विपुल रेगे। स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘म्यूनिख’ में इजराइल नामक देश संपूर्ण रुप से प्रतिबिंबित होता है। सन 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के समय फिलिस्तीन के आठ आतंकियों ने इज़राइल की ओलंपिक टीम के 9 सदस्यों की नृशंस हत्या कर डाली थी। उस दुर्भाग्यपूर्ण सितंबर को ‘ब्लैक सितंबर’ के नाम से जाना जाता है। स्पीलबर्ग की महान फिल्मों में से एक है म्यूनिख। इज़राइल क्या है, उसे ये फिल्म सुंदर रुप से परिभाषित करती है। इजराइल और फिलिस्तीन एक बार फिर आमने-सामने है और इजराइल का तो चरित्र रहा है कि वह समस्या का जड़ से निदान करता है।
इजराइल चर्चा का विषय बना हुआ है। फिलिस्तीन के साथ उसका वर्तमान संघर्ष बड़ा होता दिखाई दे रहा है। यरुशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद में हुए विवाद ने बड़ा रुप धर लिया। रमज़ान माह में अल-अक्सा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। इज़राइल और फिलिस्तीन के आमने-सामने होने के कारण वे नहीं हैं, जो मैन स्ट्रीम मीडिया में दिखाए जा रहे हैं।
वहां श्रद्धालुओं की संख्या सीमित कर दिए जाने के कारण विवाद नहीं पनपा था। इज़राइली न्यायालय ने शेख ज़र्राह क्षेत्र में रहने वाले सात फिलिस्तीनी परिवारों को हटने का आदेश दे दिया था। अल अक्सा मस्जिद में जुम्मे की आखिरी नमाज़ के दौरान दस हज़ार लोगों की भीड़ ने पत्थरबाज़ी शुरु कर दी। इज़राइली पुलिस ने नियंत्रण बनाए रखने के लिए फायरिंग कर दी। बस यही बात फिलिस्तीन को चुभ गई।
इसके बाद उसने इज़राइल की ओर लक्ष्य साधकर एक हज़ार से अधिक रॉकेट दाग दिए। फायरिंग के बदले ऐसी सैन्य कार्रवाई करना क्या अर्थहीन आक्रमकता नहीं है। इसके बाद इज़राइल ने प्रत्युत्तर देना शुरु कर दिया। अब वह रुकने वाला नहीं है। जो फिलिस्तीनी रॉकेट उसके एयर डिफेंस सिस्टम ‘आयरन डोम ‘ की सीमा से बाहर थे, उन्होंने इज़राइल के रहवासी क्षेत्रों को भयंकर क्षति पहुंचाई है।
कल इज़राइल ने कहा भी है कि उसका एयर डिफेंस न होता तो उनके यहाँ अधिक तबाही मचती। सन 2017 के बाद फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच ये सबसे बड़ा संघर्ष बताया जा रहा है। इसे लेकर विश्व समुदाय की प्रतिक्रियाएं आना शुरु हो गई है। अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति ने स्पष्ट कहा है कि इज़राइल को अपनी सुरक्षा करने का पूरा अधिकार है।
भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ग़ाज़ापट्टी से हो रहे रॉकेट हमलों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। ये तो निश्चित है कि विश्व का कोई देश इस मामले में सैन्य दखल नहीं देने वाला है। यहाँ तक कि अरब देश भी बस बयानबाज़ी तक सीमित रहने वाले है। कोरोना काल में विश्व आर्थिक और सामाजिक रुप से पहले ही चोट खाकर लड़खड़ाया हुआ है। ऐसे में युद्ध टाले ही जाए तो बेहतर है।
हालांकि इज़राइल पर युद्ध थोपा गया है। अल अक्सा मस्जिद में की गई कार्रवाई का प्रतिशोध फिलिस्तीन ने सैन्य कार्रवाई करके दिया है। इस्राइली सरकार ने अपने नियंत्रण वाले शेख ज़र्राह क्षेत्र में सेना को पहले ही सतर्क कर दिया था। उसके पास गुप्त सूचना थी कि क़स्बा ब्रिगेड के कमांडर-इन-चीफ मोहम्मद जाफ के नेतृत्व में फिलिस्तीन यरुशलम पर कब्ज़ा करने की फ़िराक में है।
मोहम्मद जाफ लंबे समय से इज़राइल के लिए सिरदर्द बना हुआ है। फिलिस्तीन इस बार विद्रोहियों के कंधे पर सवार होकर पवित्र भूमि पर नियंत्रण चाहता था, लेकिन इज़राइल की सजगता ने ऐसा होने नहीं दिया। इज़राइल ने अब तक हमास के 11 कमांडरों को मृत्युदंड दे दिया है। उसने प्रण ले लिया है कि वह स्वयं पर हुए हमले का प्रतिशोध लेकर रहेगा। मैंने ऊपर म्यूनिख फिल्म की बात की थी। उसमे इज़राइल एक टीम बनाता है।
वह टीम एक एक कर उन सभी लोगों को मारती है, जिन्होंने म्यूनिख ओलंपिक में इस्राइली खिलाड़ियों की जान ली थी। उसका चरित्र है कि वह अपने शत्रु को आखिरी दम तक नहीं छोड़ता। चीता विश्व का सबसे तेज़ शिकारी है। उसके हाथ आया शिकार आसानी से नहीं छूट पाता। वैश्विक समुदाय में इज़राइल की दृढ़ता और किलर स्टिन्क्ट उसे चीता बनाती है। उसकी दौड़ संपूर्ण विश्व में सबसे तेज़ है। आज उसके दांतों में हमास की गर्दन है, जो छूटना मुश्किल है।