अब एक बार फिर लगता है 2024 का कांग्रेस अपना रोड मैप बना चुकी है। बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय के उथान के लिए 2014 से लेकर अभी तक ख़र्च किये 34,141 करोड़ और 67 साल में कांग्रेस ने उनके उथान के लिए ख़र्च किये हैं बस 12, 860 करोड़। लेकिन उन्होंने तोफे के तौर पर पाकिस्तान और बांग्लादेश भी दिया है।
क्या आपको लगता है 34 हज़ार करोड़ से अधिक ख़र्च करने के उपरान्त भी बीजेपी उनका भरोसा जीत पायेगी, मुझे तब तक ये बिल्कुल नहीं लगता तब तक आप कोई शानदार तौफ़ा नहीं दे देते जिसे वो कहते हैं लड़ के लिया था -और हंस के लेंगे । आप खुद इस वाक्य को पूरा भर सकते हैं क्योंकि जानकारी में तो ये सभी के है।
ये सभी पैसा जोकि सभी राजनीतिक दल अपना वोट बैंक बढ़ाने और बनने के लिए इस्तेमाल करती हैं ये मेहनतकश मध्यम वर्ग के खून पसीने की कमाई में से चुकाया जाने वाला टैक्स है जिसे नेता बस अपना वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करता है।
मेरा व्यक्तिगत मानना है कि भले ही बीजेपी कांग्रेस से बहुत ही ज्यादा आगे निकल चुकी हो आर्थिक मदद कर – कर के लेकिन वो कभी कांग्रेस को हरा नहीं सकती। हलाकि बीजेपी ने सत्ता में बने रहने के लिए रास्ता कांग्रेस वाला ही अपनाया है लेकिन कहते हैं न बिल्ली मौसी अपने सारे दांव नहीं बताती ऐसे ही कांग्रेस के सभी दांव बीजेपी कभी नहीं सीख सकती क्योंकि भले ही वो ये कहते रहें लेकिन बीजेपी कभी भी मुस्लिम वोट नहीं ले पायेगी।
भले ही वो 34,141 करोड़ रुपय खर्च कर चुकी हो। बीजेपी कभी भी कांग्रेस की भी बराबरी नहीं कर सकती क्योंकि भले ही कांग्रेस की तरह वो हर राज्य में कितने ही पाकिस्तान बना चुकी हो। बीजेपी कांग्रेस को सियासत के दांव – पेंच में कभी नहीं हरा सकती।
( मिडिया सोर्स — केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति इरानी ने गांधी परिवार के मुस्लिम प्रेम पर भी सवाल उठाया। स्मृति इरानी ने कहा कि गांधी खानदान अपने आपको मुस्लिम समुदाय का संरक्षक बताता है।
उनसे यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि उनकी सरकार में भारत सरकार ने महज 12 हजार करोड़ रुपए का खर्च दिखाया था, जबकि पिछले नौ सालों के दौरान मोदी सरकार ने 31,450 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इनके स्कॉलरशिप के लिए भी कांग्रेस सरकार ने केवल 860 करोड़ रुपये का आवंटन किया था, जबकि मोदी सरकार ने 2,691 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। केंद्रीय मंत्री ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह आकंड़े अपने आप में कांग्रेस की सच्चाई बताते हैं। )
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