विदेशी फंडिंग कैसे भारत स्थित अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से भारत की राजनीतिक व्यवस्था व सत्ता में आ रही है और अपने फेवर में नीतियां बनवा रही हैं, इसका उदाहरण कोवीशिल्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट से एक दिन में सत्ताधारी भाजपा को मिले 52 करोड़ के चंदे से आप समझ सकते हैं।(Pic1)
सीरम इंस्टीट्यूट को बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से लगातार कितना धन मिल रहा है, यह आप Pic-2, 3, 4 को देखकर समझ सकते हैं। यह गेट्स फाउंडेशन के वेबसाइट पर उपलब्ध है।
इसको नीतियों में कन्वर्ट करके देखिए तो कोविड के दौरान सबसे अधिक भारतीयों को बिल गेट्स फंडेड कोवीशिल्ड ही सरकार ने लगवाया था और सर्वाधिक हार्ट अटैक का केस भी कोवीशिल्ड लगवाने वालों में ही सामने आया है व अभी भी आ रहा है। विदेश में बिल गेट्स का जो टीका एस्ट्रोजेनिका नाम से है, उसे ही भारत में ‘स्वदेशी टीका’ व ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जुमला उछाल कर कोवीशिल्ड के नाम से उतारा गया था।
फिर इस साल पेश सरकार के बजट में 9-14 वर्ष की लड़कियों को HPV वायरस का टीका लगाने को शामिल किया गया है। इस टीके की बड़ी खेप भी गेट्स फंडेड सीरम इंस्टीट्यूट ही आपूर्ति करने वाली है।
ज्ञात हो कि HPV वैक्सीन के पहले ट्रायल रन में गुजरात व आंध्र प्रदेश की अनेक लड़कियों को मारने, उन्हें बांझ बनाने, उन्हें अपाहिज बनाने का आरोप गेट्स फाउंडेशन पर लग चुका है और इस पर बकायदा संसदीय समिति की रिपोर्ट है। HPV टीके की योजना बिल गेट्स भारत में 2009 से चला रहा है और अब नीति बनाकर केंद्र सरकार उसके एजेंडे को बजट में ले आई है!
ElectoralBondScam से पहली बार भारत की राजनीतिक व्यवस्था में विदेशी फंडिंग का अप्रत्यक्ष हाथ औपचारिक रूप से बाहर आया है। इस विदेशी फंडिंग के लिए सरकार नीतियां बनाती है, यह भी पहली बार औपचारिक रूप से सामने आया है!
अन्यथा 2018 में भाजपा-कांग्रेस एवं अन्य सभी पार्टियों ने मिलकर संसद में एक बिल रखा था कि राजनीतिक पार्टियों में आए विदेशी फंडिंग की स्क्रूटनी नहीं होगी! उस वक्त भी अदालत ने यह रिपोर्ट मांगी थी, जिसे दबाने के लिए आनन-फानन में मोदी सरकार बिल लेकर आ गई थी। #ElectoralBondsCase ने भारत की राजनीति व सत्ता में हो रही विदेशी फंडिंग को पूरी तरह से उजागर कर दिया है! इसके लिए सुप्रीम कोर्ट बधाई की पात्र है।
भारत की जनता एक ‘गिनी पिग’ से अधिक कुछ नहीं है। असली खेल तो विदेशी कंपनियां, देशी कारपोरेट, राजनीतिक पार्टियां, सत्तधारी दल और नेता खेल रहे हैं! बेचारी जनता की भूमिका तो बस वोट देने, दरी बिछाने, आपस में डॉग फाईट करने और अपने-अपने नेता जी और पार्टियों के लिए जयकारा लगाने तक ही सीमित है
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