भारत की अर्थव्यवस्था को मंदी के नाम पर बदनाम तो किया ही जा रहा है, अब इसे और ज्यादा लाउड करने के लिए रेमाॅन मेग्सेसे के बाद नोबेल पुरस्कार का यूरोपियन-अमेरिकन दांव चला गया है। उस अभिजीत बनर्जी को इस बार अर्थव्यवस्था के लिए नोबेल दिया गया है, जिसने राहुल गांधी की NYAY नामक योजना तैयार की थी, जिसमें गरीब परिवारों को प्रति माह 6 हजार रुपये का रिश्वत देने का वादा, और इसके लिए मध्य वर्ग से कर वसूल कर उसे बर्बाद करने का घातक तरीका ईजाद किया गया था! 2019 के चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र को बनाने में इनकी प्रभुख भूमिका थी।
वीडियो से जानिए अभिजीत बनर्जी की लूटो-बांटों की अर्थनीति!
और राहुल गांधी के प्रिय विषय नोटबंदी पर भी वह राहुल गांधी के साथ थे, यानी नोटबंदी के खिलाफ थे। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की नम्रता काला के साथ संयुक्त तौर पर लिखे गए पेपर में उन्होंने नोटबंदी की आलोचना की थी।
और हां, नेएनयू से अभिजीत पढें हैं, इसलिए गरीबी खत्म करने की बकैती तो उनका प्रिय विषय होना ही है, जिसके लिए नोबेल मिला है। असल में अभिजीत वामपंथी हैं, जो गरीबी, बेरोजगारी की बकैती कर अपनी जेब भरने में मास्टरेट किए होते हैं।
वैसे भी अमर्त्यसेन और रघुराम राजन की का आवाज अब कोई नहीं सुन रहा है, इसलिए भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन करने में जुटे पीएम मोदी के खिलाफ नए मोहरे को मैदान में उतारा गया है।
राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की अभिजीत को ट्वीटर पर बढ चढ कर बधाई देना, बहुत कुछ कहानी बयान कर ही रहा है।
भारतीय हो कर सोचने की आवश्यकता है । यादि हम सोचने की शक्ति है तो सोचए । एक भारतीय को कल आज कल क्या हासिल हुआ है । अभी भी एक आधिकार है और आगे क्या रहेगा । एक भारतीय का एक मत किसी पार्टी को जाये या नहीं जाये इन को एक सरकारी लाभ मिले । आम जनता के लिए सरकारी तंत्र के पास पहुंच कर सुलभ नियम नहीं है । और कठिन हो जाती है। यहां पर उल्लेखनिय है आज मंत्री या जनप्रतिनिधि आम जनता बनकर नहीं जाता है। वह वहां पर जाये तो उस कठिन डगर है। इस लिए भ्रष्ट्राचार पर रोक लगे और सुलभ से सुलभ कार्य करने की क्षमता होनास चाहिए ।