अजय शर्मा काशी। शिव नगरी काशी में पौराणिक मंदिरों के जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण हेतु उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी जी की सरकार में धन की कमी नहीं है… परंतु काशी के पौराणिक मूल देव स्थान का महीनों से यह सत्य देख रोते भक्त…
सनातन धर्मग्रंथों में कहा गया है कि भारत देश में अवस्थित शिव के स्वरूप बारह ज्योतिर्लिंगों का दर्शन आप नहीं कर लेते, तब तक आपका आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता। द्वादश ज्योतिर्लिंग कोई सामान्य लिंग नहीं है। इन बारह जगहों पर महादेव स्वयं भक्तों को दर्शन देने के लिए प्रकट हुऐ थे। जिन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता हैं। काशीमाहात्म्य कहता है कि काशी में भगवान शिव के आगमन उपरांत भारत देश में अवस्थित 33 कोटि देवी देवता तीर्थ नदियां भी काशी में आकर विराजमान हुए । उक्त में सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग भी विद्यमान हुए। उनमें से एक द्वादश ज्योतिर्लिंग सोमनाथ प्रभु है। जो अपनी भक्ति प्रदान करने के लिये अत्यन्त रमणीय तथा निर्मल सौराष्ट्र प्रदेश से काशी के द्वादश ज्योतिर्लिंग भगवान् सोमेश्वर रूप में विराजमान हुऐ हैं।मैं भगवान सोमेश्वर की शरण में जाता हूँ।
काशी में–सोमेश्वर नाम से विख्यात है तथा पश्चिमाभिमुख स्थित है। उन देवदेवेश का दर्शन करने से व्याधियों का नाश हो जाता है और उस लिंग के सेवन से मनुष्य भी शशिभूषण हो जाता है तथा प्रभासक्षेत्र की यात्रा का कोटिगुण फल पाता है–
सोमेश्वरेति विख्यातं लिङ्गं पश्चान्मुखं स्थितम्।
तं दृष्ट्वा देवदेवेशं सर्वव्याधिक्षयो भवेत्।।
तल्लिङ्गसेवनान्मत्यः शशिभूषणतां व्रजेत्।
प्रभासक्षेत्रयात्रायाः पुण्यं प्राप्नोति कोटिकृत्।।
प्रभास तीर्थ लोगों में उससे भी विशेष शुभप्रद विख्यात है । सोमेश्वर के सन्मुख उस तीर्थ में स्नान कर लेने से गर्भभागी नहीं होना पड़ता–
प्रभासतीर्थं विख्यातं ततोऽपि शुभदं नृणाम् ।
सोमेश्वरस्य पुरतस्तत्र स्नातो न गर्भभाक् ।।
राजा मानधाता अर्थात्–धातेश्वर महादेव के आगे बढ़ते ही सोमेश्वर लिंग मिलता है, उसके नैर्ऋत्यकोण में सज्जनों को कनक देने वाला कनकेश्वर लिंग है । श्री सोमेश्वर के समीप भगवान रामेश्वर ज्योतिर्लिंग है-
तद्दक्षिणे च धातेशः सोमेशश्च तदग्रतः ।।
तन्नैर्ऋत्यां कनकेशो महाकनकदःसताम् ।
सोमेश्वरसमीपतः यत्र रामेश्वरं लिङ्गं।।
जरासन्धेश्वर का दर्शन कर आगे फिर सोमनाथ और वाराहेश्वर से होते हुऐ ब्रह्मेश्वर और अगस्तीश्वर को प्रणाम करे–
ततो वै सोमनाथं च वाराहं च ततो व्रजेत् ।
ब्रह्मेश्वरं ततो नत्वा नत्वाऽगस्तीश्वरं ततः ।।
✍🏻…अजय शर्मा काशी
पता-सोमेश्वर महादेव D.16/34 मानमंदिर घाट दशाश्वमेध वाराणसी ।