मतलब जैसे मुकेश अंबानी का घर भी वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी है और वो सालो से इसका किराया भी वक्फ बोर्ड को चुका रहा है और कोर्ट में केस भी चल रहा है तब तो यहाँ बड़ा सवाल खड़ा होता है जोकि मुझे लगता है कि भारत सरकार दिल्ली की इन सभी प्राइम प्रॉपर्टी का किराया वक्फ बोर्ड को चुकता है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय इंदिरा गाँधी हवाई अड्डा भी उन्हीं का का और भारत सरकार के काफी सारे आधिकारिक सरकारी दफ़्तर भी।
( ऐसा क्यों और कैसे हुआ — तब सुनिये जरा क्या वो इस प्रॉपर्टी को खरीदते हैं या कब्जा करते हैं ? अगर खरीदते हैं तब इतना सारा पैसा कहा से आया इस की जांच होनी चाहिए जिससे कि कैसे दुनिया में सबसे अधिक प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड के पास है। मिल्ली गजट नामक डिजिटल न्यूज प्लैटफॉर्म के संस्थापक संपादक जरफरुल इस्लाम खान ने 20 मार्च 2014 को खुद एक लेख लिखा था जिसका टाइटल था — Return of 123 Waqf properties – no reason to rejoice (123 वक्फ संपत्तियों की वापसी- खुश होने का कोई कारण नहीं) इसी लेख में ये भी बताया गया था कि कहां – कहां वक्फ की सम्पतियाँ हैं जोकि 6 लाख एकड़ जमीन है, पूरी दुनिया में सबसे अधिक सम्पति इस बोर्ड के पास है। मीडिया लिन्क नवभारत टाइम्स —
आप खुद ही सोचिये जिस देश में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक ये तो दबे कुचले हुए लोग हैं इसी लिए भारत सरकारें सालो साल से मेहनतकश टैक्स पेयर का खरबों रुपया इनके उथान और शिक्षा पर खर्च करती है। जिस कश्मीर को हमेशा ही पूरा का पूरा अलग बजट मिलता रहा हो लेकिन वहां केवल खून की नदियाँ बहती रही हों, क्यों होता है ऐसा ये सोचना चाहिए। आँखे हो कर भी अगर सब सरकारें और आम जनता अन्धी बनी रहेगी तब तक आप खुद की बर्बादी की कहानी ही लिखते रहोगे। ऐसी कमेटी बनवा कर इनसे जनता को मुर्ख बनाना आसान रहता है। मैंने पहले भी एक बार कहा था कि मुझे सच्चर कमेटी की रिपोर्ट केवल झूठ का पुलिंदा भर लगता है क्योंकि सच्चाई कुछ और ही है जिसे कभी सामने आने ही नहीं दिया जाता।
बात साल 2014 में आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले की है जब मौजूदा कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने जल्दबाजी में दिल्ली की 123 प्रमुख संपत्तियां वक्फ बोर्ड को देने को मंजूरी दी थी। तब बीजेपी ने भी इसे तुष्टीकरण कहा था। लेकिन आज सरकार बदल चुकी है और मौजूदा सरकार ने उन सभी 123 प्रमुख सम्पतियों को वक्फ बोर्ड से वापिस लेने का फैसला किया है। आप को ये जान कर हैरानी होगी कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में जिन 123 वक्फ संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने का फैसला किया है। ये संपत्तियां कनॉट प्लेस, अशोक रोड, मथुरा रोड समेत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की अन्य प्राइम लोकेशनों पर हैं। इनमें मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान शामिल हैं।
आप जानते ही हैं कि तब कांग्रेस की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी सरकार ने 2014 में ये संपत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड के नाम करने का फैसला किया था। 2014 में लोकसभा के चुनाव हुए थे। तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने 4 मार्च, 2014 को आम चुनावों की घोषणा की थी। इससे ठीक एक दिन पहले ही, 2014 को केंद्र की मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने दिल्ली की एक दो नहीं बल्कि पूरे 123 संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के इस फैसले का उस वक़्त सभी उर्दू अखबारों में जमकर स्वागत किया गया था। मैं तो आज भी सोच कर हैरान होती हूँ कि क्या सोच कर उस वक़्त की सरकार देश की राजधानी दिल्ली को मजारों, दरगाहों और क़ब्रिस्तान में बदलना चाहती थी। क्या उन्हें मालूम नहीं था कि ऐसा करके वो मजारों वालो का भी जीवन बर्बाद कर रहें हैं और देश की बाकि जनता का भी।
गौरतलब है की उसी लेख में जफरूल इस्लाम खान ने दावा किया था कि भारत में वक्फ की 8 लाख संपत्तियां रजिस्टर्ड हैं। उन्होंने दिल्ली में वक्फ की कुछ संपत्तियों की लिस्ट भी दी जिसे देखकर आप भी चौंक जाएंगे। जफरूल इस्लाम ने बताया, ‘दिल्ली वक्फ की कुछ प्रसिद्ध संपत्तियों में सीजीओ कॉम्प्लेक्स, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, दिल्ली हाई कोर्ट, ओबरॉय होटल, दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड, एंग्लो-अरबिक स्कूल, बहादुर शाह जफर मार्ग पर अखबारों के दफ्तर, इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और केंद्र सरकार के अनगिनत ऑफिस। 2002 में एलके आडवाणी ने 34 एकड़ में बने जिस मिलेनियम पार्क का उद्घाटन किया था, उसमें 10 एकड़ जमीन कब्रिस्तान की है जो वक्फ बोर्ड के अधीन है।’ उनके दावे के मुताबिक, कर्नाटक के बेंगलुरु में मशहूर विंडसर मैनोर होटल भी वक्फ की संपत्ति है।
अपने उसी लेख में आगे उन्होंने लिखा कि, ‘दिल्ली में वक्फ की करीब 600 संपत्तियां अब भी बोर्ड के कब्जे में नहीं हैं। इसी साल एक आरटीआई के जवाब के मुताबिक दिल्ली वक्फ बोर्ड ने कहा कि इसकी 114 संपत्तियों पर डीडीए, 156 पर एएसआई और 388 पर दूसरी सरकारी एजेंसियों का कब्जा है। इन संपत्तियों से जुड़े कई मुकदमें अदालतों और वक्फ ट्राइब्यूनल में आज भी पड़े हैं।’ आप सभी जानते हैं कि आगे चल कर जुलाई 2017 में आम आदमी पार्टी सरकार ने इसी जफरूल इस्लाम खान को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था।
जैसा कि खुद जफरूल इस्लाम खान ने ही बताया है कि देशभर में 6 लाख एकड़ जमीन समेत वक्फ की 8 लाख रजिस्टर्ड संपत्तियां हैं। तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने तो सात हिंदू बहुल गांवों को ही वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी थी। इतना ही नहीं, तिरुचिरापल्ली में 1500 वर्ष पुराने मंदिर को भी वक्फ की प्रॉपर्टी बता दिया गया था। अब जब मौजूदा केंद सरकार ये सभी सम्पतियाँ वापिस ले रही है तब दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन और आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि वो वक्फ की संपत्तियों पर सरकारी कब्जा नहीं होने देंगे।
आप को आज नहीं तो कल ये जरूर सोचना होगा कि किस तरह के भारत का निर्माण आप कर रहें हैं। आपकी आने वाली पीढ़ियों को कैसा भारत मिलेगा क्या वैसा जब कितने मन जनेऊ तराजू में तोलने के बाद दिन का आरम्भ किया जाता था या फिर ——- सोचना आपको है इससे पहले देर हो जाये।
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