भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति रखने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि वह ना खाते हैं और ना ही किसी को खाने देंगे लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग इसी देश में मौजूद हैं
जो भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करके फर्जीवाड़ा करने में जुटे हैं। ऐसे लोग सरकारी कार्यालयों से मिलने वाले ठेके और नौकरी में झांसा देकर उगाही का धंधा करते हैं ।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे ही शातिर को पकड़ा है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक बड़े अधिकारी का नाम लेकर फर्जीवाड़ा कर रहा थाा जबकि इस शातिर का उस अधिकारी से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है।
दबोचे गए आरोपी की पहचान देवेंद्र मिश्रा उर्फ गुड्डू के रूप में हुई है। शातिर आरोपी आर्मी समेत कई अस्पताल के डॉक्टरों से ट्रांसफर-पोस्टिंग व पदोन्नति के लिए झांसा दे रहा था। आरोपी के पास से क्राइम ब्रांच ने कई फर्जी आईकार्ड और दस्तावेज भी बरामद किए हैं।
क्राइम ब्रांच का कहना है कि इस बाबत डॉ. प्रवीण कुमार ने क्राइम ब्रांच को शिकायत कर बताया कि चार अक्टूबर को उनके पास देवेंद्र मिश्रा नाम के व्यक्ति का एक कॉल आया।
उसने खुद को एम्स और आर्मी के आरआर अस्पताल में विजिटिंग फैकेल्टी और नीति आयोग का सलाहकार बताया। उसने शिकायतकर्ता को दिल्ली कैंट स्थित आरआर अस्पताल के ऑफिसर मेस में मिलने के लिए बुलाया। 10 अक्टूबर को उनकी मुलाकात हुई,
जहां गेस्ट रूम के बाहर डॉ. देवेंद्र (नीति आयोग) की नेम प्लेट लगी हुई थी। देवेंद्र मिश्र ने उन्हें बताया कि रक्षा मंत्री सहित कई मंत्री व ब्यूरोक्रेट से उनका रोजाना मिलना जुलना है।
वह उनकी मनचाही प्रमोशन और पोस्टिंग में मदद कर सकता है। उसने अपने मोबाइल में कई अधिकारियों और मंत्रियों की तस्वीरें दिखाईं। एक मोबाइल नंबर दिखाते हुए उसने कहा कि यह नंबर आरएसएस के बड़े अधिकारी का है।
जिनके संपर्क में वह रहता है। इससे डॉ. प्रवीण को शक हुआ और उन्होंने इसकी शिकायत क्राइम ब्रांच की साइबर सेल को दी। मामले की जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस हरकत में आई और जांच करने वाली क्राइम ब्रांच की टीम ने जब टेक्निकल सर्विलांस की मदद ली तो पता चला कि आरोपी के पास
मौजूद मोबाइल नंबर मध्य प्रदेश के रीवा निवासी देवेंद्र कुमार मिश्रा का है। पुलिस आरोपी को पकड़ने में जुट गई और इस बीच साइबर सेल को पता चला कि वह पंचकुइयां रोड पर आने वाला है।
इस जानकारी पर क्राइम ब्रांच की टीम ने पहाड़गंज से उदासीन आश्रम के पास से उसे पकड़ लिया। क्राइम ब्रांच को पता चला कि फर्जीवाड़ा करने वाला आरोपी ने एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल को जोधपुर एम्स का डायरेक्टर बनवाने का झांसा दिया था।
उन्होंने क्राइम ब्रांच को बताया कि उनके पास 3 दिसंबर को एक कॉल आई थी। कॉल करने वाले ने खुद को आरएसएस का जनरल सेक्रेटरी का करीबी बता कर झांसा दिया और उन्होंने भरोसा करते हुए
अपने दस्तावेज और एप्लीकेशन भी उन्हें भेजे थे, लेकिन बाद में उन्हें लगा कि यह व्यक्ति कोई जालसाज है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि आरोपी खुद को स्वास्थ्य मंत्रालय का संयुक्त आयुक्त और एम्स का सहायक प्रोफेसर बताकर भी धोखाधड़ी करता था।
आरोपी ने उत्तर प्रदेश के लखिमपुर खिरी में एक अस्पताल भी खोला हुआ था। पुलिस ने दावा किया कि इसके पास से स्वास्थ्य मंत्रालय का फर्जी पहचान पत्र, जिस पर इसकी फोटो लगी हुई थी
और लिखा हुआ था डॉक्टर देवेंद्र कुमार मिश्रा, एम्स का फर्जी पहचान पत्र, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, रेवा मध्य प्रदेश का फर्जी पहचान पत्र और करीब 68 हजार रुपए जब्त किए गए। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह मूलरूप से मध्य प्रदेश के रेवा का रहने वाला है।
उसके पास लैब तकनीशियन का डिप्लोमा है। साल 2008 में वह दिल्ली आया और खून जांच केंद्र चलाने लगा। इसी दौरान उसकी मुलाकात एम्स के डॉक्टरों के अलावा अन्य अधिकारियों के साथ हुई और बाद में वह फर्जीवाड़ा करने लग गया था।