विपुल रेगे।सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हत्या को एक वर्ष होने आया है लेकिन लगता है कि हिन्दी पट्टी के दर्शकों द्वारा किये गए घनघोर बहिष्कार से बॉलीवुड ने कुछ नहीं सीखा है। सुशांत के बाद एक और आउटसाइडर बॉलीवुड के निशाने पर है। मध्यप्रदेश की पृष्ठभूमि से आए कार्तिक आर्यन को फिल्म निर्माता करण जौहर ने अपनी फिल्म दोस्ताना-2 से निकाल बाहर किया है। इतिहास ने स्वयं को फिर दोहराया है। इस बार भी बॉलीवुड के प्रसिद्ध कलाकारों में से कोई भी कार्तिक के समर्थन में सामने नहीं आया है। यहाँ तक कि सुपरस्टार शाहरुख़ ख़ान भी कार्तिक के पक्ष में नहीं आए, जबकि उनके होम प्रोडक्शन में बनी फिल्म में कार्तिक मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन की ‘दोस्ताना-2’ के लिए कार्तिक आर्यन के साथ जान्हवी कपूर और एक नए अभिनेता लक्ष्य को अनुबंधित किया गया था। फिल्म की काफी शूटिंग भी हो चुकी थी। धर्मा प्रोडक्शन के सूत्रों के मुताबिक शूटिंग के प्रथम शेड्यूल में लगभग बीस करोड़ रुपये की लागत लग चुकी थी।
बताया जा रहा है कि कार्तिक को सही पेशेवर रवैया न रखने के कारण फिल्म से बाहर किया गया है। ऐसा कहीं सुनने में नहीं आया कि कार्तिक ने शूटिंग पर किसी के साथ गलत व्यवहार किया हो या उनका निर्माता करण जौहर से कोई झगड़ा हुआ हो। कार्तिक को निकालने के कुछ कारण बॉलीवुड के मित्र चैनलों ने बताए हैं।
जैसे बीस दिन शूटिंग करने के बाद वे करण जौहर को अगले शूटिंग शेड्यूल के लिए डेट नहीं दे पा रहे थे। एक कारण ये भी है कि स्क्रिप्ट को लेकर कार्तिक और निर्देशक के बीच मतभेद शुरु हो गए थे। धर्मा प्रोडक्शन का आरोप है कि स्क्रिप्ट की कमियां डेढ़ वर्ष पूर्व फिल्म साइन करते समय क्यों नहीं दिखाई दी। बॉलीवुड के मित्र चैनलों ने इस मामले में कार्तिक का पक्ष न रखते हुए जौहर के पक्ष में बेटिंग शुरु कर दी है।
उनके एंकर कहते हैं ‘कार्तिक आर्यन का ईगो’, ‘धर्मा प्रोडक्शन के दरवाज़े कार्तिक के लिए बंद हुए।’ जैसा कि मैंने लिखा इतिहास दोहराया जा रहा है। सुशांत की तरह एक और प्रतिभाशाली अभिनेता को इसलिए घेरा जा रहा है क्योंकि उसने बॉलीवुड के एकमात्र मालिक की शान में गुस्ताखी कर डाली यानी स्क्रिप्ट पर प्रश्न कर लिए।
स्क्रिप्ट पर प्रश्न करना और विमर्श करना हर कलाकार का अधिकार है। यहाँ तो आमिर खान और शाहरुख़ खान अपने मन मुताबिक स्क्रिप्ट बदलवाने के लिए बदनाम है। स्क्रिप्ट बदलवाना, साथी कलाकार का रोल कम करवाना, अपने खाते में अच्छे डायलॉग डलवाना तो फिल्म उद्योग में आम बातें हैं।
यदि ये काम आर्यन करते हैं तो वह स्क्रिप्ट में बदलाव क्यों नहीं चाह सकते। रही बात आर्यन के बॉलीवुड में वजन की, तो वे आज इस योग्य हैं। सन 2011 में कार्तिक ने बॉलीवुड में प्रवेश किया था। कठिन संघर्ष सात साल चलता रहा, जब तक कि उनकी एक फिल्म ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ सौ करोड़ क्लब में शामिल न हो गई।
इस फिल्म से कार्तिक को स्टार स्टेटस हासिल हुआ। उन्हें आप वन टाइम वंडर भी नहीं कह सकते। वे स्वाभाविक अभिनेता हैं। सन 2019 में जब इंडस्ट्री के बड़े सितारें फ्लॉप हो रहे थे तो उन्होंने दो सुपरहिट फ़िल्में दी थी। बॉलीवुड में एक ऐसा वर्ग है जो बाहरी कलाकारों को सफल होते नहीं देख सकता।
यही वर्ग सुशांत की ‘एम एस धोनी’ ब्लॉकबस्टर होते ही ईर्ष्या से भर उठा था। करण जौहर पूर्व में उन्ही सुशांत सिंह राजपूत के कॅरियर के साथ अच्छा-खासा खेल चुके हैं। ये खेल खेलने में एक और निर्माता-निर्देशक बहुत आगे हैं। उनका नाम है आदित्य चोपड़ा। आदित्य चोपड़ा अपने प्रोडक्शन में काम करने वाले एक्टरों के साथ कर्मचारियों जैसा व्यवहार करने के लिए कुख्यात हैं।
सुशांत सिंह राजपूत के कॅरियर के दो साल तो इन्होने भी खराब कर डाले थे। बॉलीवुड के इस वर्ग का अहंकार ही कुछ ऐसा है। वे बॉलीवुड को अपना साम्राज्य समझते हैं। करण जौहर ने कार्तिक को बीच फिल्म से निकालकर संदेश देने की कोशिश की है कि उनके स्टार स्टेटस के सामने कार्तिक की ख्याति कुछ भी नहीं है। विनाशकाल है और बुद्धि विपरीत दिशा में चल निकली है।
सुशांत के मामले पर दर्शकवर्ग पिछले एक वर्ष से हिन्दी फिल्मों की अर्थी सजा रहा है और अब ये कार्तिक आर्यन वाला नया प्रकरण हो गया। अब तो बॉलीवुड के लिए कोढ़ में खाज वाली स्थिति बन गई है। पहले सुशांत, फिर कंगना और अब कार्तिक। गौर करने वाली बात है कि ये तीनों ही आउटसाइडर्स हैं और अपनी ही इंडस्ट्री से प्रताड़ित हैं। अब और कैसे सिद्ध किया जाए कि मुंबई में बाहर से आने वाले कलाकारों के साथ क्या व्यवहार हो रहा है।