अमृत कृष्ण दास, मुंबई। मैं तब 12 वीं पढता था।1991 में मै भी घरवालों को बिना बताए मुंबई से अयोध्या कारसेवा करने गया था।प्रयागराज में पुलिस से छुपकर तीन दिन बिताया।उसके बाद प्रयागराज से अयोध्या तक खेत खलिहान से होते हुए पैदल गया ,8 दिन में पहुंचे थे।
अयोध्या में पहुंचकर सिंघल,आडवाणी,गिरीराज किशोर, ऋतम्भरा,उमा भारती आदि की सभा में हिस्सा लिया और 10 दिनों तक हम लोग बाबरी ढांचा तक पहुंचने का संघर्ष करते रहे परंतु दुर्भाग्य से हम सफल नहीं हो पाए।
एक दिन बस लेकर कारसेवक बैरियर तोड़े हुए घुस गए थे,ढांचे पर भी चढ गए परंतु ITBP के जवानों नें कारसेवकों पर बहुत बर्बरतापूर्ण गोलियां चलाई थी जिसमें अनेक कारसेवक व साधु-संतों की जान गई थी।वहीं पर
कोठारी बंधुओं को हमारे सामने ही गोली मारी गई थी। सरयू में हम स्नान करने जाते थे तो पैरों में शव लगते थे 10 दिनों के बाद हम थक-हार कर मुंबई लौट गए। दुर्भाग्य से मैं 1992 में नहीं जा पाया।