मुंबई में 26/11 हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना जकीउर रहमान लखवी को पाकिस्तान में एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया। लश्कर-ए-तैयबा में अहम रोल निभाने वाला जकीउर रहमान लखवी को आतंकियों की मदद और पैसे मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
उसे पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधक विभाग (सीटीडी) ने गिरफ्तार किया। बहरहाल, सीटीडी ने उसकी गिरफ्तारी कहां से हुई, इस बारे में नहीं खुलासा किया है।
आशंका है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और इमरान सरकार मिलकर हार्डकोर आतंकी जकीउर रहमान लखवी को बचाने के लिए नई चाल चली हो लेकिन दूसरी तरफ सीटीडी पंजाब का कहना है
कि खुफिया सूचना पर आधारित एक अभियान में प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी जकी-उर-रहमान लखवी को आतंकवादी गतिविधियों के लिये धन मुहैया कराने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया।
आतंकी लखवी को लाहौर के सीटीडी थाने में आतंकी वित्त पोषण से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया। सीटीडी ने कहा, लखवी पर एक दवाखाना चलाने, जुटाए गए धन का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्त पोषण में करने का आरोप है।
आरोप यह भी लगाया गया है कि लखवी और अन्य ने इस दवाखाने से धन एकत्रित किए और इस धन का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्त पोषण में किया। उसने इस धन का इस्तेमाल निजी खर्च में भी किया।
सीटीडी ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन लश्कर- ए- तैयबा से जुड़े होने के अलावा वह संयुक्त राष्ट्र की तरफ से घोषित आतंकवादियों की सूची में भी शामिल है। इसने कहा, उसके खिलाफ मुकदमा लाहौर में आतंकवाद निरोधक अदालत में चलेगा।
आपको बताता चलूं की मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड आतंकी जकीउर रहमान लखवी ने ही इस हमले में जिंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब तथा अन्य आतंकियों को ट्रेनिंग दी थी।
यह आतंकी अक्सर भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का साजिश रचता है जबकि यह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक अहम सदस्य है। इसका असली नाम जकीउर रहमान लखवी है लेकिन इसे चाचू नाम से भी जाना जाता है।
इस दुर्दांत आतंकी का जन्म साल 1960 को ओकरा, पंजाब (पाकिस्तान) में हुआ। जबकि लश्कर-ए-तैयबा और अल-ए-हदीत का सक्रिय सदस्य लखवी भारत के खिलाफ साजिश रचने वाला सबसे बड़ा मोस्ट वांटेड पाकिस्तानी आतंकी है।
उस पर सिर्फ 26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड होने का ही आरोप नहीं है बल्कि वह अक्सर भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करते हुए कश्मीर में आतंकवाद को बढावा देता रहाा है ।
इस आतंकी के संगठन लश्कर-ए-तैयबा को संयुक्त राष्ट्र ने मई 2008 में प्रतिबंधित कर दिया था और पाकिस्तान सरकार ने कई बार दबाव में आने के बाद उसे 7 दिसंबर 2008 को पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप से गिरफ्तार तो किया लेकिन भारत को सौंपने से इंकार कर दिया था ।
इसकी पाकिस्तान में इतनी रसूख है कि इसको आर्थिक न्याय दिलाने के लिए इमरान खान सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ तक में अपील कर डाली थी। दरअसल लश्कर पर प्रतिबंध के बाद लखवी को भरण पोषण के लिए रुपए पैसे चाहिए थी और इमरान सरकार रुपए दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में अपील की थी।
संयुक्त राष्ट्र संघ से मंजूरी दिए जाने के बाद लखवी को पाकिस्तान सरकार हर महीने डेढ़ लाख रुपये दिए जाने लगे । इनमें से लखवी को हर महीने खाने के लिए 50 हजार रुपये, दवा के लिए 45 हजार, खर्च के लिए 20 हजार, वकील की फीस के लिए 20 हजार और यात्रा के लिए 15 हजर रुपये दिए गए ।
बाद में जेल में कैद जकीउर रहमान लखवी को पाकिस्तान सरकार ने उस पर दया दिखाते हुए अप्रैल 2015 मे रिहा कर दिया था। तब पाकिस्तान ने दलील दी थी कि लखवी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
बताया जाता है कि पाक की गुप्तचर संस्था आईएसआई के कहने पर रावलपिंडी के अडियाला जेल से रिहा होने के बाद लखवी काफी समय तक अंडरग्राउंड हो गया था।
लेकिन, उसने अपने आतंकी संगठन का नेतृत्व करना जारी रखा। जकीउर रहमान लखवी का अंतरराष्ट्रीय आतंकी और जमात उल दावा का चीफ हाफिज सईद से करीबी संबंध हैं।
इस वजह से संगठन में भी उसकी हैसियत नंबर दो की है। मुंबई हमले को लेकर पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब, डेविड हेडली और अबू जुंदाल ने भी अपनी पूछताछ में जकीउर रहमान लखवी का नाम लिया था।
सनद रहे कि पहली बार साल 1999 में लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर जकीउर रहमान लखवी तब चर्चा में आया था। जब उसने भारत के खिलाफ हुए एक धार्मिक सम्मेलन में खूब जहर उगला था।
बाद में कई आतंकी घटनाओं में शामिल होने के बाद लखवी का कद बढ़ता चला गया। कहा जाता है कि 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन्स में हुए विस्फोट के पीछे भी उसी का हाथ था।
जबकि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के मास्टरमांइड जकीउर रहमान लखवी ही था। पाकिस्तान की गुप्तचर संगठन आईएसआई में लखवी के गहरे पैठ हैं और इसी के चलतेेेे इमरान सरकार 10 अप्रैल 2015 को इसे जेल से रिहा कर दिया ।
शनिवार को जब एक बार फिर से पाकिस्तान सरकार ने इस आतंकी को धर दबोचा तो कहा गया कि लखवी को आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंडिंग के आरोप में पकड़ा गया है
लेकिन यह लखवी को बचाने के लिए आईएसआई निर्देशित पाकिस्तान सरकार की एक नई चाल हो सकती है क्योंकि पाकिस्तान सरकार या कोई अन्य जांच एजेंसी अभी यह बता नहीं रही है कि गिरफ्तारी कहां से हुई और लखवी को कहां रखा गया ।
वैसे यह भी कहा जा रहा है कि कार्रवाई के पीछे एफएटीएफ का दबाव तो नहीं,इस गिरफ्तारी के पीछे आतंकी फंडिंग के खिलाफ काम करने वाले वैश्विक संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) दबाव भी माना जा रहा है।
सनद रहे कि एफएटीएफ ने टेरर फंडिंग के खिलाफ पाक की कार्रवाई को नाकाफी माना है और उसे ग्रे लिस्ट (संदिग्ध सूची) में बनाए रखा है जबकि पाकिस्तान अगर आतंकी फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है तो उसे काली सूची में डाला जा सकता है और इसके तहत उसे कई तरह के वित्तीय प्रतिबंध झेलने पड़ेंगे।
लेकिन फिर से यह संभव है कि पाकिस्तान सरकार लखवी को न्याय दिलानेेे के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के दरवाजे पर न्याय की गुहार लगाए। सभी भारतवासियों को याद होगा कि 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था।
इस आतंकी हमले को 12 साल से अधिक हो गए हैं लेकिन यह भारत के इतिहास का वो काला दिन है जिसे कोई भूल नहीं सकता। हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मुंबई हमले को याद करके आज भी लोगों को दिल दहल उठता है।
आतंकी हमले को लेकर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब में दावा किया कि साल 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले को लश्कर ‘हिंदू आतंकवाद’ के तौर पर दिखाना चाहता था।
इसके अलावा आतंकी कसाब को वह बेंगलुरु के समीर चौधरी के तौर पर मारना चाहता था। अपनी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में मुंबई हमले समेत कई अन्य मामलों पर भी राकेश मारियाा ने बड़े दावे किए ।
किताब के अनुसार, आईएसआई और लश्कर आतंकी कसाब को जेल में ही खत्म करना चाहते थे और इसकी जिम्मेदारी दाउद इब्राहिम गैंग को दी थी। लश्कर के मुंबई हमले के बारे में बताते हुए मारिया ने किताब में लिखा है,
‘अगर सबकुछ योजना के अनुसार चलता तो कसाब चौधरी के तौर पर मरता और हमले के पीछे ‘हिंदू आतंकवादियों’ को माना जाता। लेकिन कसाब के जिंदा पकड़े जाने पर पाकिस्तान की पोल खुल गई थी