पिछले आठ साल में इस्लामी देश लगातार भारत के मुखिया को पुरस्कृत कर रहे हैं! आखिर सारे मुस्लिम देश भारत के मुखिया को पुरस्कृत क्यों कर रहे हैं? ऐसा क्या किया है मुस्लिम देशों के लिए भारत ने कि सारे मुस्लिम देश के भारत के मुखिया को पुरस्कार देने के लिए लाईन लगाए खड़े हैं?
अब विदेशी संस्थाओं द्वारा वितरित नोबल पुरस्कार, रेमॉन मेगसेसे अवार्ड, बुकर, पुलित्जर जैसे पुरस्कार यदि संदिग्ध हैं तो इस्लामी देशों द्वारा दिया जाने वाला पुरस्कार संदेह से पड़े कैसे हो सकता है? ताली पीटने से पहले कभी सोचा आपने इस पर?
जानकार सूत्रों का कहना है कि असल में इस्लामी देशों से पुरस्कार दिलवाने के पीछे जिसका व्यक्ति का दिमाग है उसके परिवार का बिजनस अरब से पाकिस्तान तक फैला हुआ है। आरोप के अनुसार, उसके परिवार की कंपनी में सऊदी का प्रिंस और एक पाकिस्तानी ISI एजेंट डायरेक्टर है।
इसकी छानबीन करने पर कुछ सूत्र हाथ लगते हैं और फिर एक ताकतवर व्यक्ति और उसके परिवार व उसके पाकिस्तान से अरब तक फैले बिजनस का पता चल जाता है।
आप भी गूगल कीजिए तो पता चल जाएगा कि मुस्लिम देशों में किस व्यक्ति के परिवार का बिजनस है। फिर समझ में आएगा कि यह सरकार बार-बार चाहे-अनचाहे इस्लामी मुद्दों के समक्ष क्यों झुक रही है?
दरअसल यह कोई देश हित या विदेश नीति के कारण नहीं किया जा रहा है, बल्कि साफ-साफ ‘आफिस प्रॉफिट’ का मामला प्रतीत होता है, जिसमें यह सरकार जाने-अनजाने बुरी तरह से फंस चुकी है!
फ्रांस अपने शिक्षक सैम्युअल पैटी के साथ न केवल खड़ा रहा, बल्कि मुस्लिम देशों के द्वारा फ्रांस के बायकाट को भी उसने ठेंगा दिखा दिया! और 130 करोड़ का भारत कतर, कुवैत जैसे छोटे देशों के आगे झुक गया? आपको मीडिया के जरिए समझा भी दिया गया कि यह सब देश हित में किया गया है? और आपने मासूमियत में समझ भी लिया?
थोड़ी छानबीन कीजिए! गहरे राज मिलेंगे! यह दुनिया ढेर सारे ‘एलिट क्लब’ मिलकर चला रहे हैं, बस जनता को ‘देश हित’ का नारा थमा दिया जाता है ताकि उसके मन में उठने वाला सवाल ‘देश हित की तख्ती’ से दब जाए!