कमल नाथ के शपथ ग्रहण समारोह में ‘गोल घेरे’ में दिखाई दे रहा ये शख्स कोई संत नहीं है। इसका इतिहास अपराध के गलियारों से जुड़ा हुआ है। संत की वेशभूषा में दिखाई दे रहा ये व्यक्ति यहाँ क्या कर रहा है। क्या कमल नाथ का मीडिया मैनेजमेंट इस व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी रखता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही कमल नाथ विवादों में घिरते चले जा रहे हैं। एक आपराधिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति कमल नाथ के आमंत्रितों में जगह पाता है तो ये निराशाजनक होने के साथ मध्यप्रदेश के लिए चिंताजनक भी है।
मंच पर कम्प्यूटर बाबा की बगल में बैठा व्यक्ति ‘बाली बाबा’ के नाम से जाना जाता है। ग्वालियर में इसका कुख्यात इतिहास रहा है। पीले रंग के साफे में मंच पर विराजमान इस व्यक्ति के खिलाफ पंजीबद्ध अपराध दर्ज हो चुके हैं। इसका इतिहास बताता है कि बाली बाबा भिंड जिले में डकैती में शामिल रहा था। पुलिस के डर से ग्वालियर के मुरार भाग आया था। ये सन 1978-79 के आसपास की बात है जब बाली बाबा भागकर मुरार आ गया था। इसका नाम पहले रतिराम बाबा हुआ करता था। बाद में इसने अपना नाम बदलकर बाली बाबा कर लिया।
उस ज़माने में ग्वालियर में एक ट्रस्ट हुआ करता था, रामसरिया सरकार ट्रस्ट। इस ट्रस्ट को रामसरिया सरकार नामक महिला चलाती थी। इसी जगह पर एक आश्रम है जो आज भी चल रहा है। यहाँ हनुमान की सिद्ध मूर्ति है। रामसिया एक बहुत ही धार्मिक पृवत्ति की शालीन महिला हैं। उन दिनों इस आश्रम पर कई लोगों की नज़र थी। बाली बाबा ने किसी तरह रामसिया का विश्वास हासिल किया और आश्रम में दाखिल हो गया। बाद में उन्हें पता चला कि ये कोई संत नहीं है । उन्होंने बाली बाबा को आश्रम से बेदखल कर दिया।
इंडिया स्पीक्स डेली ने सत्य की पुष्टि करने के लिए उस वक्त ग्वालियर क्षेत्र में तैनात दो डीएसपी से चर्चा की। राकेश सिन्हा और कमलकांत दीक्षित उस दौर के डीएसपी हैं जब सियाराम सरकार का मामला प्रकाश में आया था।
रामसिया काफी शालीन और प्रभावशाली महिला हैं। वहां कई अधिकारी लोगों का आना जाना हुआ करता था। आश्रम में हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन करने शहर के काफी लोग जाया करते थे। बाली बाबा को वहांसे अवांछित गतिविधियों के चलते निकाल दिया गया था। बाली बाबा नाम बदलकर फरार हो गया था। उसके बाद मैं सेवानिवृत्त हो गया था।
राकेश सिन्हा (पूर्व डीएसपी ग्वालियर रेंज)
बाली बाबा के बारे में इतनी ही जानकारी है कि वह अच्छी छवि का व्यक्ति नहीं है। मैं इस मामले से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा था लेकिन उतनी जानकारी जरूर थी कि रामसिया अधिकारियों से बाली बाबा के संदर्भ में सहायता माँगा करती थी।
कमलकांत दीक्षित ( पूर्व डीएसपी ग्वालियर रेंज)
कमलनाथ के मंच पर अपराधी आमंत्रित किये जाते हैं। उन पर 1984 के दंगों में भीड़ को उकसाने का गंभीर आरोप लग रहा है। शपथ लेने के साथ ही उन्होंने कह दिया कि यूपी-बिहारियों के कारण मध्यप्रदेश के युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाती। मध्यप्रदेश को ये कतई नहीं बताया गया था कि कमल नाथ को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। एक मुख्यमंत्री के रूप में उनकी स्वीकार्यता कभी नहीं थी। वे प्रदेश पर थोप दिए गए हैं और शपथ लेते ही जातिवादी बयान आखिर प्रदेश को कहाँ ले जाएंगे। एक भगोड़ा अपराधी उनके साथ मंच साझा करता है तो वे प्रदेश में अपराधों से कैसे निबटेंगे।
URL: Kamal Nath on Monday took oath as the 18th chief minister of Madhya Pradesh
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