विपुल रेगे। इसी मंच से कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बॉलीवुड पर अपने नेताओं को दी गई अनावश्यक नसीहत के बाद ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ अभियान को धक्का लगेगा। ऐसा होता दिखाई दे रहा है। ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ को अब तक मिला राजनीतिक समर्थन धरातल पर समाप्त हो चुका है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रधानमंत्री की नसीहत गंभीरता से लेते हुए असम में ‘पठान’ की रिलीज को सुरक्षा देने की बात कही है। ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ को भाजपाई समर्थन नहीं मिल रहा लेकिन बदली हुई बयार में भाजपा ‘खान पाले’ में खड़ी दिखाई दे रही है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बड़ी ही तेज़ी से ‘पठानमय’ हो गए हैं। दो दिन पूर्व उन्होंने पूछा था ‘कौन शाहरुख़ खान, मैं किसी शाहरुख़ को नहीं जानता।’ इसके एक दिन बाद सरमा के लिए शाहरुख़ खान ‘श्री शाहरुख़’ बन गए। इतना तेज़ ट्रांसफार्मेशन तब ही हो सकता है, जब केंद्र से सरमा को याद दिलाया जाए कि प्रधानमंत्री की ग़ैर ज़रुरी टिप्पणी केवल डॉ.नरोत्तम मिश्रा के लिए नहीं थी, बल्कि हर उस भाजपा के नेता के लिए थी, जो फिल्मों पर बयान देते हैं।
सरमा ने आधी रात को शाहरुख़ से बात की और उन्हें आश्वासन दिया। जो नेता कल तक बॉलीवुड पर अपनी बेबाक राय रख रहे थे, उनका मुंह सिल दिया गया है। मध्यप्रदेश के गृह राज्य मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा की भी यही स्थिति है। कल तक वे ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ के चमकते पोस्टर बॉय बने हुए थे लेकिन अब उन्होंने बॉलीवुड पर कुछ भी कहना बंद कर दिया है।
बॉलीवुड की गंभीर स्थिति को लेकर एक राजनीतिक दल के रुप में भाजपा जनता की आवाज़ बनी हुई थी लेकिन एक नसीहत ने सारा परिदृश्य बदलकर रख दिया है। गुजरात की देखादेखी मध्यप्रदेश में वितरकों ने सरकार से मांग की है कि ‘पठान’ की रिलीज के समय सरकार उन्हें सुरक्षा दे। हालाँकि ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ अभियान सतह के नीचे सतत प्रवाहमान है।
अब अभियान को राजनीतिक सरंक्षण प्राप्त नहीं है। राजनीतिक सरंक्षण प्राप्त होना कोई अनैतिक तो नहीं है। जो बॉलीवुड लगातार हिन्दू संस्कृति और धर्म पर हमलावर रहा हो, उसके विरुद्ध जनता का पोस्टर बॉय बनना अपराध नहीं है। यदि मनोरंजन की एक इकाई पापपूर्ण पैसे से भ्रष्ट हो चुकी हो तो जनता को उसका विरोध करने का पूरा अधिकार है।
प्रधानमंत्री की अनावश्यक सलाह के बाद ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ अभियान निशाने पर आ गया है। अब तक इस अभियान से घबराए बॉलीवुड समर्थक खुलकर प्रहार कर रहे हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद शुरु हुआ अभियान अब पूर्णतः जनता के हाथ में आ गया है। चूँकि बदले हुए वातावरण में भाजपा नेता और उनके समर्थक बॉलीवुड के विरुद्ध लड़ाई में नहीं कूदेंगे इसलिए अभियान जनता को ही चलाते रहना होगा।
ये सरकार बॉलीवुड को अपने चुने जाने के पहले दिन से ही समर्थन देती रही है। ‘खान तिकड़ी’ के प्रधानमंत्री के साथ लिए गए फोटो अब भी नेट पर उपलब्ध हैं। जावड़ेकर से लेकर अनुराग ठाकुर तक बॉलीवुड को परदे के पीछे से समर्थन देते रहे। सरकार को आए दस साल होने जा रहे हैं लेकिन मीडिया और फिल्मों के लिए एक कानून आज तक नहीं बनाया गया।
सरकार की इच्छाशक्ति बॉलीवुड की गंदगी समाप्त करने की कभी रही ही नहीं। ये हम विगत आठ वर्ष से लगातार देखते चले आ रहे हैं। बॉलीवुड को निशाना बनाकर वोट बटोर लिए गए हैं। बॉलीवुड भाजपा के लिए वह ‘गन्ना’ है, जिसे बहुत बार पेरा जा चुका है। अब इस ठठेरे गन्ने से ‘वोट’ का रस नहीं निकलने वाला।