जब से असम के नए मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत बिस्वा सरमा ने सूबे के कमान को संभाला है तब से इस राज्य में अस्थिरता फैलाने की लगातार कोशिश जारी है। इस बार असम के दरांग जिले के ढोलपुर गोरुखुटी में बृहस्पतिवार को पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई और इस झड़प में कम से कम दो प्रदर्शनकारी मारे गए जबकि 9 पुलिसकर्मियों भी घायल हो गए ।
बताया जा रहा है कि पुलिस और लोगों के बीच ये झड़प तब हुई जब सुरक्षाकर्मियों की एक टीम अवैध अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए गई थी।असम सरकार ने दरांग जिले के ढोलपुर गोरुखुटी गांव में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था और दावा किया गया कि इससे 800 परिवार बेघर हो गए थे लेकिन सच्चाई यह थी कि बंगाल मूल के मुसलमान अवैध कब्जा करके वहां रह रहे थे।
इस गांव में पहली बार जून में ऐसा अभियान चलाया गया था, जिसके बाद फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने यहां का दौरा किया था जबकि कमेटी ने बताया था कि उस अभियान में 49 मुस्लिम परिवार और एक हिंदू परिवार को यहां से हटाया गया था। इतना ही नहीं गांव की 120 बीघा जमीन को खाली कराया गया था, जो प्राचीन शिव मंदिर से जुड़ी थी।
मंदिर की जमीन पर बांग्ला मूल के मुसलमानों ने अवैध तौर पर कब्जा करके रहना शुरू कर दिया था, जिसके बाद इस तरह के अतिक्रमण को हटाने मौके पर पुलिस प्रशासन गई थी जिसके बाद यह बवाल हुआ। मामले पर विवाद बढ़ता देख असम सरकार ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं और ये जांच गुवाहाटी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में होगी।
इस घटना के विरोध में ऑल असम माइनोरिटीज स्टूडेंट्स यूनियन, जमीयत और दूसरे संगठनों ने शुक्रवार को दरांग जिले में 12 घंटे का बंद बुलाया और इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख और घायलों को 5 लाख रुपये देने की मांग की जबकि अवैध तौर पर कब्जा जमा कर बैठे बांग्ला मूल के मुसलमानों के समर्थन में राहुल गांधी उतर आए और ट्वीट किया ‘असम राज्य प्रायोजित आग में जल रहा है और मैं असम में अपने भाई-बहनों के साथ खड़ा हूं।
लेकिन राहुल गांधी ने अवैध कब्जा को लेकर कुछ नहीं बोला इससे पता चलता है कि वह किस तरह की तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे हैं। इस घटना में एक घायल के शरीर पर कूदने के आरोपी कैमरामैन को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि प्रदेश सरकार को बदनाम करने के लिए इस घटना का वीडियो वायरल किया जा रहा है।
कांग्रेस ने इस मामले में जिले के एसपी पद पर तैनात मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के छोटे भाई को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है जबकि सरकार ने इस पूरे प्रकरण को लेकर विरोधी दलों द्वारा सांप्रदायिक राजनीति करने के प्रयास को घिनौना करार दिया है।