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India Speaks Daily > Blog > समाचार > राजनीतिक खबर > अमित शाह ने फेसबुक पोस्ट लिखकर किया प्रहार! कांग्रेस और उसकी बौद्धिक लॉबी संविधान नहीं ‘गांधी परिवार’ को बचाने के लिए तड़फड़ा रही है!
राजनीतिक खबर

अमित शाह ने फेसबुक पोस्ट लिखकर किया प्रहार! कांग्रेस और उसकी बौद्धिक लॉबी संविधान नहीं ‘गांधी परिवार’ को बचाने के लिए तड़फड़ा रही है!

ISD News Network
Last updated: 2018/04/28 at 8:05 AM
By ISD News Network 260 Views 10 Min Read
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India Speaks Daily - ISD News
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अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष। कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से देश में घृणा और विद्वेष की राजनीति शुरू की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए राहुल गाँधी जिस तरह की शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं, वह न सिर्फ प्रधानमंत्री पद की गरिमा का अनादर है बल्कि उनकी स्वयं की बौखलाहट का परिचारक भी है। राहुल गांधी द्वारा लगातार किया जा रहा मोदी विरोध आज देश विरोध का रूप ले रहा है।

इतिहास गवाह कि कांग्रेस पार्टी ने अनेकों बार न्यायपालिका को अपनी सुविधा के अनुसार तोड़ा-मरोड़ा है

कांग्रेस पार्टी द्वारा तथाकथित संविधान बचाने की मुहिम न सिर्फ जनता को बहकाने का प्रयास है बल्कि हास्यास्पद भी है। स्वतंत्र भारत का इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जिनमें कांग्रेस पार्टी ने एक परिवार के हित के लिये भारत की संवैधानिक संस्थाओं को बार-बार तोड़ा-मरोड़ा है।

आज कांग्रेस पार्टी और उनका समर्थन करने वाली तथाकथित बौद्धिक लॉबी के बीच में भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाना अत्यधिक चर्चा का विषय है। कांग्रेस पार्टी का यह गैर-जिम्मेदाराना रवैय्या मुझे 1973 की याद दिलाता है जब जस्टिस जे.एम. शेलाट, जस्टिस के.एस. हेगड़े और जस्टिस ए.एन. ग्रोवर को नजरअंदाज करके वरिष्ठता में चौथे नंबर के अपने प्रिय जस्टिस ए.एन. राय को इंदिरा गांधी ने देश का मुख्य न्यायाधीश बना दिया था।

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अपने इस असंवैधानिक निर्णय को सही साबित करने के लिए इंदिरा गांधी के एक मंत्री ने कहा था कि, “सरकार को मुख्य न्यायाधीश बनाने से पहले व्यक्ति की फिलॉसफी और आउटलुक को ध्यान में रखना पड़ता है”। यहाँ पर इन मंत्री महोदय का ‘फिलॉसफी और आउटलुक’ का मतलब निश्चित रूप से गाँधी परिवार के प्रति निष्ठा से था। यही कहानी 1975 में दोहराई गई जब इंदिरा गाँधी की लोकसभा सदस्यता को इलाहबाद हाई कोर्ट द्वारा निरस्त करने के बाद जस्टिस एच.आर. खन्ना को दरकिनार कर गाँधी परिवार के प्रति निष्ठा रखने वाले जस्टिस बेग को भारत का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। अतः इतिहास गवाह कि कांग्रेस पार्टी ने अनेकों बार न्यायपालिका को अपनी सुविधा के अनुसार तोड़ा-मरोड़ा है और वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा के विरुद्ध लाया गया महाभियोग प्रस्ताव निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी द्वारा देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का एक और घिनौना प्रयास है।

सेना के राजनीतिकरण से भी कांग्रेस पार्टी को गुरेज नहीं रहा

न्यायपालिका के बाद देश की दूसरी सबसे पवित्र संस्था सेना के राजनीतिकरण से भी कांग्रेस पार्टी को गुरेज नहीं रहा। यूपीए सरकार के समय चीफ आफ आर्मी स्टाफ को किस तरह से आड़े हाथों लेकर सेना को राजनीति में घसीटा गया, वह सभी को पता है। यहाँ तक कि जब हमारे वीर जवानों ने पकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करके हमारे निहत्थे जवानों की हत्या का बदला लेने का साहसी काम किया था तो कांग्रेस पार्टी ने स्ट्राइक का प्रमाण मांग कर हमारे जवानों की वीरता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया।

कांग्रेस ने CAG जैसी तटस्थ संस्था और उसके मुखिया की ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाये
यूपीए कार्यकाल में जब एक-के-बाद-एक लाखों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के मामले जनता के सामने आ रहे थे तो कांग्रेस ने CAG जैसी तटस्थ संस्था और उसके मुखिया की ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाये। कांग्रेस के मंत्रियों ने “जीरो लॉस” का सिद्धांत ला कर देश को बरगलाने का प्रयास किया परन्तु जब मोदी सरकार नीलामी प्रक्रिया में सुधार करके देश के खजाने में लाखो रुपये लाई तो कांग्रेस की कलई खुल गई और यह भी सिद्ध हो गया कि CAG पर कांग्रेस का प्रहार उनकी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने के इतिहास का एक और प्रमाण था।

EVM की तटस्थता पर प्रश्न चिन्ह लगा कर चुनाव आयोग जैसी संस्था को ही शक घेरे में लाने की नाकाम कोशिश

पिछले चार वर्षो में कांग्रेस पार्टी को लगातार प्रादेशिक चुनावों में एक-के-बाद-एक हार मिली है जिससे 2014 में 12 राज्यों में शासन करने वाली कांग्रेस सिर्फ 4 राज्यों में सिमट गई। राहुल गाँधी को देश की जनता द्वारा पूरी तरह से नकारे जाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने आका की साख को बचाने के लिए EVM की तटस्थता पर प्रश्न चिन्ह लगा कर चुनाव आयोग जैसी संस्था को ही शक घेरे में लाने की नाकाम कोशिश की। मजे की बात यह है कि जब भाजपा और राजग को कुछ राज्यों में पराजय मिली तो EVM पर कोई सवाल नहीं उठा। अतः EVM पर चयनात्मक प्रश्न उठाना सिर्फ चुनाव आयोग को व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कमजोर करना ही था।

आपातकाल का एक मात्र उद्देश्य इंदिरा गांधी के पैरों से खिसकती राजनैतिक जमीन को बचाने का प्रयास था
समय और प्रसंग बदलता है परन्तु कांग्रेस पार्टी का जनतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर गाँधी परिवार के स्वार्थ को बचाने का प्रयास जारी रहता है। भारतीय प्रजातंत्र के इतिहास का काला दिन 25 जून 1975 किसे नहीं याद होगा जब देश की सभी संस्थाओं को बंधक बना कर देश में आपातकाल लागू किया गया था। आपातकाल का एक मात्र उद्देश्य इंदिरा गांधी के पैरों से खिसकती राजनैतिक जमीन को बचाने का प्रयास था जिसे कांग्रेस पार्टी ने देश हित का नाम दे दिया। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी ने किस तरह अपने राजनैतिक विरोधियों के साथ प्रेस और दूसरी संस्थाओं का दमन किया, वह इतिहास के पन्नों में कैद है।

विरोधी दलों की प्रादेशिक सरकारों को संविधान के अनुच्छेद 356 के द्वारा अस्थिर करना आम बात

कांग्रेस पार्टी द्वारा असंवैधानिक तरीके से विरोधी दलों की प्रादेशिक सरकारों को संविधान के अनुच्छेद 356 के द्वारा अस्थिर करना आम बात रही है। प्रधानमंत्री नेहरू और कांग्रेस अध्यक्षा इंदिरा गांधी के काल में 1957 में असंवैधानिक तरीके से केरल में कमुनिस्टों की वैध सरकार को बर्खास्त किया गया। इसी तर्ज पर समय-समय पर तेलुगु देशम, सोसलिस्ट और अकाली सरकारों को कांग्रेस पार्टी द्वारा अनुच्छेद 356 की मार सहनी पडी। सरकारों का निरस्तीकरण और विपक्षी नेताओं का दमन बार-बार सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि इन पार्टियों और उनके नेताओं का कांग्रेस से राजनैतिक विरोध था।

गांधी परिवार की दासता न स्वीकार करने वाले संविधान निर्माताओं को भी कांग्रेस पार्टी ने नहीं बख्शा

संविधान ही नहीं, गांधी परिवार की दासता न स्वीकार करने वाले संविधान निर्माताओं को भी कांग्रेस पार्टी ने नहीं बख्शा। सर्वविदित है कि पंडित नेहरू ने स्वयं एक नहीं बल्कि दो चुनावों में बाबा साहब अंबेडकर को हरवाने का काम किया। बाबा साहेब के प्रति कांग्रेस का द्वेषपूर्ण रवैया इस बात से भी साबित होता है कि उसके राज में बाबा साहब को ‘भारत रत्न’ का सम्मान नहीं मिल पाया। यहाँ पर इस बात का उल्लेख भी तर्क संगत है कि जिस वर्ष 1997 में जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ली, उसी वर्ष कांग्रेस समर्थित तीसरे मोर्चे की सरकार ने दलितों और आदिवासियों को पदोन्नति में मिलने वाली प्राथमिकता को ख़त्म किया। बाद में वाजपेयी सरकार ने अनुच्छेद 16(4A) में संशोधन करके दलितों और आदिवासियों को उनका अधिकार वापस दिया।

संविधान बचाओ या परिवार बचाओ?

यह हास्यास्पद है कि जिस पार्टी ने अनेकों बार न्यायपालिका, सेना, चुनाव आयोग, CAG, संसद इत्यादि जैसी संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास किया हो, वह आज “प्रजातंत्र खतरे में है” की दुहाई दे रही है। बाबा साहब द्वारा दिया गया भारत का संविधान अत्यधिक मजबूत और परिपक्व है और जनता की अदालत में फेल होने के बाद कांग्रेस पार्टी द्वारा इसके खिलाफ किया जा रहा प्रचार सिर्फ एक परिवार की राजनीतिक साख को बचाने का एक झूठा प्रचार है।

URL: Amit Shah Attacks Congress, says It has not for save the constitution, it has save the gandhi family

Keywords: Amit Shah Attacks Congress, Save the Constitution campaign updates, BJP chief Amit Shah hits back at Rahul Gandhi, Amit Shah, Rahul Gandhi, congress, BJP, PM Modi, अमित शाह, राहुल गांधी, कांग्रेस, भाजपा, प्रधानमंत्री मोदी

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