राफेल डील के बीच एक ऐसे पत्रकार की चर्चा है, जिस पर आरोप है कि उसने इस डील में 5 करोड़ रुपये की रिश्वत खायी है! इस पत्रकार पर रॉबर्ट वाड्रा के सहयोगी व हथियार डीलर संजय भंडारी के साथ सांठगांठ का आरोप है। इस पत्रकार की पैठ अंदर तक जिस तरह यूपीए सरकार में थी, उसी तरह एनडीए सरकार में भी है। यही वजह है कि सबूत होने के बावजूद उस पर आज तक कार्रवाई नहीं हो सकी है। जिस पत्रकार पर यह आरोप लग रहा है वह हिंदुस्तान टाइम्स अखबार का कार्यकारी संपादक शिशिर गुप्ता है।
आरोप है कि ये वही शिशिर गुप्ता हैं जो डिफेंस फाइल चोरी के आरोपी और आर्म्स डीलर संजय भंडारी को रक्षा मंत्रालय ले गए थे। आरोप के मुताबिक यही शिशिर गुप्ता हैं जिन्हें तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर ने बगैर एप्वाइंटमेंट के संजय भंडारी को उनसे मिलवाने पर डांट पिलाई थी। सूत्रों के हवाले से कहा जाता है कि डांट ही नहीं पिलाई थी बल्कि पारिकर शिशिर गुप्ता पर आग बबूला हो गए थे। ये वही शिशिर गुप्ता हैं जिन पर राफेल डील को लेकर भारतीय एजेंट सुहेल सेठ से 5 करोड़ रुपये मिलने का आरोप है। ये वही शिशिर गुप्ता हैं जिन्होंने इस संबंध में प्रश्न पूछे जाने पर अपना ट्वीटर एकाउंट बंद या डिएक्टिवेट कर लिया था।
आरोप के मुताबिक शिशिर गुप्ता ने महज तीन महीने में संजय भंडारी को 478 कॉल किए थे! इसके बावजूद उस पर कार्यवाई करने से वर्तमान सरकार और जाँच एजेंसियां बचती रहीं! अब सवाल उठता है कि क्या डिफेंस फाइल चुराने के आरोपी आर्म्स डीलर संजय भंडारी की मदद करने के आरोप में उनके खिलाफ जांच नहीं होनी चाहिए?
लेकिन होगी कैसे? इनके संबंध इसके संबंध् यूपीए सरकार में पी. चिदंबरम के साथ थी, तो एनडीए सरकार में भी इसकी पहुंच अंदर तक है, तभी तो यह आज तक बचा हुआ है। शिशिर गुप्ता की लिखी किताबें सबको पढ़ने की सलाह देने वाले पी चिदंबरम ही उनके असली आका हैं। इससे एक बात तो स्पष्ट हो ही जाती है कि पी चिदंबरम के संबंध जिनके साथ होते हैं उनका नाम कभी न कभी भ्रष्टाचार या घोटाला से अवश्य जुड़ता है। या यूं कहें कि उनका संबंध उन्हीं से होता है जो भ्रष्टाचार में संलिप्त होते हैं। ऐसा नहीं है कि शिशिर गुप्ता का नाम संजय भंडारी से आज जुड़ा है। उनके संबंध को लेकर पीगुरु वेबसाइट ने अपनी साइट पर साल 2016 में ही एक विस्तृत स्टोरी प्रकाशित की थी।
साल 2016 में ही दिल्ली पुलिस ने रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा मंत्रालय से फाइल चुराने की शिकायत पर ऑफिसियल सिक्रेट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। उसी मामले को लेकर अपनी साइट पर एक स्टोरी प्रकाशित कर पीगुरु ने आरोपी संजय भंडारी तथा हिंदुस्तान टाइम्स के कार्यकारी संपादक शिशिर गुप्ता के बीच सांठगांठ का खुलासा किया था। साथ ही यह भी खुलासा किया था कि किस प्रकार 2016 में मार्च से मई के बीच यानि तीन महीने में शिशिर गुप्ता ने संजय भंडारी को 478 बार फोन कॉल किया था।
रक्षा मंत्रालय में प्रवेश विवरण रिकार्ड्स के मुताबिक शिशिर गुप्ता तथा संजय भंडारी एक साथ तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मिलने गए थे। डिफेंस मंत्रालय में कार्यरत सभी लोग जान गए कि उस समय किस प्रकार मनोहर पारिकर शिशिर गुप्ता पर आग बबूला हुए थे और उन्हें बेइज्जत कर वहां से निकलवा दिया था। आरोप के मुताबिक शिशिर गुप्ता अपने पत्रकार होने का नाजायज फायदा उठाकर संजय भंडारी को रक्षा मंत्रालय ले गए थे। रक्षा मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को दोनों का प्रवेश विवरण भी दिया था। लेकिन इस बारे में जब शिशिर गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि संजय भंडारी से कभी कभार उनकी बात होती रही है लेकिन मैं यह नहीं जानता था कि वह एक आर्म्स डीलर हैं।
उस समय डाटा एनालिस्ट डॉ गौरव प्रधान ने ट्वीटर पर शिशिर गुप्ता से सीधे पूछा था कि क्या यह सच है कि आपने राफेल जेट विमान के भारतीय एजेंट से 5 करोड़ रुपये लिए हैं? आखिर वह भारतीय एजेंट कौन हैं? क्या वह कोई सुहेल सेठ था? इसी प्रश्न के बाद शिशिर बाबू ने अपना ट्वीटर एकाउंट को डिएक्टिवेट कर दिया।
अब सवाल उठता है कि दिल्ली पुलिस को शिशिर गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इतने साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं? अगर फिर भी कार्रवाई नहीं की जा रही तो इसका मतलब यही है कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की तरह इस एनडीए सरकार में भी शिशिर गुप्ता जैसे दलाली के आरोपी पत्राकारों की पहुंच अंदर तक है।
सूत्रों के अनुसार, पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने इन पर कार्रवाई करना चाहा था लेकिन मोदी सरकार में बैठे चिदंबरम और गांधी परिवार हितैषी लाबी ने स्मृति का ही मंत्रालय बदलवा दिया। यदि यह आरोप सही है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोचना चाहिए कि आखिर उनकी सरकार में वह कौन लोग हैं जो गांधी व चिदंबरम परिवार के हितैषी के रूप में अभी भी काम कर रहे हैं और दलालों को अभी भी बचाने में जी-जान से जुटे हुए हैं!
URL: An editor, surrounded by weapons brokerage is very close to Gandhi family
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