महाराष्ट्र में नकली हिंदुत्व का आईकॉन उद्धव ठाकरे की सरकार है और साधुओं पर हमले रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पालघर में संतों की हुई हत्या पर चौतरफा घिरी महाराष्ट्र सरकार कोई ठोस सफाई पेश नहीं कर पाई अब जबकि औरंगाबाद जिले के चौक परिसर के लाडसावंगी मार्ग पर स्थित प्रियशरण महाराज के आश्रम में घुसकर 7 से 8 अज्ञात लोगों ने उन पर हमला किया है। पुलिस का कहना है कि घटना बुधवार की रात की है।
जबकि फूलंबरी पुलिस स्टेशन मामले की जांच में जुटी हुई है। पुलिस को अभी तक की जांच में मारपीट के कारण का पता नहीं चल सका है। बताया जाता है कि आश्रम के दरवाजे की कड़ी को तोड़कर हमलावर अंदर घुसे थे । दावा यह किया गया है कि प्रियशरण महाराज के कंधे पर चाकू से हमला किया है और जान से मारने की धमकी दी गई।
हमलावरों ने किसी भी चीज को हाथ नही लगाया ना ही कोई चोरी या डकैती की। जिसके बाद यह शक और बढ़ जाता है कि आख़िर हमलावर कौन थे और प्रिय शरण महाराज से क्या दुश्मनी थी। महाराष्ट्र पुलिस अभी तक की जांच में हमलावरों के बारे में कोई सुराग नहीं लगा पाई है।
खुद को तेज तर्रार पुलिस का दंभ भरने वाली महाराष्ट्र पुलिस को इस हमले का का कारण पता नहीं चल सका है और पुलिस यह पता लगाने में भी असमर्थ है कि प्रियशरण महाराज से उपद्रवियों की आखिर क्या दुश्मनी थी। जबकि जांच में साफ हुआ है कि चौक परिसर सताल शिवारा में राधे गोविंद सेवा मिशन नामक एक आश्रम है।
राधा गोविंद सेवा आश्रम में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। इनमें महिला और पुरुषों की संख्या सर्वाधिक है। प्रियशरण महाराज राजस्थान के मूल निवासी हैं और उन्होंने पिछले कुछ सालों से एक आश्रम शुरू किया तथा अब वह वहाँ एक गो-सेवा आश्रम भी चलाते हैं। उनके आश्रम में कई सेवक-सेविकाएँ हैं। इसके अलावा पास में ही एक खेत भी है जहाँ प्रिय शरण महाराज के अनुयायी रहते हैं।
प्रिय शरण महाराज ने पुलिस को बताया है कि घटना वाले दिन जब हमलावर आश्रम में घुसे तो उन्होंने पहले एक महिला को धमकाया। इसके बाद उससे उनका पता पूछा और फिर उनके साथ मारपीट की। इस दौरान हाथापाई भी हुई, जिससे वह घायल हो गए। हमलावरों ने प्रियशरण महाराज के कंधे पर चाकू से हमला किया। जख्मी साधु को उपचार के लिए निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जाती है।
उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है । इस घटना के बाद देशभर के साधु-संतों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है और उन लोगों ने महाराष्ट्र सरकार से इस्तीफे की मांग की है। गौरतलब हो कि इससे पहले महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को गड़चिनचले गाँव में तकरीबन 200 लोगों की भीड़ दो साधु हुआ तथा एक उनके चालक को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया था ।
उस समय महाराष्ट्र पुलिस का कहना था कि तीनों लोगों को कथित तौर पर चोर समझकर मौत के घाट उतार दिया गया था। हैरानी की बात तो यह है कि यह पूरी घटना वहाँ मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों के सामने हुई थी। इसके बाद पालघर में जख्मी दोनों साधुओं को अस्पताल ले जाया गया था, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
इस घटना में मारे गए जूना अखाड़े के दो साधु महंत सुशील गिरी महाराज (35), महंत चिकने महाराज कल्पवृक्ष गिरी (65) अपने ड्राइवर निलेश तेलगडे (30) के साथ मुंबई से गुजरात के सूरत में अपने साथी के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। जब इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया तब रात का समय था।
हत्यारी भीड़ से दोनों साधु लगातार प्राणों की भीख मांगते रहे लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। इतना ही नहीं इस हत्याकांड को लेकर जब रिपब्लिक भारत के editor-in-chief अर्णब गोस्वामी ने जोरदार ढंग से इस मामले को उठाया तब तो महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण देने को कहा था । साधु संतों पर हमले को लेकर महाराष्ट्र सरकार और उसकी नपुंसक पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है यही वजह है इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही है ।