विपुल रेगे। ‘आदिपुरुष’ पर मचे विवाद में राजनीति प्रवेश कर गई है। रामायण के अपमान के मुद्दे को विपक्षी दलों ने हाथोहाथ लिया है क्योंकि सत्तारुढ़ दल इस पर या तो प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है या किसी न किसी तरह फिल्म का समर्थन कर रहा है। ‘आदिपुरुष’ पर देश दो धड़ों में विभक्त हो, ऐसा बिलकुल नहीं है। आम जनता की राय इस मामले पर स्पष्ट है कि ये फिल्म रामायण के नाम पर कलंक है। फिल्म निर्देशक और लेखक मनोज मुन्तशिर इस समय चैनल-चैनल घूमकर सफाई दे रहे हैं लेकिन राम भक्त हैं कि मानने को तैयार नहीं दिखते। सोमवार से फिल्म के कलेक्शन में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने ‘आदिपुरुष’ को लेकर नया मोर्चा खोल दिया है। इस मामले में उन्हें आम जनता का साथ भी मिलता दिखाई दे रहा है। मध्यप्रदेश कांग्रेस ‘आदिपुरुष’ के विरोध को लेकर मुखर हो गई है। छत्तीसगढ़ में फिल्म को बैन करने की मांग हो रही है। आम आदमी पार्टी की ओर से भी फिल्म का विरोध किया गया है। विपक्षी दलों ने इस बार वह मुद्दा पकड़ लिया है, जो मूल रुप से भाजपा का मुद्दा है। इसके जवाब में भाजपा के नेता सीधे तौर पर फिल्म के खिलाफ कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उल्टा भाजपा नेता फिल्म का समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं।
फिल्म निर्माताओं द्वारा फिल्म के विवादित संवाद बदलने का भाजपा सांसद रवि किशन ने स्वागत किया लेकिन पौराणिक नायकों की छवि बदलने को लेकर आलोचना नहीं की। टीवी की बहसों में भी स्पष्ट दिख रहा है कि टीवी चैनल येन केन प्रकारेण इस मामले में भाजपा को बढ़त दिला रहे हैं। आखिर ऐसा क्या है कि राम मंदिर बनाने का दावा भरने वाली भाजपा ‘आदिपुरुष’ का विरोध नहीं कर रही है। ‘आदिपुरुष’ के प्रमोशन के लिए मनोज मुन्तषिर और ओम राउत ने भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से भेंट की थी।
ये आधिकारिक रुप से सिद्ध नहीं हुआ कि योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, हेमंत बिस्वा शर्मा, पुष्कर सिंह धामी और डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने फिल्म को अपना समर्थन दिया था लेकिन फिल्म के अंत में टाइटलिंग में इन सभी का नाम दर्शाकर धन्यवाद दिया गया है। टाइटलिंग के इसी मसले को लेकर विपक्ष सरकार से सवाल कर रहा है। अब तक किसी मुख्यमंत्री की ओर से इसका खंडन नहीं किया गया है। खंडन न होने के कारण विपक्ष को हमला करने का मौक़ा मिल गया है। ओम राउत और मनोज मुन्तशिर पूर्ण रुप से बेशर्मी पर उतर आए हैं और उलजुलूल तर्क देकर फिल्म का बचाव कर रहे हैं।
रिलीज से पहले ये लोग कह रहे थे कि फिल्म में रामायण को लेकर कोई बदलाव नहीं किया और अब उनका कहना है कि उन्होंने रामायण पर फिल्म ही नहीं बनाई। ये फिल्म तो रामायण के युद्ध काण्ड पर आधारित है। ये कैसा तर्क है ? आप रामायण का एक अध्याय लेते हैं और उसमे मनमाना बदलाव करते हैं और फिर भी गलती मानने को तैयार नहीं है। इस ढिठाई पर लोगों का गुस्सा और बढ़ रहा है। जब ये फिल्म रिलीज होने जा रही थी तो पहले दिन की एडवांस बुकिंग लगभग 8 करोड़ की हुई थी। ये कुल बुकिंग का 26 प्रतिशत था। सोमवार की बुकिंग का हाल देखे तो ये घटकर 7.5 प्रतिशत पर आ गई है। सोमवार के लिए केवल 2.28 करोड़ की बुकिंग हुई है। ये इस बात का प्रमाण है कि फिल्म के आंकड़े नए सप्ताह में तेज़ी से गिर जाएंगे।
विरोध के बावजूद फिल्म 300 करोड़ का कलेक्शन करने में सफल हो जाएगी। ये 300 करोड़ उस भरोसे के कारण आए हैं, जो दर्शकों ने ओम राउत पर किया था। मनोज मुन्तशिर की घोषणा को 24 घंटे हो गए हैं लेकिन फिल्म अब भी विवादित संवादों के साथ थियेटर्स में चल रही है। क्या संवाद बदलने का वादा करना भी एक धोखा है ? इतने बड़े हंगामे के बावजूद देश के सूचना प्रसारण मंत्री चुप हैं। शायद उन्हें पता ही नहीं कि देश में एक फिल्म के कारण भयंकर विवाद मचा हुआ है। सरकार जिस ढंग से फिल्म के विवाद से किनारा कर रही है और उनका मंत्रालय कोई एक्शन नहीं ले रहा, उससे जनता में नाराज़गी फ़ैल रही है। क्या पता कल को आम चुनाव में ‘आदिपुरुष’ से उपजी जनता की नाराज़गी कोई ‘ट्रिगर’ दबा दे। कल किसने देखा है।