भारतीय हिन्दू ज्योतिष यह भी बताने में सक्षम है कि चुनाव में कौन जीतेगा तो वह यह भी बताने में सक्षम है कि चुनाव कब होंगे? कुछ वरिष्ठ ज्योतिषियों ने 1989 के तथा दो अन्य लोकसभा चुनावों का समय बता दिये थे। मैंने एक राष्टीय समाचार पत्र के लिए 2009 के चुनावों का समय बताया था। चुनाव संबंधित भविष्यवाणी में सबसे बड़ी अड़चन नेताओं का जानबूझ कर गलत जन्म विवरण देना तथा भाजपा कांग्रेस शिवसेना के अतिरिक्त किसी बड़ी पार्टी की वास्तविक कुंडली की अनुपलब्धता भी है। वैसे मेरे पास समाजवादी पार्टी की कुंडली उनके एक बड़े नेता द्वारा दी गयी हुई है, पर समयाभाव में मैंने उसपर काम नहीं किया।
क्या है चुनावों की तारीख बताने का ज्योतिषीय सिद्धांत :
पहली स्थिति में राहु की एक विशेष स्थिति में ही चुनाव होते हैं। यह शोध अभी तक सम्पन्न हर आम चुनाव पर लागू हुआ है।
दूसरी स्थिति में मंगल चुनाव /पोलिंग के दिन कभी भी द्विस्वभाव राशियों अर्थात मिथुन, कन्या धनु तथा मीन राशि में नहीं था।
तीसरी स्थिति में सभी तो नहीं पर कुछ आम चुनावों में शनि या बृहस्पति वक्री थे।
चैथी स्थिति में लगभग 50% केसेज़ में शनि द्विस्वभाव राशियों अर्थात मिथुन, कन्या, धनु तथा मीन राशियों को जैमिनी दृष्टि से देखता है।
पाँचवी स्थिति में ज्यादातर केसेज़ में भारत की स्वतंत्रता तथा गणतंत्र की कुंडलियों के दसवें,चौथे,पहले, आठवें, ग्यारहवें तथा छठे भाव पर किसी पाप ग्रह की जैमिनी दृष्टि अवश्य पड़ रही थी।
दसवाँ घर सत्तारूढ़ दल और प्रधानमंत्री का नेतृत्व करता है! चौथा भाव विपक्ष तथा राज्यसभा को प्रदर्शित करता है। ग्यारहवां भाव संसद द्वारा नए कानून बनाने तथा चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की अधिसूचना जारी करने का प्रतिनिधित्व करता है। छठा भाव मतदाता क्षेत्र तथा प्रत्याशियों की लड़ाई या यूं कहिये कि हार या जीत का होता है। पहला और आठवाँ घर चुनावों की घोषणा के बाद जनता तथा नेताओं के बीच के चुनावी बुखार और हलचल का प्रतिनिधित्व करता है।
अब यदि जैमिनी ज्योतिष के उपरोक्त सिद्धांतो को ध्यान में रखा जाय तो सिर्फ तीसरा सिद्धांत इस बार की मेरे द्वारा निकाली गई तारीखों पर लागू नहीं हो रहा है। शेष चारों सिद्धांत पूरी तरह से लागू हो रहे हैं।
तो क्या समय से पहले होंगे 2019 के चुनाव
उपरोक्त बताये गए जैमिनी दृष्टिकोण से आम चुनाव थोड़ा पहले हो सकते हैं अर्थात 23 मार्च के पूर्व। जबकि सामान्य तौर पर इसे अप्रैल या मध्य मई तक सम्पन्न होने चाहिए। पहले नियम के अनुसार राहु चर राशि ‘कर्क’ में 23 मार्च तक रहेगा ! यहां राहु के वास्तविक गोचर की बात हो रही है। जिसे ‘ट्रू राहु ट्रांजिट’ भी कहते हैं। अन्यथा दूसरे मत के अनुसार राहु 7 मार्च को ही कर्क राशि छोड़कर मिथुन में प्रवेश कर जाएगा पर अधिकतर ज्योतिषी 23 मार्च के गोचर को ही महत्वपूर्ण मानते हैं।
पहले सिद्धांत के अनुसार चुनाव 23 मार्च के पहले सम्पन्न हो जाने चाहिए। और एक संभावना यह भी है कि चुनाव शुरू होने के बाद कुछ बड़े विवाद हो और कुछ दिनों के लिए चुनाव तिथियां आगे बढ़ा दी जाय कुछ फेज हो जाने के बाद! इन विषयों पर कुछ गंभीर शोध की आवश्यकता है! पर ज्यादा संभावना 23 मार्च के पहले चुनाव सम्पन्न होने की लगती है।
दूसरे सिद्धांत के अनुसार 6 फवरी से 7 मई तक मंगल द्विस्वभाव राशि में नहीं रहेगा और 6 फवरी से 22 मार्च तक स्वतंत्रता की कुंडली के चौथे और दशवें घर को जैमिनी दृष्टि से देखेगा तथा 22 मार्च से 7 मई तक मंगल चौथे, दसवें, पहले, ग्यारहवें, छठवें तथा आठवें भाव या स्वामियों को देखेगा।
तीसरी स्थिति लागू नहीं है क्योंकि शनि और बृहस्पति अप्रैल में वक्री होंगे तो ऐसा भी जो सकता है कुछ फेज होकर चुनाव के कुछ फेज बाद में हों!
चौथी स्थिति के अनुसार शनि सभी द्विस्वभाव राशियों को देख रहा है। पांचवीं स्थिति भी पूर्ण रूप से लागू हो रही है पर सिर्फ दो दिनों के लिए तो ऐसा हो सकता है कि चुनाव आयोग की राजनीतिक पार्टियों से कुछ विवाद हो कुछ फेज थोड़े अंतराल पर हों।
URL: Astrologer said, the elections of 2019 will ahead of time
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