Archana Kumari. लाल किला हिंसा को लेकर पकड़ा गया दीप सिद्धू जेल भेज दिया गया है जबकि टूलकिट मामले को लेकर पकड़ी गई दिशा रवि को बेल मिल गई है। इस बीच साइबर सेल ने शांतनु, निकिता और दिशा रवि को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की है जिसमें कई सुराग उजागर किए गए।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि लाल किला हिंसा मामले में गिरफ्तार दीप सिद्धू को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया । उस पर गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के नाम पर लाल किले पर तिरंगे के अपमान करने का आरोप है ।
जांच के दौरान दीप सिद्धू से पूछताछ की गई और उसने यह स्वीकार किया कि उसने लोगों को हिंसा के लिए उकसाया था । इस पंजाबी एक्टर के खिलाफ दिल्ली पुलिस को कई वीडियो सबूत मिले हैं जिसमें साफ देखा जा सकता है कि दीप सिद्धू ने लोगों को भड़काया, जिसके चलते लाल किला में घुसे उपद्रवियों ने सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाया था।
वह एक वीडियो में साफ दिख रहा कि डंडे और लाठी के साथ लाल किले में घुस रहा और उसके साथ जुगराज सिंह भी शामिल था ,जिसने निशान साहिब का झंडा फहराया था।
ज्ञात हो कि बिहार भागने के दौरान दिल्ली पुलिस में दीप सिद्धू को हरियाणा के करनाल से पिछले 9 फरवरी को गिरफ्तार किया था। उधर, लाल किला हिंसा टूलकिट मामले को लेकर दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने दिशा रवि, निकिता और शांतनु का आमना सामना करवाया ।
सूत्रों की माने तो तीनों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए जबकि कई खुलासे किए जिसकी तथ्य वेरीफाई किए जा रहे हैं। इससे पहले पुलिस ने दिशा रवि को 1 दिन का पुलिस रिमांड लिया था।
इसके बाद दिशा को और रिमांड पर लेने के लिए पुलिस ने अदालत के समक्ष पेश किया लेकिन वहां से उसे जमानत मिल गई। इस मामले में जहां बेंगलुरु से दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया तो वहीं निकिता और शांतनु ने मुम्बई हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली थी।
दिशा रवि की जमानत पर सुनवाई करते हुए एएसजी एसवी राजू ने कहा कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है और इसके संस्थापक मो धालीवाल और अमिता लाल हैं।
इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं और यह संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है। जो टूलकिट बनाया गया, उसकी साजिश कनाडा में रची गई जबकि ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं।
राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फार्मर्स स्ट्राइक नामक वाट्स ऐप ग्रुप बनाया। उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की। इस पर बचाव करते हुए दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी।
उन्होंने कहा था कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं। बाद में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने दिशा रवि को एक लाख के मुचलके पर जमानत दे दी ।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस के अधूरे सबूतों के मद्देनजर, हमें कोई कारण नज़र नहीं आता कि 22 साल की लड़की, जिसका कोई आपराधिक इतिहास न रहा हो, उसे जेल में रखा जाए।
अदालत का कहना था वाट्सऐप ग्रुप बनाना, टूलकिट एडिट करना अपने आप में अपराध नहीं है और महज वाट्सऐप चैट डिलीट करने से पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन संगठन से जोड़ना ठीक नहीं है ।
ऐसे सबूत नहीं, जिससे उसकी अलगाववादी सोच साबित हो सके। इस मौके पर अदालत मत विभिन्नता की ताकत बताने के लिए ऋग्वेद का उदाहरण दिया। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद मंगलवार देर रात तिहाड़ जेल से दिशा रवि को रिहा कर दिया गया