विपुल रेगे। कर्नाटक चुनाव में ‘द केरल स्टोरी’ का उल्लेख किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कर्नाटक के बेल्लारी की एक जनसभा में फिल्म का उल्लेख किया। कर्नाटक में भाजपा के लिए संघर्ष की स्थिति बनी हुई है इसलिए मोदी वहां अंधाधुंध रैलियां कर रहे हैं। राज्य पुनः जीतने के लिए भाजपा और उसके नेता इतने अधीर दिखाई दे रहे हैं कि बजरंग बली और अभी रिलीज हुई ‘द केरल स्टोरी’ को बैसाखियाँ बनाने की विवशता आ गई है। फिल्म में आतंकवाद के साथ लव जिहाद का मुद्दा भी तो उठाया गया था, जिसे मोदी जी कहना भूल गए।
प्रधानमंत्री ने बेल्लारी में कहा ‘बीते कुछ वर्षों में आतंकवाद का एक और भयानक स्वरूप पैदा हो गया है। बम, बंदूक और पिस्तौल की आवाज तो सुनाई देती है, लेकिन समाज को भीतर से खोखला करने की आतंकी साजिश की कोई आवाज नहीं होती। कोर्ट तक ने आतंक के इस स्वरूप पर चिंता जताई है। ऐसी ही आतंकी साजिश पर बनी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ की इन दिनों काफी चर्चा है।’ आगे मोदी इसे कांग्रेस के साथ जोड़कर बताते हैं कि कांग्रेस आज समाज को तहस-नहस करने वाली इस आतंकी प्रवृत्ति के साथ खड़ी नजर आ रही है।
जबकि केरल में तो वर्तमान में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार है। कर्नाटक के चुनावी अभियान में भाजपा के दो पत्ते उल्टे पड़ गए हैं। पहले मोदी जी ने बजरंग बली को जबरन ही इस चुनावी रण का मुद्दा बना लिया। तेज़ तकनीक के इस दौर में कुछ घंटों में ही देश जान गया था कि बजरंग दल के नाम पर बजरंग बली के नाम का लाभ लिया जा रहा है। निश्चय ही ये कोई स्वाभाविक ढंग से उपजा मुद्दा नहीं था इसलिए जनता ने इसे खारिज कर दिया। मोदी जी के भाषणों में हम आलोचना अधिक देख रहे हैं। वे सत्तासीन होने के नौ वर्ष बाद भी कमज़ोर हो चुकी कांग्रेस पर प्रहार कर वोट बटोर रहे हैं। बेल्लारी में उनके भाषण में ‘द केरल स्टोरी’ का ज़िक्र हुआ।
उन्होंने जो कहा, वह कर्नाटक चुनाव में एक और अनचाहा मुद्दा जोड़ने की विचित्र कोशिश के रुप में देखा जाएगा। एक राज्य की बात दूसरे राज्य में करके वोट मांगने की कसरत न केवल विचित्र है, बल्कि हास्यापद भी है। ‘द केरल स्टोरी’ में लव जिहाद की क्रूरता भयानक ढंग से दिखाई गई है। प्रधानमंत्री के सैकड़ों भाषणों में से एक में भी कभी एक बार भी ‘लव जिहाद’ का ज़िक्र नहीं हुआ है। शबाना आज़मी की छोटी से चोट पर ट्वीट करने वाले हमारे आदरणीय ने कभी लव जिहाद की शिकार मृतकाओं के लिए दो शब्द नहीं कहे हैं। कुछ समय पहले महोदय ने अपने नेताओं को सलाह दी थी कि फिल्मों को लेकर कोई बात न कहे।
आज मोदी अपनी दी गई सलाह को भूल गए हैं। बजरंग बली की तरह ‘द केरल स्टोरी’ को भुनाने का मुद्दा ख़ारिज कर दिया जाएगा। कर्नाटक का आम आदमी मानता है कि राज्य में भ्र्ष्टाचार पहले से अधिक बढ़ गया है। बेरोजगारी और गरीबी यहाँ एक बड़ा मुद्दा है। रसोई गैस और पेट्रोल कर्नाटक की जनता का बड़ा मुद्दा है। मोदी सरकार श्रेय की राजनीति खेलने में माहिर है। ऑस्कर जीत चुकी ‘आरआरआर’ को मोदी सरकार ने आधिकारिक एंट्री नहीं दी थी लेकिन जब फिल्म ने अवार्ड जीता तो उसका श्रेय लेने की कोशिश की गई।
हो सकता है कल को मोदी जी के समर्थक कहने लग जाए कि उन्होंने अपने भाषण में फिल्म का नाम ले लिया इसलिए ये हिट हो गई। ये भी श्रेय की राजनीति का निम्नस्तर है, जो उनके समर्थक दिखाते रहते हैं। कर्नाटक के चुनाव में फिल्म को लेकर आना, वोट तो नहीं बढ़ाएगा, बल्कि अपयश में वृद्धि करेगा।