अर्चना कुमारी। केंद्र की सत्ता हासिल होने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक कथित तौर पर मुस्लिमों के वोट को पाने के लिए उनके प्रति लगातार सॉफ्ट कॉर्नर अपना रही है। यही वजह है कि मोहन भागवत से लेकर नरेंद्र मोदी तक मुसलमानों के प्रति नरम रवैया अपनाते हुए उन्हें अपने संगठन में भी शामिल करने से नहीं चूकते लेकिन यह दीगर बात है कि मुस्लिम अभी भी भाजपा तथा आर एस एस को बिल्कुल पसंद नहीं करते जबकि अब तो भाजपा का मुस्लिम चेहरा हिंदुओं को डराने लगा है। पहले नूपुर शर्मा को लेकर राजस्थान में टेलर कन्हैयालाल का गर्दन कथित तौर पर भाजपाई मोहम्मद रियाज तथा उसके जिहादी दोस्त ने काटा । इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर में तो इनका भाजपाई मुस्लिम चेहरा आतंकी निकला था लेकिन यह सिलसिला यहीं नहीं रुका और कथित तौर पर भाजपाई बने मुस्लिमों ने हिंदुओं पर पिछले कई महीने के भीतर कई तरह के अत्याचार किए। इन दिनों राहिल हसन चर्चा में है क्योंकि उसके भाई का नाम उमेश पाल की हत्या में आया है ।
बताया जाता है कि राहिल हसन प्रयागराज में भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा का अध्यक्ष है। यह व्यक्ति लंबे समय से भाजपा से जुड़ा है और कुछ दिन पहले ही राहिल के भाई मोहम्मद गुलाम का नाम उमेश पाल के मर्डर में सामने आया था। दावा किया गया है कि उसने कथित तौर पर उमेश पाल और उसके गनर पर गोलियां बरसाईं थी ,पता चला है कि गुलाम को अतीक अहमद का करीबी भी बताया जाता है। इस घटना में उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी।
सूत्रों का दावा है कि इस तरह के खुलासे के बाद बीजेपी जिलाध्यक्ष गणेश केशरवानी ने आरोपी गुलाम के भाई राहिल हसन को पार्टी से निष्काषित कर दिया है । भाजपा में ऐसे मुस्लिम नेताओं की लगातार किरकिरी हो रही है जो विभिन्न पार्टियों से भाजपा में शामिल होकर पार्टी की गतिविधि की जासूसी करते हैं और किसी बड़ी आपराधिक वारदात को अंजाम देने से नहीं चूकते। ऐसे लोग मानसिक तौर पर तो जिहादी विचारधारा से ओतप्रोत हैं जबकि उनका भाजपा में शामिल होने का मकसद सिर्फ यहां आकर जासूसी करना होता है।
जिस कथित भाजपाई राहिल हसन जिसका भाई उमेश पाल की हत्या में शामिल रहा है वह भाजपा में रहते हुए कथित तौर पर जासूसी ही कर रहा था। गौरतलब है कि 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी। इस बहुचर्चित मामले में केस के मुख्य गवाह उमेश पाल ही थे लेकिन पिछले दिनों शुक्रवार, 24 फरवरी की शाम को उमेश पाल और उनके सरकारी गनर की प्रयागराज में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई।
बताया जाता है कि घटना के समय उमेश गाड़ी से उतर रहे थे तभी बदमाशों ने उन पर फायरिंग कर दी। बाद में उमेश पाल को स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। दावा किया गया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि पाल को सात गोलियां मारी गई थीं। बाद में मामले की जांच करते हुए प्रयागराज पुलिस ने पाया कि सभी बदमाश क्रेटा गाड़ी में उमेश के घर के बाहर पहुंचे थे, आरोप है उस गाड़ी को अरबाज ही चला रहा था ज्योति कामत का खास गुरु का बताया गया हालांकि बाद में मुठभेड़ में उसे मार गिराया गया।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि मामले में मोहम्मद गुलाम, मोहम्मद उर्फ गुड्डू मुस्लिम, पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, 2 बेटों सहित 9 अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया गया। उमेश पाल की हत्या की साजिश मुस्लिम हॉस्टल में तैयार हुई और इस केस का मास्टरमाइंड अतीक अहमद फिलहाल गुजरात की साबरमती जेल में बंद है। दावा किया गया है कि जेल से ही अतीक अहमद ने ही हत्याकांड की साजिश रची।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 24 फरवरी को अधिवक्ता उमेश पाल की हत्या के बाद से योगी सरकार बाहुबली अतीक अहमद के गिरोह को मिट्टी में मिलाने की कार्रवाई में जुट गई है और पुलिस का दावा है कि शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन अतीक के दो करीबियों पर बुलडोजर कार्रवाई की गई।
दावा किया गया है कि सबसे पहले प्रयागराज में अतीक के करीबी मसकुद्दीन के मकान पर बुलडोजर चला, फिर कौशांबी में अतीक के शूटर का घर ध्वस्त किया गया। बताया जाता है शूटआउट केस से एक हफ्ते पहले ही अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महानगर अध्यक्ष राहिल हसन ने बीजेपी ऑफिस में मंत्री दानिश आजाद अंसारी का कार्यक्रम आयोजित कराया और कहा गया है कि शूटआउट केस में गुलाम को शूटर बताया जा रहा है और वह वारदात के बाद से ही लगातार फरार चल रहा है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि सोशल मीडिया पर हो रही थी किरकिरी के बाद उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने गुलाम के भाई और बीजेपी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महानगर अध्यक्ष राहिल हसन को हिरासत में ले रखा है और उनसे उमेश हत्याकांड के बारे में पूछताछ हो रही है।