अर्चना कुमारी। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के सहयोगी मंगलवार को असम की डिब्रूगढ जेल भेज दिया गया। पुलिस ने अमृतपाल के ‘गुरु’ माने जाने वाले पपलप्रीत को सोमवार को अमृतसर जिले से हिरासत में लिया गया था और उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार किया गया ।
पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) संजीव कुमार के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम मंगलवार को पपलप्रीत को लेकर असम के डिब्रूगढ जेल के लिए शहर से रवाना हुई। वे यहां श्री गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान में सवार हुए। इस बीच पुलिस ने एक और खालिस्तान समर्थक को गिरफ्तार किया है ।
बताया जाता है कि पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय को मंगलवार को बताया कि रासुका के तहत हिरासत में लिया गया, अमृतपाल का निकट सहयोगी दलजीत सिंह कलसी पृथक खालिस्तान के लिए कट्टर अलगाववादी विचारधारा के प्रसार में मदद कर रहा था और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ रहा था। कलसी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया है।
सरकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि सरबजीत उर्फ दलजीतं कलसी को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया है और उसे अवैध रूप से रखने का आरोप गलत और असत्य है। सरकार ने कहा कि उसे कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करके हिरासत में लिया गया है।
अदालत कलसी की पत्नी एवं अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कलसी को पंजाब पुलिस ने अवैध रूप से कैद कर रखा है और बिना वैध कारण और उचित प्रक्रिया के असम में डिब्रूगढ की केंद्रीय जेल भेज दिया है। कलसी की पत्नी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने कहा कि पंजाब सरकार ने मंगलवार को उनकी याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया, जबकि केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है।
उन्होंने कहा कि सुनवाई की अगली तिथि 24 अप्रैल निर्धारित की गयी है। पंजाब सरकार की ओर से अमृतसर (ग्रामीण) के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने हलफनामे के रूप में जवाब दायर किया है। राज्य सरकार ने अदालत में कहा है कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद दलजीत कलसी को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया है और वह वर्तमान में केंद्रीय जेल असम में बंद है। अदालत को बताया गया कि कलसी ने हिरासत के आदेश के खिलाफ 24 मार्च को एक अभ्यावेदन दिया था और इसे राज्य सरकार में सक्षम प्राधिकारी द्वारा खारिज कर दिया गया था।
अदालत को बताया गया कि प्राधिकारी ने इसे आधारहीन पाया। हलफनामे में कहा गया है कि मामले को एनएसए की धारा 10 के तहत एक अप्रैल को सलाहकार बोर्ड को भेजा गया है और अब यह बोर्ड के विचाराधीन है।