मुफ्त अनाज योजना पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है वर्तमान सरकार को ।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को एक बार फिर 3 महीने के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। 2 वर्ष तक मुक्त अनाज बांटने के बाद अब इस योजना को आगे बढ़ाया जाना यानी लोगों को मुफ्तखोरी की आदत डालने के समान है।
इस योजना से सरकार को 45,000 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। यदि इतना ही धन मुफ्त अनाज में खर्च करने के बजाय लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने में खर्च किया जाता तो गरीबों को आजीवन अपने हाथों से रोटी कमाने का आधार मिल जाता और उन्हें सरकार पर निर्भर नहीं होना पड़ता।
सरकार ने अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए देश पर 45000 करोड रुपए का अनावश्यक बोझ लादा है। कोरोना काल में मुफ्त अनाज देना बहुत सही काम था और समझ में भी आता है ,लेकिन अब जबकि सभी प्रकार से हालात सामान्य हो चुके हैं फिर भी मुफ्त अनाज देते रहना सरकार का एक गलत निर्णय है, एक अविवेकपूर्ण निर्णय है, सही नहीं है। मेरे अनुसार सरकार को इस पर एक बार पुनः विचार करना चाहिए क्या वास्तव में हमेशा मुफ्त अनाज वितरित करना एक सही कार्य है? हां यह एक अच्छा कार्य है लेकिन जब समस्याएं विपरीत हो! जिस पर वित्त मंत्रालय पहले ही आपत्ति जता चुका है।
राष्ट्र हित में सरकार को इस योजना पर पुनर्विचार करके इसे तत्काल खत्म करना चाहिए।।
राजन महुआ (अर्थशास्त्र विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय)