एक हरे टिड्डे IAS ने कश्मीरी हिंदुओं की पीड़ा को वैश्विक बनाए जाने से चिढ़कर निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को #TheKashmirFiles की कमाई कश्मीरी पंडितों को दान करने का यूटोपियाई बयान दे डाला। फिर क्या था? ‘पंचमक्कारों’ के साथ कुछ ‘कथित राष्ट्रवादी’ भी उस जिहादी IAS की लाईन लेकर विवेक के विरुद्ध कूद पड़े।
एक तो इस देश में स्वतंत्रता के बाद की पीढ़ी सनातन जड़ से विहीन है, दूसरा नेहरू-इंदिरा के लंबे कालखंड एवं सोवियत प्रभाव वाली राजनीति व अर्थव्यवस्था के कारण उसके अवचेतन में समाजवाद गहरा धंसा हुआ है।
इन लोगों में सनातन की जरा भी समझ होती तो माता लक्ष्मी का सम्मान करते हुए सोचते कि विवेक पर लक्ष्मी और बरसे ताकि वह हिंदुओं की पीड़ा को उजागर करती फिल्में और बना पाए व अन्य निर्देशक भी ऐसी फिल्मों की व्यवसायिक सफलता से प्रेरित होकर दबी सच्चाई को उजागर करने के लिए आगे आएं। सनातन धर्म कर्म प्रधान है और समाजवाद छिनैती-डकैती प्रधान!
पंचमक्कारों के कमर से कमर सटाते हुए कथित राष्ट्रवादी भी चाहते हैं कि विवेक इनके कहने पर चैरिटी खोल ले ताकि आगे ऐसी फिल्म बना ही न सके। यही समाजवाद है।
रात दिन हिंदू की माला जपना अलग बात है और सनातन में गहरे उतरना अलग बात। ऐसे लोगों ने चाटा तो समाजवादी अफीम है, लेकिन बहुरूपिया बनकर दिन- रात टर्राते हिंदू-हिंदू हैं।
सनातन के चार पुरुषार्थ-धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष में भी अर्थ का स्थान प्रबल है। लेकिन इनको सनातन से क्या लेना? ये तो एक की संपत्ति छीन कर दूसरों को दान देने वाले समाजवादी कोढ़ की वैचारिक पैदाईश हैं। ऐसी समाजवादी पैदाईशों से बच कर रहें।
करीब एक सप्ताह पहले ऐसी ही आशंका से मैंने कंटेंट के सम्मान को लेकर पोस्ट लिखी थी। मेरी आशंका फिर सही साबित हुई। लिंक:- https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10224385688902007&id=1598988153