घर में तीन महिनें हेल्प का काम करने के बाद, अचानक मंजु ने कहा कि क्या आप डॉक्टर हैं ? मैंने उसे बताया कि मैं डॉक्टर नहीं हूँ, पर मैं लोगों की हर बीमारी का इलाज करता हूँ ? इस बात पर अचंभित होते हुये उसने पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है की आप देश-विदेश में लोगों का इलाज करते हैं परंतु आप डॉक्टर नहीं हैं ? मैंने सरल शब्दों में उसे अपने काम के बारे में बताया तो कौतूहल बस पूँछ बैठी की क्या आप बच्चों का भी इलाज करते हैं ? मैंने कहा हाँ, बच्चे के पेट में आने के पहले से किसी भी उम्र के व्यक्ति का इलाज करता हूँ।
यह सुनते ही उसने बताया की उसकी छोटी बहन नंदिनी की एक 3 साल की बेटी है जिसका नाम रक्षा है, जो दिन में उसके बच्चों के पास ही रहती है, क्योंकि सभी काम पर जाते हैं। वह दिन भर एक ही जगह पर बैठी रहती है और रीं-रीं करके रोती रहती है। उसकी साँस फूलती है, चल-फिर नहीं पाती, खाना भी बहुत कम खाती है, पेट फूल गया है और कभी-कभी रोते-रोते नीली पड़ जाती है। डॉक्टरों ने दिल की बीमारी बताई है और कहा है की ऑपरेशन करना होगा, परंतु बच्चे की हालत देखते हुए ऑपरेशन करना भी सम्भव नहीं है, लगता है बचेगी नहीं। क्या आप इसका भी इलाज कर सकते हैं। मैंने उसे रिपोर्ट दिखाने के लिए कहा तो अगले दिन ही रिपोर्ट लेकर आ गई, जो नीचे अवलोकन हेतु संलग्न है –
रिपोर्ट देखने के बाद मैंने उसे बताया की बीमारी तो बहुत बड़ी है, समय और पैसा लगेगा पर बिना ऑपरेशन के ठीक हो जायेगी। यह सुनते ही ख़ुशी से उसके आँसू निकल आये। उसने कहा कि आप पैसों की चिंता ना करें, हम सब कमा कर आपका भर देंगे परंतु बच्ची की जान बचा लीजिये। रक्षा को मुख्यरूप से ‘जन्मजात एसियानोटिक हार्ट डिज़ीज़’ थी, जिसमें उसे 6.8mm X 3mm का होल हार्ट के लेफ़्ट और राइट वेंट्रिकल्लस को विभाजित करने वाली वाल पर था, जिसके कारण लेफ़्ट और राइट वेंट्रिकल्लस में आपस में ही खून का संचार होता था। जिससे हार्ट सही ढंग से काम नहीं कर पा रहा था। इसके अलावा कुछ अन्य समस्याएँ भी हार्ट में थीं जिनका उल्लेख रिपोर्ट में है।
इस इलाज में लगभग बारह हज़ार रुपये प्रतिमाह का खर्च था, जो रक्षा के घर वालों के लिए बहुत बड़ा अमाउंट था, ख़ासकर कोरोना काल में जब सभी के काम बंद हो गये थे और रोज़ी-रोटी के लाले पड़े थे। मंजु ने कहा आप पैसों की चिंता ना करें, इलाज शुरू करें, जिंदा रहे तो आपका पैसा एक-एक करके चुका देंगे, क्योंकि कोरोना की दहशत लोगों में घर कर गई थी। शुरुआती 4 महीने के सप्लीमेंट, Be Humane Charitable Trust, द्वारा स्पॉन्सर किए गए। रक्षा में अप्रत्याशित सुधार शुरू हुआ। चार महीनों में वह पूरी तरह से स्वस्थ दिखने लगी थी।
रक्षा के माता-पिता आश्वस्त हो चुके थे कि उनकी बेटी बिना ऑपरेशन के ठीक हो जाएगी। उसके आगे के सप्लीमेंट बहुत ही रियायती मूल्य पर उसके अभिभावकों ने 4 महीने और चालू रखा। 3 जनवरी 2022 को रक्षा की जाँच से पता चला की अब मात्र 2mm का होल है जिसमें सिर्फ़ लेफ़्ट से राइट शंट ही बचा है, रिपोर्ट अवलोकन हेतु नीचे संलग्न है।यह होल भी बंद हो गया होता यदि रक्षा के माता-पिता ने कुछ समय के लिए सप्लीमेंट कम नहीं किए होते।रक्षा के अभी भी सप्लीमेंट चल रहें हैं और उम्मीद है की समय के साथ बचा हुआ होल भी भर जायेगा और रक्षा बिना किसी सर्जरी के आगे का जीवन स्वस्थ रूप से जी पायेगी।
कमांडर नरेश मिश्रा
फ़ाउंडर ऑफ़ ज़ायरोपैथी
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