आईएसडी नेटवर्क। ‘आदिपुरुष’ में हनुमान के संवाद और राम जी के अपमान के बाद देशभर में विरोध की प्रचंड लहर है। लोगों ने फिल्म का बहिष्कार शुरु कर दिया है। विरोध देखते हुए अब फिल्म निर्माताओं ने उन संवादों को बदलने का निर्णय लिया है, जिन पर आपत्ति ली जा रही है। इस बात की जानकारी रविवार को फिल्म के लेखक और गीतकार मनोज मुन्तशिर ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर दी है। हालाँकि फिल्म को वापस लेकर संशोधित कर पुनः भेजने में समय लग सकता है। फिल्म मेकर्स का दावा है कि आगामी सप्ताह में ये संशोधन कर लिया जाएगा।
‘आदिपुरुष’ को निर्देशक ओम राउत ने निर्देशित किया है और इसके निर्माता भूषण कुमार, किशन कुमार, प्रसाद सुतार और स्वयं ओम राउत हैं। फिल्म शुक्रवार को प्रदर्शित हुई और पहले शो के बाद ही ये गंभीर विवादों में उलझ गई। प्रस्तुतिकरण और संवादों को लेकर सबसे अधिक विरोध देखा जा रहा है। दर्शकों का आक्रोश इतना बढ़ा कि मैन स्ट्रीम मीडिया को भी इस विषय को उठाना पड़ा। सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर तीव्र विरोध देखा जा रहा है। इस विवाद का असर शनिवार के कलेक्शन पर भी पड़ता दिखाई दिया।
विवाद बाहर आने के बाद कलेक्शन घट गए। इसे देखते हुए अब फिल्म निर्माताओं ने निर्णय लिया है कि फिल्म के विवादित डायलॉग्स को बदला जाएगा। ये जानकारी मनोज मुन्तशिर के ट्वीटर अकाउंट से दी गई है। अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए मुन्तशिर ने एक लंबी पोस्ट लिखी है। हालाँकि पोस्ट लिखने के एक मिनट बाद ही दर्शकों ने मुन्तशिर की खबर लेनी शुरु कर दी। जाहिर है कि संवाद बदलने की घोषणा का सकारात्मक असर नहीं हो रहा है। ‘आदिपुरुष’ ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर फ़्लाइंग स्टार्ट लिया था।
पहले दिन फिल्म ने शानदार विश्वव्यापी प्रदर्शन करते हुए 140 करोड़ का ग्रास कलेक्शन किया था। दूसरे दिन के कलेक्शन पर विरोध की काली छाया स्पष्ट दिखाई दी। दूसरे दिन शनिवार को फिल्म के कलेक्शन घटकर 65 करोड़ पर आ गए। एक सफल फिल्म के आंकड़े प्रतिदिन बढ़ते चले जाते हैं लेकिन ‘आदिपुरुष’ के केस में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। शनिवार को तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ वर्जन के कलेक्शन कम हो गए थे। एडवांस बुकिंग भी कम हो गई है।
यदि सोमवार को फिल्म मेकर्स फिल्म वापस लेते हैं तो कम से कम तीन दिन का ब्रेक आ सकता है। इन दो तीन दिनों के नुक़सान के साथ फिल्म को बहिष्कार का झटका भी झेलना होगा। इस नई घोषणा से दर्शक खुश नहीं है और ताज़ा माउथ पब्लिसिटी की लहर को मोड़ना भी इतना आसान नहीं है।
मनोज मुन्तशिर के ट्वीटर अकाउंट से
रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना
सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है। आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं। उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान किया, माँ सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं। मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे। वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही माँ को अभद्र शब्दों से संबोधित किया। मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर माँ को अपनी माँ मानते थे।
शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों। हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया।
क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना,
‘शिवोहम’ नहीं सुना,
‘राम सिया राम’ नहीं सुना?
आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियाँ भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं।
‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे ’भी तो मैंने ही लिखा है।
मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे।
हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जायेगा।
हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे।
ये पोस्ट क्यों?
क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है।
मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी।
मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं,
हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएँगे।
श्री राम आप सब पर कृपा करें!