विपुल रेगे। सीता का चरित्र परदे पर उतारने के लिए बारह करोड़ की फीस मांगने वाली अभिनेत्री करीना कपूर अब शायद ही इस किरदार के लिए हाँ कहेंगी। निश्चित है कि करीना के बाद इस फिल्म को बनाने वाले दूसरी अन्य अभिनेत्रियों से संपर्क साधेंगे। विचारणीय प्रश्न है कि सीता के किरदार के लिए चयनित किसी दूसरी अभिनेत्री की ऑफ स्क्रीन इमेज ऐसी होगी कि वह सीता का चरित्र परदे पर ढाल सके। वास्तव में हिन्दी फिल्म उद्योग में ऐसी कोई अभिनेत्री है ही नहीं, जो इस किरदार को कर सके। फिर ये भी देखना आवश्यक है कि इस करोड़ों की फिल्म के पीछे का फाइनांसर आखिर कौन है।
इंडिया स्पीक्स डेली के मंच पर लगभग तीन माह पूर्व ही बता दिया गया था कि जो प्रोडक्शन हाउस इस फिल्म को बनाने जा रहा है, उसका स्वयं का एक वेब पेज तक नहीं है। करोड़ों का निवेश करने वाले की समझ पर आश्चर्य होता है कि वह एक ऐसे निर्देशक को इतनी भव्य फिल्म की कमान सौंप देता है, जिसकी अब तक इंडस्ट्री में कोई पहचान ही नहीं है।
अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि एक फ्लॉप निर्देशक अलौकिक देसाई पर करोड़ों का दांव खेलने वाला आखिर है कौन। विगत तीन माह से फिल्म के निर्देशक कलाकारों की खोज में लगे हुए हैं। फिल्म निर्देशक अलौकिक देसाई ने इसके पहले आलिया भट्ट से भी सीता के किरदार के लिए संपर्क किया था। फिल्म में राम की भूमिका के लिए किससे बात की जा रही है, ये भी अस्पष्ट है। पौराणिक नायकों पर फिल्म बनाने की प्रक्रिया ऐसी तो नहीं होती, जैसी इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने अपनाई हुई है।
अब बात करते है ऑन स्क्रीन और ऑफ स्क्रीन इमेज की। करीना कपूर खान चालीस वर्ष की हो चुकी हैं और अब उनकी फैन फॉलोइंग पहले जैसी नहीं रही। हिन्दू धर्म के प्रति दोयम दर्जे का रवैया रखने के कारण एक वर्ग में उनकी छवि अच्छी नहीं है। विगत कुछ वर्षों से वे बहुत ही औसत किरदार करती चली आ रही हैं। उनके निभाए किरदार इतने सहज नहीं हैं कि दर्शक उनको सीता माता के रुप में स्वीकार कर सके।
उनके बेटे का नाम तैमूर है। सब जानते हैं कि तैमूर के पिता ने ये नाम हिन्दुओं को चिढ़ाने के लिए रखा था। एक तरफ करीना सीता के किरदार को करने के लिए बारह करोड़ की मांग करती हैं तो दूसरी ओर उनके अभिनेता पति सैफ अली खान रावण द्वारा सीता के अपहरण को सही ठहराते हैं। तो उनकी ऑफ स्क्रीन और ऑन स्क्रीन छवि इस तरह की नहीं है कि उनको सीता का चरित्र निभाने दिया जाए।
मुझे आश्चर्य है कि ये प्रोजेक्ट संदिग्ध होते हुए भी देश के सूचना व प्रसारण मंत्रालय की नींद नहीं टूट रही है। क्या वह पद्मावत जैसा विवाद दोहराने की प्रतीक्षा कर रहा है। क्या सूचना व प्रसारण मंत्री ये नहीं जानते कि ये देश सीताराम का देश है। हमारे आराध्य को लेकर निरंतर खिलवाड़ चल रहा है। यदि ये फिल्म इस तरह के कलाकारों को लेकर बनाई जाएगी, तो केंद्र सरकार को उत्तर देना मुश्किल पड़ने वाला है।