अर्चना कुमारी । इस्लामी आतंकवादियों का खौफ इस कदर है कि बिहार के सीतामढ़ी जिले में नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर एक युवक को चाकू से हमला कर उसे जख्मी कर दिया गया। जख्मी युवक अंकित झा अस्पताल में भर्ती है और उसकी हालत गंभीर बताई जाती है। फिलहाल पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है लेकिन नूपुर शर्मा एंगल से इनकार कर दिया।
पुलिस सूत्रों का कहना है बीजेपी से निष्कासित नूपुर शर्मा का समर्थन करने वाले इस्लामी चरमपंथियों के शिकार बन रहे हैं और सरकार इस पर नकेल कसने में अक्षम साबित हो रही है । बिहार के सीतामढ़ी में सोशल मीडिया पर स्टेटस लगाने पर अंकित झा नामक युवक को चाकू से गोद दिया गया ।
अंकित झा का कहना है कि 15 जुलाई को उसके गांव के कुछ दूरी पर चाय दुकान पर कुछ लोग आए और उससे उससे पूछा कि क्या वह नूपुर शर्मा का समर्थक है? इस पर अंकित ने हां कहा तो हमलावरों ने पहले हाथापाई की और फिर चाकू से उसके पेट एवं कमर से 6 वार कर दिए। अंकित ने उसी वक्त दो हमलावरों को पकड़ लिया लेकिन करीब 25 लोगों की भीड़ आई और उन्हें छुड़ा ले गई। पुलिस सूत्रों का कहना है कि अंकित घटना के समय कुछ दोस्तों को नूपुर शर्मा के समर्थन में उसका वीडियो दिखा रहा था जब उस पर हमला किया गया।
लेकिन पुलिस का दावा है कि यह दो गुटों में आपसी विवाद का नतीजा है क्योंकि सिगरेट के धुए छोड़ने को लेकर वहां पर विवाद हुआ था जबकि अंकित का कहना है कि हमलावरों से उसकी कोई जान पहचान नहीं है। मीडिया में खबर आने के बाद सीतामढ़ी पुलिस मामले में तत्परता दिखाते हुए चार युवक गोड़ा उर्फ गुलाब रब्बानी, मोहम्मद नेहाल, मोहम्मद हेलाल और मोहम्मद बेलाल को आरोपी बनाया गया है। इनमें से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है।
हालांकि पुलिस ने नूपुर शर्मा एंगल से इनकार कर दिया है। सीतामढ़ी पुलिस ने अपनी सफाई में कहा है कि अंकित के भाई आशीष कुमार झा ने एफआईआर में नूपुर शर्मा को लेकर हुए विवाद का कोई जिक्र नहीं किया। अंकित के मुंह पर सिगरेट का धुआं छोड़ने को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ था। इसके बाद नशे में 4-5 लोगों ने वारदात को अंजाम दे दिया।
यह वारदात 15 जुलाई को हुई लेकिन अब शरारती तत्व इसे सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।मामले की जांच कर उनकी पहचान की जा रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन कहा यह भी जा रहा है कि सीतामढ़ी पुलिस के दबाव में आकर उसके भाई ने इस तरह का बयान दिया क्योंकि पुलिस नूपुर शर्मा का नाम लेते ही प्राथमिकी दर्ज करने को तैयार नहीं थी।