अर्चना कुमारी इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद के 15 साल पुराने एक फतवे के खिलाफ सहारनपुर जिला प्रशासन कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
जिलाधिकारी डा. दिनेश चंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो से पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि दारूल उलूम ने 2009 में देश विरोधी फतवा जारी किया था जिसमें भारत के इस्लामीकरण की बात कही गयी है।
उच्चाधिकारियों के निर्देश पर एसडीएम अंकुर वर्मा और पुलिस उपाधीक्षक अशोक शिशोदिया दारूल उलूम देवबंद पहुंचे जहां उन्होंने संस्था के सभी जिम्मेदार पदाधिकारियों से बातचीत की।
संस्था के सर्वोच्च अधिकारी मोहतमिम अबुल कासिम नौमानी ने बताया कि एक सवाल के जवाब में संस्था की ओर से कुछ साल पूर्व इस तरह का फतवा दिया गया था जो संस्था की वेबसाइट दारूल इफ्ता पर पड़ा हुआ है। बातचीत में दारूल उलूम के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे।
पुलिस अधिकारी अशोक शिशोदिया ने बताया कि प्रशासन बैठक कर सभी कानूनी पहलुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है। किन धाराओं में और किन लोगों के खिलाफ मुकदमा किया जाएगा। ये सब बिंदु पर विचार किया जा रहा है। उच्चाधिकारियों को इस जानकारी से अवगत कराया गया है। जिलाधिकारी ने जल्द ही कार्रवाई किए जाने की बात कही है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि दारूल उलूम देवबंद ऐसी शिक्षा दे रहा है जो भारतीय हितों के खिलाफ है और ऐसी तालीम से बच्चों के मन में हिंदुओ/भारतीयों के प्रति घृणा और युद्ध की भावना जैसे भाव पैदा होंगे। ऐसी शिक्षा दिया जाना बच्चों के अधिकारों सीपीसीआर एक्ट-2005 के खिलाफ है। सूत्रो ने बताया संभव है
जिला प्रशासन ऐसी सोच रखने वाले हरेक शिक्षण संस्थानों के प्रति कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करे।लेकिन इसके लिए सरकार से हरी झंडी का इंतजार है।