जब नया-नया आया एक चैनल अपनी प्रखरता और आक्रामक पत्रकारिता के दम पर सबसे आगे निकल जाता है। जब नया चैनल कुछ ही समय में प्रशंसक दर्शकों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़त हासिल कर लेता हो। तब दूसरे प्रतियोगी चैनलों को कष्ट पहुंचना स्वाभाविक है। कोई नहीं दूर-दूर तक की दंभ भरी टैगलाइन रखने वाले चैनल को ये बर्दाश्त नहीं कि कल का आया कोई अदना सा चैनल उसको अंगूठा दिखाते हुए इस रेस में उनसे आगे निकल जाए।
इस चैनल की मानसिकता कुछ ऐसी है कि देश के तमाम प्रमुख मुद्दों पर रिपोर्टिंग ये अपना एकाधिकार समझते हैं। लिहाजा उस चैनल रिपब्लिक भारत को अखाड़े में चित करने के लिए आज-तक ने सुशांत की उस संदिग्ध प्रेमिका का दो घंटे लंबा इंटरव्यू प्रसारित कर रिपब्लिक की लाइन और लैंथ बिगाड़ने की कोशिश की है।
रिया चक्रवर्ती पर सीबीआई/ईडी/एनसीबी ने अलग-अलग एफआईआर की है। वह एक बहुत गंभीर मामले में संदिग्ध है और जल्द ही आरोपी बनाई जा सकती है। ऐसी महिला पर दो घंटे का इंटरव्यू लिया जाता है और मुझे याद नहीं पड़ता कि राजदीप सरदेसाई जी ने कभी देश के राष्ट्रपति, सेनाध्यक्ष या प्रधानमंत्री का इतना बड़ा इंटरव्यू लिया हो।
जब सीबीआई की प्रक्रिया चल रही हो तो उसे प्रभावित करने के लिए ऐसे इंटरव्यू करना किस मानसिकता का प्रतीक कहा जाएगा। आजतक ने अपने प्रतिस्पर्धी से चल रहे चैनल वॉर में आगे निकलने के लिए एक आरोपी का इंटरव्यू करना अनएथिकल मूव कहलाएगा। इंटरव्यू की बात करे तो राजदीप सरदेसाई ने अपना अपीयरेंस तो सीबीआई अधिकारी की तरह रखा लेकिन सवाल कॉफी विद करण वाले ज़्यादा थे, लहज़ा मेमनों जैसा था।
इस लंबी बातचीत के आखिर में तो वे रिया से कह भी गए सत्यमेव जयते। जैसे रिया ने उनके चैनल पर जो कहा, वही सत्य है, सीबीआई, ईडी और एनबीसी तो किसी क्राइम थ्रिलर की कहानियां सुना रहे हैं।
रिया के जवाब और राजदीप के सवाल निहायत ही स्क्रिप्टेड थे। मैं गहरी साँस लेना चाहती हूँ, आई विल फाइट, ये मेरे और मेरे परिवार की ज़िंदगी है, सुशांत मेरे सपने में आया और बोला स्पीक द ट्रुथ। जब उनके खिलाफ मीडिया में इतना कुछ आ गया, सीबीआई जाँच शुरू हो गई, उसके बाद ही सुशांत को इनके सपने में आना था।
आपके और आपके परिवार की ज़िंदगी है लेकिन सुशांत और उनके परिवार की ज़िंदगी नहीं है क्या। वे कहती है चैनल पर झूठी बातें चल रही हैं। रिया के कारनामें सभी चैनलों पर तकरीबन एक समान बताए जा रहे हैं बस रिपब्लिक भारत ने उसे एक अभियान बनाया हुआ है। चैनल तो वही कह रहे जो अंदर से निकलकर आ रहा है।
जो उनके सोर्स बता रहे हैं। सारे ही चैनलों को रिया से निजी दुश्मनी कैसे हो सकती है। राजदीप के मंच से उन्होंने ईडी और सीबीआई के आरोपों की यूँ चिन्दियाँ बिखेरी, मानो वे सारे टॉप के जाँच अधिकारी कोई घसियारे हो।
रिया ने सारे सवालों के गलत जवाब तो दिए ही, साथ ही सुशांत की बदनामी करने की कोशिश की। रिया ने बताया कि सुशांत मारिजुआना की सिगरेट लेने के आदी थे। यहाँ तक कि उसने ये बात भी गलत बोली कि सुशांत मोडाफिनिल दवाई लेते थे।
जबकि डॉक्टर इस बात को नकार चुके हैं कि वे ऐसी कोई दवा लेते थे। एक तरफ वह कहती है सुशांत मेरी ज़िंदगी थे और दूसरी तरह वह उन्हें ड्रगी बताती है। वह उनकी बहन पर नशे में गलत ढंग से छूने का आरोप लगाती है। वह कहती है सुशांत के परिवार को उनकी परवाह नहीं थी। इंटरव्यू के बीच-बीच में वह सिसकती है।
वह बात करते-करते नज़रे स्थिर नहीं रख पाती। वह कैमरे से आंख मिलते ही आंख चुरा लेती है। वह राजदीप के सवालों के तगड़े जवाब देती है। वह खुद को निर्दोष बताने के लिए सुशांत के परिवार पर चारित्रिक लांछन लगाने से भी नहीं चूकती। उनकी टाइमिंग अचूक है।
सीबीआई की पूछताछ होने से ठीक पहले ये इंटरव्यू लाखों-करोड़ों ने देखा है। पत्रकारिता की प्रचंड शक्ति का छल भरा वामी प्रहार इसे ही कहते हैं। रिया ने तथ्यहीन बातें कही हैं, उन्होंने जांच के तथ्यों को झुठलाने की कोशिश की है।
उनसे कई सवाल होने चाहिए थे जो राजदीप पचा गए। जैसे उनकी मिस्ट्री गर्ल के बारे में कुछ नहीं पूछा गया, जो उस दिन मास्क पहने सुशांत के घर में घुसी थी। राजीव आर्या और सैम्युअल के साथ वाली चैट को भी वे सफाई से झुठला देती है। मुझे ये समझ नहीं आया कि आदित्य ठाकरे का जिक्र इस इंटरव्यू में क्यों किया गया।
आदित्य फ़िलहाल तो किसी भी एजेंसी के रडार पर नहीं हैं। सोशल मीडिया में बातें चल रही हैं तो उससे ऐसा विचलित क्या होना कि इंटरव्यू करवाकर सफाई देना पड़े। बहरहाल रिया चक्रवर्ती ने बेहद चालाकी के साथ अपना एक मजबूत पक्ष तैयार कर लिया है क्योंकि सीबीआई के सवाल-जवाब जब मीडिया द्वारा सामने लाए जाऐंगे तो उनके पास बचने के लिए एक ढाल तो होगी।