दिल्ली को दंगे की आग में झोंकने वाला उमर खालिद जैसे आरोपी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं, वहीं जेल में बंद कुछ आरोपी बाहर आने के लिए छटपटा रहे हैं। ऐसे आरोपी जमानत देने के लिए अदालत से लगातार गुहार लगा रहे हैं जबकि दंगे के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कस दिया है। दिल्ली में फरवरी माह में हुए दंगों को लेकर जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से एक बार फिर बुधवार को पूछताछ हुई। क्राइम ब्रांच ने उसे नोटिस देकर जांच में शामिल होने के लिए बुलाया था। सनलाइट कॉलोनी क्राइम ब्रांच कार्यालय में उमर खालिद से करीब पांच घंटे तक सवाल जवाब किए गए। उससे दंगे के आरोपी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और अन्य आरोपियों समेत डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद से सम्बंधित सवाल पूछे गए। इस पर उमर खालिद का हैरान करने वाला जवाब था की वह कभी ताहिर हुसैन से मिला ही नहीं। उसका कहना था कि उसने दिल्ली पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा है, जिसमें उसने स्पेशल सेल पर मामले में फंसाने का आरोप लगाया है।
आपको बताते चलें कि JNU के इस पूर्व छात्र के खिलाफ पुलिस ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत केस दर्ज कर रखा है। इस मामले को लेकर एक अगस्त को भी पुलिस ने उमर खालिद से पूछताछ की थी, जहां जांच का हवाला देते हुए उसका मोबाइल भी जब्त कर लिया गया था। लेकिन अब तक पुलिस उसको गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों से पहले उमर खालिद ने भड़काऊ भाषण दिए थे,जिससे हिंसा को बढ़ावा मिला। उमर खालिद ने भड़काऊ भाषण देकर मुस्लिम समाज के लोगों से सार्वजनिक यातायात अवरुद्ध करने और सड़कों पर उतरने की अपील की थी ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान इस मामले पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचा जा सके।
यह शक्स वही है जो जेएनयू में देश विरोधी नारे लगा कर सुर्खियों में आ चुका है। देश विरोधी सोच रखने वाला उमर खालिद कश्मीर को भारत से अलग कराना चाहता है जबकि उस पर जेएनयू में महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन किए जाने के भी आरोप हैं ।
जहां एक और दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद पुलिस की गिरफ्त में आने से बचा हुआ है वही अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार की गई जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा गुलफिशा फातिमा की जमानत अर्जी अदालत ने खारिज कर दी है। दरअसल फातिमा जेल से बाहर आने के लिए छटपटा रही है और उसने इस मामले में जांच की अवधि बढ़ाने के लिए अदालत के 29 जून के आदेश को चुनौती दी थी। साथ ही उसने इस आधार पर वैधानिक जमानत मांगी थी कि कानून के अनुसार 90 दिनों के अंदर आरोपपत्र दायर नहीं किया गया। इस वजह से जमानत दे दी जाए लेकिन अदालत ने उसकी मांग को अनसुना करते हुए याचिका खारिज कर दी ।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि जांच करने की अवधि 29 अगस्त तक बढ़ायी गयी है। आवेदक (फातिमा) को सत्र न्यायाधीश ने यूएपीए के प्रावधानों के तहत न्यायिक हिरासत में भेजा तब आवेदक द्वारा यह कहने का कोई कारण नहीं है कि आरोपपत्र दस अगस्त को दायर नहीं किया गया। आवेदक ने सत्र न्यायाधीश द्वारा 29 अगस्त को जांच की अवधि बढ़ाये जाने को यह कहते हुए चुनौती देने की कोशिश की कि वह ऐसा आदेश जारी करने के लिए सक्षम नहीं हैं, लेकिन ऐसा कथन इस अदालत के समक्ष नहीं कहा जा सकता।
इस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि 29 जून को आदेश जारी किया गया था और उस आदेश के मुताबिक जांच की अवधि 29 अगस्त तक बढ़ायी गई (बाद में उसे और बढ़ाया गया) है, इसलिए इस आधार पर वैधानिक जमानत के प्रश्न पर विचार का कोई अवसर पैदा ही नहीं होता कि अंतिम रिपोर्ट दस अगस्त को नहीं दाखिल की गयी। वर्तमान आवेदन में कोई दम नहीं है, इसलिए उसे खारिज किया जाता है।
उधर, दंगे के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले ताहिर हुसैन पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल तथा क्राइम ब्रांच की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कसते हुए ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि ताहिर हुसैन को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 (PMLA) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है।
सूत्रों का दावा है दंगे के दौरान बड़े पैमाने पर फंडिंग की गई और इसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय के जिम्मे है। अब आगे ताहिर हुसैन से दिल्ली दंगों के लिए फंडिंग के बारे में भी विस्तार से पूछताछ की जाएगी, साथ ही उनसे यह भी पूछताछ की जा रही है कि दंगों के लिए धन इकट्ठा करने के लिए वह किस हवाला कारोबारी के संपर्क में था। उससे तबलीगी जमात प्रमुख मौलाना साद तथा अन्य आरोपियों के साथ उनके संबंधों के बारे में भीे पूछताछ की जाएगी।
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है जांच के दौरान यह पाया गया कि ताहिर हुसैन और उसके रिश्तेदारों के स्वामित्व या नियंत्रण वाली कंपनियों ने भारी मात्रा में धनराशि को संदिग्ध संस्थाओं में ट्रांसफर किए थे, जो बाद में नकद रुपये के रूप में मिल जाते थे जबकि जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि ताहिर हुसैन को मिली नकदी का इस्तेमाल नागरिक कानून के विरोध प्रदर्शनों और दिल्ली हिंसा को बढ़ावा देने में किया जाता था।
पहले भी ताहिर हुसैन और उनकी कंपनियों की अवैध रूप से मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने की बात सामने आई थी। जिसके बाद पिछले कुछ दिनों में ताहिर हुसैन को ईडी के अधिकारियों ने तिहाड़ जेल में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के दौरान पूछताछ की थी।