राजीव शाही।दोस्तों एक आम इंसान के नाते मैं सोचता हूं कि किस कारण भाजपा-मोदी सरकार सैकड़ों निर्दोष रामभक्त पर गोली चलवाकर मरवाने वाले मुलायम सिंह यादव (आरोप के मुताबिक) को देश का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण पुरस्कार दिया, जिस मुलायम सिंह यादव को भाजपा हमेशा रामभक्त का हत्यारा मानती थी, और आज पद्मविभूषण दिया है, मेरे हिसाब से क्यों दिया होगा पुरस्कार इसके सिर्फ 2 कारण हो सकता है,
1) “मुसलमान समाज” को खुश करने के लिए, कि देखो पसमांदा भाइयों जिसने रामभक्त पर गोली चलवाई उसको मेरी सरकार ने पुरस्कार – ईनाम दिया है, अब तो आपलोग भाजपा को माफ कर दो और भाजपा को वोट दो, एक कारण तो यह हो सकता है,
2) दूसरा कारण “यादव समाज” को खुश करना, मोदी जी यह जानते हैं यादव समाज के लोग मुलायम सिंह यादव के हर सही – गलत काम करने के बाद भी ज्यादातर (सब नहीं) जातिवाद से ग्रसित यादव समाज मुलायम सिंह यादव का पूरा साथ दिया , इसलिए भाजपा – मोदी जी यादव समाज को खुश करने के लिए पुरस्कार दिया है, कि देखो “यादव” भाई आप के जाति के सबसे बड़े नेता को पद्मविभूषण पुरस्कार का सम्मान मैं दिया हूं इसके बदले में आप भाजपा को वोट देना,
दोस्तों सिर्फ इतना हीं नहीं जिस समय राम मंदिर का आंदोलन चल रहा था उस समय के मुलायम सिंह यादव के गृह सचिव रहे निपेंद्र मिश्रा जिसने सरकार के आदेश को मानकर रामभक्तों पर गोली चलाने का आदेश दिया था (आरोप के मुताबिक) उसको वर्तमान मोदी सरकार ने अभी बन रही श्री राम मंदिर निर्माण ट्रष्ट की देखरेख की जिम्मेदारी देकर मोदी सरकार यह साबित कर दिया है कि वह किसको चिढ़ाना और किसको खुश करना चाहती है,
यह उस बलिदानी रामभक्तों की आत्मा को चोट पहुंचाने के लिए जानबूझकर किया गया काम है, इससे बड़ा मजाक हिंदुओं के साथ क्या हो सकता है, फिर भी कुछ मुर्ख हिन्दू एक व्यक्ति को अवतारी पुरुष मानता है, मेरे नजरिए से जातिवाद, परिवारवाद से कहीं ज्यादा खतरनाक होता है व्यक्तिवाद, जब इंसान धर्म – सिद्धांत से ज्यादा एक व्यक्ति का गुलाम हो जाता है तो वह अपने दिमाग से सोचना बंद कर देता है, ऐसे कई उदाहरण है जब लोगों की भीड़ की सपोर्ट के अहंकार में आकर व्यक्ति देश – समाज का विनाश किया है, सिर्फ आधुनिक समय की बात करें तो आरोप के मुताबिक गांधी-नेहरू और अब महामानव इसका जीता उदाहरण है, इसलिए धर्म – सिद्धांत के आधार पर पार्टी – संगठन, व्यक्ति का समर्थन करना चाहिए, धन्यवाद, हरि ॐ, जय सियाराम ! !! स्वलिखित !!