कठुआ रेप मामले में कई ऐसी मीडिया रिपोर्ट आ चुकी हैं जो यह बताती हैं हैवानियत की हद पार करने वाला असली गुनहगार कोई और है और फंसाया किसी और को जा रहा है? स्थानीय अखबार सहित दैनिक जागरण, अमर उजाला और जी न्यूज की रिपोर्ट साफ साफ दर्शाती है कि महबूबा मुफती सरकार के दबाव में जम्मू कश्मीर पुलिस क्राइम ब्रांच दोषियां को बचाने और हिंदु समुदाय को बदनाम करने के लिए काम कर रही है!
कठुआ रेप के मामले में जम्मू-कश्मीर क्राइम ब्रांच पुलिस का आरोप-पत्र सच्चाई से कोसों दूर काल्पनिक लगता है। अब मुजफ्फरनगर के एटीएम के सीसीटीवी फुटेज से जो खुलासा हुआ है उससे तो जम्मू-कश्मीर क्राइम ब्रांच के झूठ की पोल पूरी तरह से खुल गई है। क्राइम ब्रांच ने अपने चार्जशीट में लिखा है कि 15 जनवरी को मुख्य आरोपी विशाल जंगोत्रा ने चार बजे तक बच्ची के शव को ठिकाना लगाया था। जबकि सीसीटीवी फुटेज में विशाल 15 जनवरी को ही तीन बजे मुजफ्फरनगर स्थित एटीएम से पैसा निकालते दिखता है!
मुख्य बिंदु
* सीसीटीवी फुटेज के अलावा बैंक स्टेटमेंट में भी विशाल के एकाउंट से पैसे निकलने के हैं सबूत
* जानबूझ कर मुफती सरकार और पीडी पत्रकारों का समूह हिंदू समुदाय को बदनाम करने की साजिश रचती दिख रही है
* सीबीआई से जांच नहीं कराने से प्रदेश की पीडीपी सरकार के इरादे पर उठने लगे हैं कई सवाल
अब सवाल उठता है कि अगर चार्जशीट के मुताबिक विशाल 15 जनवरी को चार बजे कठुआ में था तो वह 15 जनवरी को तीन बजे मुजफ्फरनगर में कैसे हो सकता है? दूसरी बात यह कि चार्जशीट किस अधिकारी ने तैयार की है वो भी बिना किसी दृष्टिगत सबुत के? जबकि मुजफ्फरनगर स्थित एटीएम में लगे सीसीटीवी कैमरे का फुटेज दृष्टिगत सबूत है।
मुजफ्फरनगर से जम्मू की दूरी करीब 509 किलोमीटर है तथा जम्मू जाने में 9 घंटे लगते हैं। ऐसे में एक ही व्यक्ति का दो जगहों पर होना कैसे संभव है? ऐसे कई सवाल खड़े हो रहें हैं फिर भी सरकार जिद पर अड़ी है कि वह इस मामले की जांच CBI को नहीं सौंपेगी! Zee News द्वारा CCTV फुटेज को सामने लाने के कारण सरकार की पूरी मंशा ही सवालों के घेरे में है!
क्राइम ब्रांच पहले ही ‘अमर उजाला’ द्वारा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हवाले से विशाल की उत्तरपुस्तिका वाले पेश साक्ष्य पर सवाल उठा चुकी है। लेकिन क्या अब तकनीक के इस युग में सीसीटीवी फुटेज को भी गलत बताएगी? कठुआ रेप मामले की जांच पर जितने सवाल अभी तक खड़े हुए हैं, इतने सवाल अगर किसी और मामले पर खड़े किए गए होते तो वह मामला कभी का सीबीआई के हवाले कर दिया गया होता। सवाल अभी वहीं खड़ा है कि प्रदेश सरकार इस मामले को इतना उलझा क्यों रही है? आखिर इस मामले की जांच सीबीआई से क्यों नहीं कराती?
इससे तो साफ है कि सरकार का इरादा ठीक नहीं है। वह जानबूझ कर इस मामले को तूल दे रही है ताकि हिंदुओं को बलात्कारी और मुसलमान को पीड़ित दिखाया जा सके। इस मामले के हवाले से सरकार दो समुदायों को अलग करने की राजनीति कर ही है। तभी तो सीबीआई जांच कराने से कतरा रही है।
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URL: CCTV opened up charge sheet of Kashmir Crime Branch!
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