं कि इस मामले में निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है फिर भी वे हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। अगर ऐसे झूठे मामले आएंगे तो प्रतिक्रियास्वरूप लोग तो बाहर निकलेंगे ही। सरकार के इस संशोधित एससी/एसटी एक्ट के विरोध में जगह-जगह सवर्णों से जुड़े संगठन विरोध करने लगे हैं। कई राज्यों में तो केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी सवर्णों के गुस्से का सामना करना पड़ा है।
मध्य प्रदेश में मायावती का फार्मूला अपनाएगी शिवराज सरकार
जैसे ही एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णों की नाराजगी सामने आई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों की बैठक कर सवर्णों की नाराज़गी दूर करने की बात कही है। मोदी के निर्देश पर शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेस में सवर्णों को साधने का जतन भी शुरू कर दिया है। माना जाता है कि वे मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का फार्मूला अपनाएंगे। शिवराज सरकार एससी-एसटी एक्ट पर डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। इस एक्ट के ख़िलाफ जगह -जगह हो रहे विरोध आंदोलन से निपटने की राजनीतिक योजना बनाई गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सवर्णों को साधने के लिए मायावती वाले फॉमूले को मध्य प्रदेश में अपना सकते है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में जब मायावती मुख्यमंत्री बनी थी तो सबसे पहले उन्होंने सवर्णों को साधा था। उन्होंने एससी एसटी एक्ट का राजनीतिक इस्तेमाल करते हुए बहुत हद तक इसे शिथिल कर सवर्णों के बीच विश्वास पैदा किया था।
* उन्होंने शिकायत के आधार पर गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
* एससी/एसटी एक्ट के तहत सिर्फ हत्या या बलात्कार जैसे जघन्य अपराध ही दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
* फर्जी शिकायत होने पर आरोपियों के खिलाफ धारा 182 के तहत ही कार्रवाई के आदेश दिए थे।
इसी फार्मूले से मायावती सवर्ण का भी विश्वास हासिल करने में सफल हुई थी। इसलिए शिवराज सिंह चौहान भी मध्य प्रदेश में यही फार्मूला आजमाना चाहते हैं।
सवर्ण संगठनों ने 6 सितंबर को भारत बंद का किया ऐलान
केंद्र सरकार के संशोधित एससी/एसटी एक्ट के विरोध में सवर्णों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। सवर्ण समाज को प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने तो 6 सितंबर को भारत बंद तक का आह्वान किया है। इस एक्ट के खिलाफ सवर्ण समाज, अखिल भारतीय क्षत्रिय युवा महासभा, परशुराम सेना सहित अन्य संगठनों ने एकजुट होकर संघर्ष करने की घोषणा की है। सवर्ण संगठनों का मानना है कि एससी-एसटी एक्ट के क्रियान्वयन से सवर्ण समाज के साथ अन्याय हो रहा है। महज वोट के लिए सवर्ण समाज को उपेक्षित कर दिया गया है।
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