अर्चना कुमारी। जामिया हिंसा को लेकर शरजील इमाम और अन्य कुछ आरोपियों को आरोपमुक्त करने के फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि शरजील इमाम और कुछ अन्य आरोपियों ने पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था लेकिन साकेत अदालत ने इन लोगों को आरोप मुक्त कर दिया था।
भारत के चिकन नेक को काटकर अलग करने का मंसूबा पालने वाला फिलहाल इमाम जेल में ही रहेगा, क्योंकि वह 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों की साजिश मामले में भी आरोपी है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि नागरिक संशोधन कानून विधेयक के विरोध में साल 2019 के जामिया नगर हिंसा मामले में शरजील इमाम और आसिफ इकबाल तनहा समेत 11 लोगों आसिफ इकबाल तनहा, सफूरा जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजार, मोहम्मद शोएब, उमर अहमद, बिलाल नदीम, चंदा यादव को आरोपमुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में पुलिस के द्वारा चुनौती दी गई है।
निचली अदालत ने चार फरवरी को 11 लोगों को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि उन्हें पुलिस की ओर से बलि का बकरा बनाया गया। साकेत अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा था कि हालांकि, एक आरोपी मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय किया जाएगा लेकिन सूत्रों के अनुसार, हाई कोर्ट के समक्ष अभी याचिका को सूचीबद्ध किया जाना बाकी है। गौरतलब है कि
दिसंबर 2019 में दिल्ली के जामिया नगर इलाके में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों और पुलिस के बीच झड़प के बाद भड़की हिंसा के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और इसी मामले में आरोप दाखिल किया गया था। साकेत अदालत की न्यायाधीश ने कहा कि माना जा सकता है कि घटनास्थल पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी थे और भीड़ के भीतर कुछ असामाजिक तत्व व्यवधान और तबाही का माहौल बना सकते थे। लेकिन इन लोगों के मिलीभगत के कुछ स्पष्ट प्रमाण पुलिस के द्वारा पेश नहीं किए गए थे अन्यथा एक को छोड़कर सभी को बरी किया जाता है और इसी फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस उच्च न्यायालय पहुंची है।