यदि आज भारतीय जनता पार्टी जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस नहीं लेती तो शायद इतिहास उसे कभी माफ नहीं करता। जिस कश्मीर में वहां के मूल नागरिकों कश्मीरी पंडितों को नहीं बसाया जा सका, वहीं महबूबा मुफ्ती की सरकार एक आतंकवादी संगठन को स्थायी रूप से जमीन देने जा रही थी। भाजपा ने इसका विरोध किया, लेकिन अलगावादी-आतंकी समर्थक महबूबा ने भाजपा को कोई भाव नहीं दिया। दूसरा, हिंदुओं के श्रद्धा के केंद्र माता वैष्णव देवी मंदिर श्राइन बोर्ड में मुसलमानों को भर दिया गया था। अब ऐसे में यदि भाजपा महबूबा सरकार का समर्थन करती रहती तो वह न केवल आतंकवाद समर्थक, बल्कि हिंदू विरोधी छवि के साथ ही 2019 के चुनाव में जाती, और फिर उसका भी वही हश्र होता, जो 2004 में वाजपेयी सरकार का हुआ था। भाजपा ने सही समय पर सही निर्णय लिया है, वर्ना उसका वजूद ही संकट में पड़ जाता!
जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की संयुक्त रूप से चल रही गठबंधन सरकार से भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया है। अब जब महबूबा मुफ्ती की सरकार प्रदेश से जा चुकी है तो अब चर्चा होगी आखिर यह सरकार क्यों गई? दोनों तरफ से कई कारण गिनाए जाएगे, लेकिन जो दो सबसे महत्वपूर्ण तात्कालिक कारण रहे हैं उसमें एक जहां आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठन के हमदर्द संगठन ‘जमियत अहले हदीस’ को जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में स्थाई इदगाह बनाने के लिए करीब साढ़े छह एकड़ जमीन देने के लिए कश्मीर के डीसी को कहना था, वहीं, माता वैष्णो देवी मंदिर श्राइन बोर्ड में करीब 400 मुसलमानों की बहाली करने का आदेश देना भी शामिल था। भाजपा ने इन दो मुद्दों पर खुलकर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का विरोध किया है, लेकिन जब महबूबा ने भाजपा को कोई भाव ही नहीं दिया तो अपने वजूद को बचाने के लिए भाजपा सरकार से अलग हो गयी।
राज्यपाल एनएन वोहरा के नेतृत्व वाले माता वैष्णो देवी मंदिर श्राइन बोर्ड में हुई 400 मुसलमानों की नियुक्ति
कोई भी दूसरा धर्मावलंबी अपने धर्म के खिलाफ ऐसी वैसी हरकत नहीं कर सकते जितना कि एक हिंदू धर्मावलंबी अहने ही धर्म को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकता है। हमारे देश में जो किसी दूसरे धर्म में नहीं होगा वही हिंदुओं के साथ अवश्य होगा। और ऐसा करने वाला कोई और नहीं बल्कि हिंदू स्वयं होगा। सहिष्णु और सेक्युलर होने का तमगा पहनने के लिए वे हिंदुओं का गला तक काटने को तैयार हो जाएंगे। ऐसा ही सबकुछ हो रहा है माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में, वह भी जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा के नेतृत्व में। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में मुसलमानों को भर्ती कर उसका इस्लामीकरण किया जा रहा है।
आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि जम्मू कश्मीर में हिंदुओं के धार्मिक संगठन के साथ क्या किया जा रहा है । वो भी तब जब उसका कर्ताधर्ता स्वयं प्रदेश के राज्यपाल एनएन वोहरा हैं। जम्मू-कश्मीर के माता वाष्णो देवी श्राइन बोर्ड को एक प्रकार से मुसलमानों का अड्डा बनाया जा रहा है। श्राइन बोर्ड में सहायक प्रबंधक के पद पर मुसलमानों की नियुक्त की गई है। इसके अलावा 400 मुसलमानों को बोर्ड में भर्ती किया गया है। गौरतलब है कि माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष राज्य के राज्यपाल एनएन वोहरा हैं। उन्हीं के नेतृत्व में संचालित बोर्ड में धड़ल्ले से मुस्लिमों की नियुक्ति की जा रही थी और यह सब महबूबा सरकार के इशारे पर हो रहा था।
Dear @narendramodi
Dear Hindus,
You will be shocked to know that NN Vohra-headed #MataVaishnoDeviShrineBoard is Muslimising Shrine Board.
You will not believe but it is a fact Shrine Board has appointed 400 Muslims, incl Asst Manager.
Can it happen in Church-Mosque- Gurudwara.
— Prof. Hari Om (@Prof_Hariom) June 16, 2018
क्या आपने कभी किसी दूसरे धार्मिक संगठन में ऐसा होते हुए देखा है? किसी मुसलमान के धार्मिक संगठन में किसी हिंदू की नियुक्ति होते हुए देखी है? किसी गुरुद्वारे में किसी भी पद पर किसी हिंदू को आसीन देखा है। लेकिन माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड में एक-दो नहीं बल्कि 400 मुसलमानों को विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया है। यहां तक कि सहायक प्रबंधक भी मुसलमान को बनाया गया है।
Free holy Mata Vaishno Devi shrine from Shrine Board/J&K Government.
If not freed, it would come under the control of non-Hindus.
400 Muslims already appointed 400 Muslims.@narendramodi pic.twitter.com/RJSG19iPxZ
— Prof. Hari Om (@Prof_Hariom) June 16, 2018
अब तो जम्मू-कश्मीर से ही पवित्र माता वैष्ण मंदिर को श्राइण बोर्ड और राज्य सरकार के नियंत्रण से स्वतंत्र करने की मांग उठने लगी है। आरोप लगाया गया है कि अगर इस मंदिर को श्राइन बोर्ड और राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त नहीं किया गयो तो वह दिन दूर नहीं जब इनका नियंत्रण जेहादियों के हाथ में आ जाए! यह आवाज तब से उठने लगी है जब से माता वैष्णो देवी मंदिर श्राइन बोर्ड में 400 मुसलमानों की नियुक्ति हुई है।
आतंकी संगठन ‘जमात अहले हदीस’ को इदगाह के लिए साढ़े 6 एकड़ जमीन देना चाहती थी महबूबा
मुख्यमंत्री रहते हुए महबूबा मुफ्ती कश्मीर को पूरे तौर पर खलीफा बनाना चाहती थी। वह जानबूझ कर हिंदुओं के खिलाफ सारे फैसले लेती थी ताकि सरकार में होने का खामियाजा भाजपा को उठाना पड़े। तभी तो उन्होंने श्रीनगर में स्थाई रूप से एक इदगाह बनाने की इजाजत के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री ने तत्काल कश्मीर के डीसी से आतंकियों के हमदर्द संगठन JamiatAhleHadees (JAH) को 50 केनाल (करीब छाढ़े छह एकड़) जमीन देने को कह दिया।
Dangerous news
Efforts on to convert Kashmir into Caliphate.@MehboobaMufti asks DC Kashmir to allot 50 kanals of land to pro-Islamic State of Iraq and Syria (ISIS), Jamiat Ahle Hadees, in Srinagar to construct eidgah on a permanent basis.@narendramodihttps://t.co/rgyuFAdy2W
— Prof. Hari Om (@Prof_Hariom) June 19, 2018
गौरतलब है कि हाल ही में जमीयत अहले हदीस के प्रदेश महासचिव ने मुख्यमंत्री से महमूबा मुफ्ती से संपर्क किया। जमीयत अहले हदीस के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से भेंटकर इदगाह बनाने के लिए स्थायी तौर पर जमीन देने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री महबूबा ने तुरंत ही कश्मीर के प्रमंडल कमिश्नर को पत्र लिखकर उस धार्मिक संस्था को 50 केनाल जमीन देने को कहा। इस फैसले का पता लगते ही भाजपा की प्रदेश इकाई ने इसका जमकर विरोध किया। पार्टी का कहना है कि वह ऐसे किसी प्रकार की पहल का विरोध करेंगे।
@AmitShah
Dogras gave u 25seats not for any development but to end discrimination with Jammu & to give befitting reply to anti-nationals.
Kashmir got projects, special package, amnesty to stone pelters & jobs for millitants Jmu got nothing.
Its right time break unholy allaince
— Atul Sudan (@atulsudanjjsf) June 19, 2018
भाजपा के प्रवक्ता रिटायर ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि 200 करोड़ की लागत से इसलामिक विश्वविध्यालय Trans World Muslim University {TWMU- Affiliated to Saudi institutions in Hyderpora} बनाने की योजना है। इस सउदी मान्यता प्राप्त इस्लामी विश्विद्यालय का विरोध तो अक्टूबर 2010 में कांग्रेस के मुख्यमंत्री सौफुद्दन सोज तक कर चुके हैं, फिर भला भाजपा ऐसे विश्विद्यालय की मंजूरी को कैसे स्वीकार कर सकती है? यह सीधे-सीधे देश की सुरक्षा से जुड़ा मसला है। इस प्रकार के स्थाई संरचना से प्रदेश की सुरक्षा पर आंच आ सकती है। इसलिए हमने इसका विरोध किया।
Dogras of Jammu are still facing cases of Amarnath agitation where as govt took cases back from 16000 stone pelters. This amarnath agitation bought BJP from 3 to 25. @Prof_Hariom @XPoseMushRSS @jammuwaala @neelakantha @LalSinghChBJP @vikramaditya_JK @shamsharma_jk https://t.co/hr70aSD7Nk
— Atul Sudan (@atulsudanjjsf) June 19, 2018
URL: BJP quits with the alliance government in Jammu and Kashmir
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