विपुल रेगे। रोहित शेट्टी की पीरियड ड्रामा ‘सर्कस’ का ट्रेलर शुक्रवार को रिलीज हो गया। फिल्म को गुलज़ार की क्लासिक फिल्म ‘अंगूर’ से कॉपी किया गया है लेकिन फिल्म निर्देशक रोहित शेट्टी इससे इंकार करते हैं। उनके अनुसार ‘सर्कस’ शेक्सपियर के प्रसिद्ध हास्य नाटक ‘कॉमेडी ऑफ़ एरर्स’ से प्रेरित है। हालाँकि गुलज़ार की ‘अंगूर’ भी शेक्सपियर के इस नाटक से इंस्पायर्ड थी। सर्कस का ट्रेलर कोई उत्सुकता नहीं जगा पाता। ये उनकी पिछली फिल्मों को घोंटकर बनाई खिचड़ी दिखाई देती है।
रोहित शेट्टी का सिनेमा अब उस ऊंचाई पर पहुँच चुका है, जहाँ से और कोई शिखर नहीं बचता है। यहाँ से वापस नीचे ही जाया जा सकता है। सन 2003 में अजय देवगन को लेकर शेट्टी ने ‘ज़मीन’ बनाई, जो बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। ‘ज़मीन’ एक एक्शन थ्रिलर थी, उसमे कॉमेडी नहीं थी। रोहित शेट्टी का मसाला-मनोरंजक सिनेमा सन 2008 में ‘गोलमाल : फन अनलिमिटेड’ से शुरु हुआ था।
इस फिल्म के बाद शेट्टी को ‘गोलमाल’ सीरीज बनाने का चस्का लग गया। ये सिनेमा शेट्टी को रास आता था। कॉमेडी, एक्शन और अच्छा संगीत रोहित शेट्टी की ताकत बन गया। इसी ताकत के दम पर उन्होंने बहुत सी हिट फ़िल्में बनाई। रोहित शेट्टी का बॉक्स ऑफिस रिकार्ड बहुत अच्छा है। शाहरुख़ खान के साथ ‘दिलवाले’ जैसे हादसे भी शेट्टी के नाम पर है। वे हमेशा ही क्रिसमस पर फ़िल्में प्रदर्शित करते आए हैं।
उनकी फिल्मों की पृष्ठभूमि में गोआ का क्रिश्चियन कल्चर दिखाई देता है। अब तक भाग्य ने उनका साथ दिया है, उनकी फिल्मों का एक बड़ा दर्शक वर्ग पिछले कुछ वर्षों में तैयार हो गया है। ‘सर्कस’ में दो जुड़वा भाइयों की कहानी दिखाई गई है, जो बचपन में बिछुड़ गए थे। युवा होने पर ये चारों एक स्थान पर आते हैं और गलतफहमियों का एक मज़ेदार दौर शुरु हो जाता है।
गुलज़ार ने इस कहानी पर ‘अंगूर’ का निर्माण किया, जो आज एक क्लासिक का दर्जा रखती है। उस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में संजीव कुमार और देवेंद्र वर्मा थे। इन दोनों की फिल्म में दोहरी भूमिका थी। ये एक स्वस्थ मनोरंजन करने वाली फिल्म थी। ‘सर्कस’ के ट्रेलर को देखे तो ऐसा लगता है ‘कॉमेडी ऑफ़ एरर्स’ की धज्जियाँ उड़ा दी गई हो। उस क्लासिक ड्रामे का थोड़ा भी एसेंस ‘सर्कस’ में दिखाई नहीं दे रहा है।
रणवीर सिंह के कैरेक्टर के पास बिजली पैदा करने की जादुई शक्ति है। बस यही किरदार रोहित शेट्टी की फिल्म को ‘लार्जर देन लाइफ’ बना देता है। शेक्सपियर के ड्रामे में कॉमिक सिचुएशन आम जनजीवन में घटती है। गुलज़ार के सिनेमा में कोई ‘इलेक्ट्रिक मैन’ होने की गुंजाइश कभी हो ही नहीं सकती। उनके पास संजीव कुमार नामक जीता जागता जनरेटर मौजूद था।
जब आप अपनी फिल्म में हास्य की गलियां न खोज पाए तो आपको ऐसे बिजली मैन की आवश्यकता पड़ जाती है। सर्कस के प्रोमो को देखकर लगा कि रोहित शेट्टी ने स्वयं को दोहराया है। वे स्वयं को कई बार दोहरा चुके हैं। सर्कस के संगीत और कॉमेडी के बल पर वे फिल्म को चला भी सकते हैं, लेकिन ‘टाइप्ड’ हो जाना बॉक्स ऑफिस को पसंद नहीं आता। सितारों की लंबी फ़ौज लेकर उन्होंने पीरियड ड्रामा रचा है।
वे साठ के दशक में अपनी कहानी ले गए हैं। इसका मतलब है कि फिल्म के बजट में भी वृद्धि हुई है। ‘सर्कस’ का बजट सौ करोड़ के पार चला गया है। रोहित शेट्टी ने रिलीज का समय अच्छा चुना है लेकिन वे ये भूल गए कि उनकी फिल्म के ठीक एक सप्ताह पूर्व ‘अवतार 2 : वे ऑफ़ वॉटर’ रिलीज हो रही है। शेट्टी की फिल्म का कंटेंट रिपीटेड दिखाई देता है और यदि ‘अवतार’ के दूसरे संस्करण को भारत में बड़ी सफलता मिलती है तो शेट्टी की ‘सर्कस’ के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है।