2014 में जब एनडीए की पूर्ण बहुमत की सरकार सत्ता में आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नई दृष्टि के तहत देश में डिजिटल इंडिया के रूप में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम की शुरुआत की। मोदी अपनी इसी महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत तकनीकी ताकत के माध्यम से देश में बदलाव लाना चाहते थे। बाद में इसी के तहत उन्होंने स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया तथा कौशल भारत जैसे अन्य कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई।
मुख्य बिंदु
* देश के हर वर्ग के लोगों को पारदर्शी तरीके से मिल रही हैं बेहतर सुविधाओं
* डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के कारण ही देश से दलालों का राज खत्म हुआ है
अब जब मोदी सरकार के चार साल बीत चुके हैं तो हम दावे के साथ कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की उस दृष्टि ने वाकई में देश में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के जो सांख्यिकी साक्ष्य मिले हैं उससे स्पष्ट होता है कि डिजिटल इंडिया ने देश में सशक्तिकरण का निर्माण हुआ है बल्कि रोजगार सृजन के अवसर भी बढ़े है साथ ही उद्यमिता में भी बढ़ोत्तरी हुई है। पूर्ववर्ती सरकार के दौरान महज 358 किमी तक फाइवर तार बिछाने की तुलना में इस सरकार के चार साल के कार्यकाल में ही भारत नेट के तहत न सिर्फ 2,74,246 किमी तार बिछे हैं बल्कि इससे 1,15 लाख पंचायतें भी जुड़ी हैं।
मजबूत कानून के कारण ही आज पारदर्शी तरीके से सभी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए फिजिकल को डिजिटल से जोड़ने में ‘आधार’ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जेएएन त्रिमूर्ति (जनधन-31करोड़, आधार-120 करोड और मोबाइल फोन-121 करोड़) की वजह से ही सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सहायता राशि गरीबों के सीधे बैंक एकाउंट में पहुंच रही है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत बीच से दलाल की पहचान की वजह से सरकार के 90 हजार करोड़ रुपये बचे हैं। जो पहले की सरकार के कार्यकाल में दलालों की जेब में चले जाते थे।
डिजिटल प्रोग्राम शुरू होने के बाद से ही लोगों की सुविधा आपूर्ति में सहजता आई है। देश की 1.83 लाख पंचायत डिजिटल आपूर्ति सेवा से जुड़ गई हैं। इससे जहां बैंकिंग सेवा सहज हो गई है वहीं इंश्योरेंस से लेकर पेंशन तक, जमीन के दस्तावेजों से लेकर भारत बिल भुगतान करने तक में आसानी हो गई है। डिजिटल इंडिया के साथ ही कौशल भारत के कारण कई नए क्षेत्रों में लोग अपने उद्यम का विस्तार कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर लोगों को कुशल करने से लेकर एलईडी बल्व के निर्माण, डिटिजल साक्षरता को बढ़ाने से लेकर कम कीमत वाली नैपकिन तैयार करने वाले उद्योग तक स्थापित किए जा रहे हैं।
सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) जैसे अनूठे मंच ने साल 2013-14 में महज 182 करोड़ की हुई लेन-देन की तुलना में वित्तीय वर्ष 2017-18 में 19,925 करोड़ की लेन-देन की है। मोदी की डिजिटल इंडिया की नई दृष्टि से अब शायद देश और समाज का शायद ही कोई क्षेत्र अछूता हो। इससे जहां देश में काम करने से लेकर लेनदेन में पारदर्शिता आई है वहीं भ्रष्टाचार भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम से समाज के हर वर्ग को सुविधाएं मिल रही हैं। इसके तहत निकलने वाले भीम एप ने तो भुगतान के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है। जब से भीम एप आया है इससे भुगतान करने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। 2017 के अक्टूबर में भीम एप से जहां कुल 5,325 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था वहीं मार्च 2018 में यह बढ़कर 24,172 करोड़ रुपये हो गए हैं।
जब से केंद्र सरकार ने देश में मेकिंग डिजिटल इंडिया प्रोग्राम शुरू किया है इसका क्रांतिकारी प्रभाव देखने को मिल रहा है। इसकी वजह से अब छोटे शहरों में भी बीपीओ खुलने लगे हैं। इन तीन सालों में 27 राज्यों में 89 बीपीओ का संचालन हो रहा है।
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URL: Four Years of Modi Govt: Revolutionary Digital India vision
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