कांग्रेस की मांग पर जब रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल डील का मोर्चा संभाला तो कांग्रेस की सारी पोल पट्टी खोल दी। उन्होंने साल 2007 से लटके राफेल डील का ठिकरा कांग्रेस पर फोड़ते हुए कहा है कि चूंकि कमीशन का जुगाड़ नहीं हो पाया था इसलिए उसने राफेल डील नहीं होने दिया। सीतारमण ने पूरे तथ्य के साथ इसे साबित कर दिया कि कांग्रेस राफेल डील करने की इच्छुक ही नहीं थी, इसलिए बार-बार उस फाइल को इस समिति से उस समिति दौड़ा रही थी।
मालूम हो कि कांग्रेस और राहुल गांधी लगातार यह सवाल उठा रहे थे कि रक्षा मंत्रालय से जुड़े मामले होने के बावजूद आखिर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण राफेल डील पर क्यों नहीं बोल रही हैं। शुक्रवार को भी लोकसभा का सदन शुरू होते कांग्रेस अध्यक्ष ने राफेल डील पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी की जगह सीतारमण से जवाब देने को कहा था। कांग्रेस पहले से ही राफेल डील को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के जवाब देने पर सवाल उठाती रही है। कांग्रेस पहले से ही इस मामले में सीतारमण पर जवाब देने का दवाब डालती रही है। कांग्रेस और राहुल गांधी की मांग को मानते हुए मोदी सरकार ने राफेल डील पर मोर्चा संभालने का जिम्मा सीतारमण को सौंप दिया।
शुक्रवार को लोक सभा में राहुल गांधी के सवालों का जवाब देने के लिए अपने संबोधन के शुरू में ही निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि दरअसल कांग्रेस इसलिए राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर आरोप लगा रही है क्योंकि वह राफेल के असली तथ्यों से डर रही है। उन्होंने कांग्रेस पर राफेल डील को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस मोदी सरकार पर राफेल डील में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा रही है असल में वही सालों से हस्तक्षेप कर इस डील को नहीं होने दिया। सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि जब जून 2012 में सबकुछ तय हो गया था तो फिर डील पक्की क्यों नहीं हुई। सीतारमण ने कारण देते हुए बताया कि जून 2012 में सबकुछ फाइनल हो चुका था। क्योंकि इस डील के मुख्य नीरीक्षण कमेटी प्रक्रिया को हरी झंडी दे चुकी थी। वाणिज्यिक समझौते के लिए कॉन्ट्रैक्ट निगोसिएटिंग कमेटी ने भी हामी भर दी थी। सब कुछ क्लियर हो चुका था। फिर कांग्रेस पार्टी ने इस समझौते को पुनर्निरीक्षण के नाम पर उसे लटका दिया। आखिर क्यों? सीतारमण ने जवाब देते हुए कहा चूंकि उस समय तक कांग्रेस के ली कमीशन का जुगाड़ नहीं बैठ पाया था, इसलिए यह डील नहीं हो पाई थी।
अपने संबोधन के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज जब मोदी सरकार ने राफले डील पक्की की है तो 2019 में राफेल विमान की पहली खेप आ जाएगी। वहीं अगर यूपीए सरकार डील पक्की करती तो समझौते के 11 साल बाद विमान की पहले खेप भारत आ पाती। इसका मतलब है कि अगर यूपीए सरकार साल 2012 में भी समझौता करती तो विमान की पहली खेप 2023 में भारत आ पाती।
राफेल डील को लेकर यह बात तो स्पष्ट हो गया है कि जितनी बार कांग्रेस इसके बहाने मोदी सरकार पर हमला करने जाती है उतनी बार उसे मुंह की खानी पड़ती है। सीतारमण के दिए बयान से साफ हो गया है कि राफेल डील में कमीशन नहीं मिलने के कारण ही कांग्रेस पार्टी और उनके अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को बदनाम करने की जिद पाल बैठे हैं।
URL : defence minister nirmala sitaraman showd miror to rahul on rafael deal!
Keyword : rafael deal, defence minister, nirmala sitaraman, Rahul gandhi, लोकसभा, राफेल पर बहस